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शिमला ! आज राजधानी शिमला मे गुरु नानक गुरूपूर्व मनाया गया जिसमे राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आरलेकर ने शिरकत कि दीनदयाल हॉस्पिटल शिमला के साथ लगते गुरुद्वारे में काफी हर्षो उल्लास के साथ पर्व को मनाया गया | सिखों के प्रथम आदि गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से सम्बोधित करते हैं। नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबन्धु - सभी के गुण समेटे हुए थे। इनका जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवण्डी नामक गाँव में कार्तिकी पूर्णिमा को एक खत्रीकुल में हुआ था। तलवण्डी पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त का एक नगर है। कुछ विद्वान इनकी जन्मतिथि 15 अप्रैल, 1469 मानते हैं। किन्तु प्रचलित तिथि कार्तिक पूर्णिमा ही है, जो अक्टूबर-नवम्बर में दीवाली के 15 दिन बाद पड़ती है।बचपन से इनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। लड़कपन ही से ये सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। पढ़ने-लिखने में इनका मन नहीं लगा। 7-8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया क्योंकि भगवत्प्राप्ति के सम्बन्ध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक ने हार मान ली तथा वे इन्हें ससम्मान घर छोड़ने आ गए। तत्पश्चात् सारा समय वे आध्यात्मिक चिन्तन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएँ घटीं जिन्हें देखकर गाँव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व मानने लगे| राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आरलेकर ने कहा हर बार गुरु नानक जयंती पर गुरु द्वारा जाता हूँ यहां आकर प्रसन्नता मिलती है इनका जीवन प्रेरित करता है शांति का संदेश देता है लोगों को और केसा व्यवहार करें उनके संदेश का हमेशा हम अनुकरण करेंगे |
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