- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला , 20 जनवरी [ विशाल सूद ] ! उत्तराखंड के जोशीमठ की घटना से सभी को सबक लेनी की जरुरत है।इस तरह की घटनाओं में हाइडल प्रोजेक्ट के साथ साथ मानवीय गलतियां भी है। जोशीमठ को लेकर वैज्ञानिकों ने हाइडल प्रोजेक्ट के निर्माण से पहले ही चेताया था लेकिन इसके बावजूद भी भवनों का निर्माण और पावर प्रॉजेक्ट का निर्माण किया गया। हिमाचल प्रदेश में भी वैज्ञानिकों द्वारा 1500 से अधिक क्षेत्रों को लैंडस्लाइड जॉन घोषित किया है बावजूद इसके लोग अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण करते हैं जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। किन्नौर से विधायक और जनजातीय व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि किन्नौर जिले के कई इलाके में भूस्खलन की घटनाएं होती है जिसके पीछे कई कारण हैं। हाइडल प्रोजेक्ट भी एक बड़ा कारण है क्योंकि प्रोजेक्ट के निर्माण में कई किलो मीटर लंबी सुरंगों का निर्माण होता है जिसमें ब्लास्टिंग की जाती है जो काफी सस्ती भी है। ब्लास्टिंग के कारण सुरंग के ऊपर वाले हिस्से में कंपन होता है और मकानों और जमीन धसने और दरारें का खतरा रहता है। इसलिए प्रॉजेक्ट के निर्माण में पर्यावरण प्रेमी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। जल विद्युत परियोजना के सुरंग निर्माण के दौरान टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए जो काफी सुरक्षित है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 20 जनवरी [ विशाल सूद ] ! उत्तराखंड के जोशीमठ की घटना से सभी को सबक लेनी की जरुरत है।इस तरह की घटनाओं में हाइडल प्रोजेक्ट के साथ साथ मानवीय गलतियां भी है। जोशीमठ को लेकर वैज्ञानिकों ने हाइडल प्रोजेक्ट के निर्माण से पहले ही चेताया था लेकिन इसके बावजूद भी भवनों का निर्माण और पावर प्रॉजेक्ट का निर्माण किया गया। हिमाचल प्रदेश में भी वैज्ञानिकों द्वारा 1500 से अधिक क्षेत्रों को लैंडस्लाइड जॉन घोषित किया है बावजूद इसके लोग अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण करते हैं जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
किन्नौर से विधायक और जनजातीय व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि किन्नौर जिले के कई इलाके में भूस्खलन की घटनाएं होती है जिसके पीछे कई कारण हैं। हाइडल प्रोजेक्ट भी एक बड़ा कारण है क्योंकि प्रोजेक्ट के निर्माण में कई किलो मीटर लंबी सुरंगों का निर्माण होता है जिसमें ब्लास्टिंग की जाती है जो काफी सस्ती भी है। ब्लास्टिंग के कारण सुरंग के ऊपर वाले हिस्से में कंपन होता है और मकानों और जमीन धसने और दरारें का खतरा रहता है। इसलिए प्रॉजेक्ट के निर्माण में पर्यावरण प्रेमी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। जल विद्युत परियोजना के सुरंग निर्माण के दौरान टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए जो काफी सुरक्षित है।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -