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शिमला , 21 अगस्त [ विशाल सूद ] ! नगर निगम शिमला के पूर्व उपमाहापौर टिकेंद्र पंवर हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में आए विनाश को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए 24 घंटे की भूख हड़ताल पर शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर बैठ गए हैं. उनका मानना है कि यह विनाश पहाड़ों और प्रकृति के साथ मानव के द्वारा किए गए छेड़छाड़ का नतीजा है। जिसके बाद हिमालय में अपनाए जा रहे विकास के इस मॉडल पर अब पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। वीओ,,,टिकेंद्र पंवर ने बताया कि यह विनाश मानव रचित है। हिमालय बचेगा या नहीं यह अब इस बात पर निर्भर करता है कि हम विकास का कौन सा रास्ता अपनाएंगे। यह देखने की जरूरत है कि हिमाचल पर जैसे प्रदेश में किन चीजों की जरूरत है और किस की नहीं। फोरलेन का निर्माण यहां लोगों को लाने के लिए किया गया लेकिन आज एक भी पर्यटक या अन्य लोग नहीं आ पा रहा। उन्होंने कहा कि निर्माण में बरती गई अनियमितताओं के लिए एनएचआई और निर्माण कंपनियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। नुकसान का आकलन करने के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया जाना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह कि बारिश पहले सौ साल मे एक बार होती थी लेकिन अब ऐसा हर साल होगा। हर जगह हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट लगाने की बात की की जा रही है। विकास का रास्ता जो अपनाया जा रहा है उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 21 अगस्त [ विशाल सूद ] ! नगर निगम शिमला के पूर्व उपमाहापौर टिकेंद्र पंवर हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में आए विनाश को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए 24 घंटे की भूख हड़ताल पर शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर बैठ गए हैं. उनका मानना है कि यह विनाश पहाड़ों और प्रकृति के साथ मानव के द्वारा किए गए छेड़छाड़ का नतीजा है। जिसके बाद हिमालय में अपनाए जा रहे विकास के इस मॉडल पर अब पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
वीओ,,,टिकेंद्र पंवर ने बताया कि यह विनाश मानव रचित है। हिमालय बचेगा या नहीं यह अब इस बात पर निर्भर करता है कि हम विकास का कौन सा रास्ता अपनाएंगे। यह देखने की जरूरत है कि हिमाचल पर जैसे प्रदेश में किन चीजों की जरूरत है और किस की नहीं। फोरलेन का निर्माण यहां लोगों को लाने के लिए किया गया लेकिन आज एक भी पर्यटक या अन्य लोग नहीं आ पा रहा। उन्होंने कहा कि निर्माण में बरती गई अनियमितताओं के लिए एनएचआई और निर्माण कंपनियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। नुकसान का आकलन करने के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया जाना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह कि बारिश पहले सौ साल मे एक बार होती थी लेकिन अब ऐसा हर साल होगा। हर जगह हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट लगाने की बात की की जा रही है। विकास का रास्ता जो अपनाया जा रहा है उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
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