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शिमला , 05 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में बढ़ रहे भूवैज्ञानिक खतरों विशेषकर भूकंप और भूस्खलन पर शिमला में राज्य आपदा प्रबंधन और हिमकोस्ट द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विशेषज्ञ इसके रोकथाम के लिए सुझाव देंगे। सरकार इन सुझावों के मुताबिक भविष्य के लिए निर्माण सम्बन्धी नीति निर्धारित करेगी ताकि आपदा में नुक्सान कम हो। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस कार्यशाला का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से भारी तबाही हुई है इसलिए भविष्य की चुनौतियों के लिए भी सरकार को नीति निर्धारित करनी होगी क्योंकि प्राकृतिक आपदाएं भविष्य में भी आ सकती हैं इसलिए सरकार सिस्टम और नदी नालों के आसपास निर्माण के लिए सरकार कुछ नीति निर्धारण करने पर भी विचार कर रही है।लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है निर्माण से पहले जगह अध्ययन करने कर बाद ही क्षमता के अनुसार निर्माण करना चाहिए। कार्यशाला में हिस्सा लेने पहुंचे भूवैज्ञानिक हरि कुमार ने बताया कि निर्माण से पहले जगह इंजीनियरिंग सर्वेक्षण के साथ भौगोलिक सर्वेक्षण भी करवाना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके की जगह की निर्माण क्षमता क्या है और किस तरह का स्ट्रक्चर उस जगह पर बनाया जा सकता है। तभी आपदा आने पर नुक्सान से बचा जा सकता है। इसके अलावा निर्माण के नियमों में भी बदलाव की आवश्कता है।
शिमला , 05 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में बढ़ रहे भूवैज्ञानिक खतरों विशेषकर भूकंप और भूस्खलन पर शिमला में राज्य आपदा प्रबंधन और हिमकोस्ट द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विशेषज्ञ इसके रोकथाम के लिए सुझाव देंगे। सरकार इन सुझावों के मुताबिक भविष्य के लिए निर्माण सम्बन्धी नीति निर्धारित करेगी ताकि आपदा में नुक्सान कम हो। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस कार्यशाला का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से भारी तबाही हुई है इसलिए भविष्य की चुनौतियों के लिए भी सरकार को नीति निर्धारित करनी होगी क्योंकि प्राकृतिक आपदाएं भविष्य में भी आ सकती हैं इसलिए सरकार सिस्टम और नदी नालों के आसपास निर्माण के लिए सरकार कुछ नीति निर्धारण करने पर भी विचार कर रही है।लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है निर्माण से पहले जगह अध्ययन करने कर बाद ही क्षमता के अनुसार निर्माण करना चाहिए। कार्यशाला में हिस्सा लेने पहुंचे भूवैज्ञानिक हरि कुमार ने बताया कि निर्माण से पहले जगह इंजीनियरिंग सर्वेक्षण के साथ भौगोलिक सर्वेक्षण भी करवाना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके की जगह की निर्माण क्षमता क्या है और किस तरह का स्ट्रक्चर उस जगह पर बनाया जा सकता है। तभी आपदा आने पर नुक्सान से बचा जा सकता है। इसके अलावा निर्माण के नियमों में भी बदलाव की आवश्कता है।
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