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शिमला ! निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिक्षा निदेशालय के बाहर अभिभावको का प्रदर्शन,पूरी फीस बसूलने के बाद भी स्कूल प्रबंधन नही दे रहा स्टाफ की सैलरी ! छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों टयूशन फीस में फीस में बढ़ोतरी व कम्प्यूटर फीस में बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया है व इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। मंच ने निजी स्कूलों में भारी फीसों, प्रबंधन द्वारा शिक्षकों व गैर शिक्षकों की कोरोना काल में छंटनी व उनको वेतन न देने के खिलाफ आज शिक्षा निदेशालय के बाहर प्रदर्शन किया। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निजी स्कूलों की फीस के संचालन के संदर्भ में दिए गए दिशानिर्देशों व मार्च 2020 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं व इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं। निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं। जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी। कोरोना काल में जब प्रदेश सरकार ने शिक्षण संस्थानों को पन्द्रह अप्रैल तक बन्द कर दिया है तब ऐसे समय में निजी स्कूलअभिभावकों को मैसेज भेज कर तुरन्त फीस जमा करवाने के लिए दबाव बना रहे हैं। कुछ स्कूलों ने फीस जमा करवाने के लिए एक सप्ताह का समय भी नहीं दिया है। यह जानबूझकर किया गया है ताकि अभिभावक दबाव में आ जाएं व निजी स्कूलों द्वारा निर्धारित मनमानी फीस को जमा करवाने के लिए मजबूर हो जाएं। उन्होंने प्रदेश सरकार से एक बार पुनः मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस, पाठयक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरन्त कानून बनाए व रेगुलेटरी कमीशन का गठन करने की मांग की है। वंही कुछ दिनों से फीस को लेकर सुर्खियों में रहे आईबीआई स्कूल के अध्यापक व बस चालक ने भी स्कूल पर कोरोना काल मे सैलरी न देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के द्वारा पूरी फीस बसूली के बावजूद भी शिक्षकों व स्कूल के बस चालकों को कोरोना काल के समय से सैलरी नही मिली है। उन्होंने धरने में शामिल होकर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने शिक्षा विभाग को जारी अधिसूचना को सही तरीके से लागू करवाने की मांग उठाई व उल्लंघना करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।
शिमला ! निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिक्षा निदेशालय के बाहर अभिभावको का प्रदर्शन,पूरी फीस बसूलने के बाद भी स्कूल प्रबंधन नही दे रहा स्टाफ की सैलरी ! छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों टयूशन फीस में फीस में बढ़ोतरी व कम्प्यूटर फीस में बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया है व इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। मंच ने निजी स्कूलों में भारी फीसों, प्रबंधन द्वारा शिक्षकों व गैर शिक्षकों की कोरोना काल में छंटनी व उनको वेतन न देने के खिलाफ आज शिक्षा निदेशालय के बाहर प्रदर्शन किया।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निजी स्कूलों की फीस के संचालन के संदर्भ में दिए गए दिशानिर्देशों व मार्च 2020 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं व इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं। निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं।
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जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी। कोरोना काल में जब प्रदेश सरकार ने शिक्षण संस्थानों को पन्द्रह अप्रैल तक बन्द कर दिया है तब ऐसे समय में निजी स्कूलअभिभावकों को मैसेज भेज कर तुरन्त फीस जमा करवाने के लिए दबाव बना रहे हैं। कुछ स्कूलों ने फीस जमा करवाने के लिए एक सप्ताह का समय भी नहीं दिया है। यह जानबूझकर किया गया है ताकि अभिभावक दबाव में आ जाएं व निजी स्कूलों द्वारा निर्धारित मनमानी फीस को जमा करवाने के लिए मजबूर हो जाएं। उन्होंने प्रदेश सरकार से एक बार पुनः मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस, पाठयक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरन्त कानून बनाए व रेगुलेटरी कमीशन का गठन करने की मांग की है।
वंही कुछ दिनों से फीस को लेकर सुर्खियों में रहे आईबीआई स्कूल के अध्यापक व बस चालक ने भी स्कूल पर कोरोना काल मे सैलरी न देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के द्वारा पूरी फीस बसूली के बावजूद भी शिक्षकों व स्कूल के बस चालकों को कोरोना काल के समय से सैलरी नही मिली है। उन्होंने धरने में शामिल होकर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने शिक्षा विभाग को जारी अधिसूचना को सही तरीके से लागू करवाने की मांग उठाई व उल्लंघना करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।
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