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शिमला ! 21 वर्षों से दुखियारी मां अपने जिगर के टुकड़े की साँसों के लिए अथक प्रयास कर रही है।मंडी के सुंदरनगर के गांव धार की रहने वाली लीला देवी की बेटी मनीषा बचपन से दिल के छेद की बीमारी से पीड़ित है। लीला देवी अपनी बेटी का इलाज आईजीएमसी में करवा रही है। लोगों के घरों में साफ सफाई का काम कर लीला देवी अपने घर का खर्चा चलाती थी लेकिन अब उनकी बेटी इलाज के लिए शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन है । जिससे काम भी छूट गया और आय का स्रोत भी समाप्त हो गया।अब इस दुखियारी मां को जहां बेटी के इलाज के लिए खर्चे की चिंता सता रही है वहीं घर का खर्च वहन करना भी मुश्किल ही गया है। कुछ संस्थाओं ने भले ही मदद का हाथ बढ़ाया है लेकिन दवाओं का खर्च अधिक होने के कारण यह मदद नाकाफी साबित हो रही है। अब लीला देवी की निगाहें टकटकी लगाए मदद के हाथों की तलाश कर रही है। लीला देवी का कहना है कि उनकी बेटी जब एक माह की थी तो पता चला कि उसके दिल मे छेद है । मनीषा का शुरू में उपयुक्त इलाज नही हो पाया और उसके बाद पांच वर्ष तक उसका उपचार मंडी में करवाया गया अब उसके बाद लगातार आईजीएमसी इलाज के लिए आ रहें हैं। लीला देवी ने कहा कि शुरू में इलाज के लिए दस हजार की दवा आती थी लेकिन अब यह खर्चा पन्द्रह हजार तक पहुंच गया है।अब इतना ज्यादा खर्च वहन करना मुश्किल हो गया है ।जिसके लिए वह चाहती हैं कि सरकार उनकी मदद करे और बेटी का इलाज हो सके। वहीं लीला देवी की सुपुत्री मनीषा का कहना है कि लगभग वह 9 वर्षों से इओआज के लिए आईजीएमसी आ रही है।उसे स्किन की भी समस्या हो गयी है और चलने में भी दिक्कत आती है।
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