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शिमला ! छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने विधानसभा के जल्द ही शुरू होने वाले मानसून सत्र में ही निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए ठोस कानून बनाने की मांग की है। मंच ने 22 जुलाई को होने वाली मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में इस की प्रक्रिया पर मोहर लगाने की मांग की है। मंच ने सरकार को चेताया है कि अगर उसने कानून बनाने के लिए पहलकदमी न की तो मंच विधानसभा घेराव करेगा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,सदस्य भुवनेश्वर सिंह,योगेश वर्मा,विवेक कश्यप,फालमा चौहान,राकेश रॉकी व जय चंद ने कहा है कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत के कारण प्रदेश में निजी स्कूलों के संचालन के लिए न तो ठोस कानून बना रही है और न ही प्रदेश में नियामक आयोग का गठन किया जा रहा है। मंच के प्रतिनिधि पांच मार्च 2021 को मुख्यमंत्री से मिले थे व उन्होंने मंच को आश्वासन दिया था कि मार्च के विधानसभा सत्र में ही कानून बना दिया जाएगा। परन्तु 19 मार्च की मंत्रिमंडल बैठक में इस कानून को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। मंच के निरन्तर आंदोलनों के कारण बाद में प्रदेश सरकार ने कानून के प्रारूप पर 23 जून तक सभी स्टेकहोल्डरज़ से सुझाव मांगे थे। इसमें 22 जून को मंच ने भी इक्कीस सुझाव उच्चतर शिक्षा निदेशक को दिए थे। इन सुझावों की अंतिम तिथि गुजरने के बाद पूरा एक महीना बीत चुका है परन्तु सरकार कानून बनाने को लेकर चुप है। विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि 22 जुलाई को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में निजी स्कूलों के संचालन के सन्दर्भ में कानून को अंतिम रूप दिया जाए व विधानसभा के मानसून सत्र में इसे हर हाल में पारित किया जाए। उन्होंने प्रदेश सरकार से अपील की है कि वह निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग साढ़े छः लाख छात्रों व उनके दस लाख अभिभावकों को न्याय प्रदान किया जाए तथा निजी स्कूलों की भारी फीसों व मनमानी लूट पर रोक लगाई जाए। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि कोरोना काल में भी निजी स्कूलों ने पन्द्रह से लेकर पचास प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी की है। निजी स्कूलों ने शिक्षा विभाग द्वारा कोरोना काल में फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के संदर्भ में निकाली गईं आधा दर्जन अधिसूचनाओं को ठेंगा ही दिखाया है। इस से साफ पता चलता है कि निजी स्कूल प्रदेश सरकार के आदेशों की कोई परवाह नहीं करते हैं। इसलिए कानून बनने से ही निजी स्कूलों की तानाशाही रुक सकती है।
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