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शिमला ! शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के उत्थान के लिए जो केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए एहम कदमों की भाजपा सह प्रभारी संजय टंडन ने ई चिंतन के माध्यम से भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के उत्थान के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने अनेकों योजनाएं एवं कार्य किए जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को पंख लगे, हर गांव को जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़कें बनाई गई जिससे गांव की अर्थिकि स्थिति में सुधार हुआ। प्रधानमंत्री जन धन योजन के अंतर्गत देश मे 43 करोड़ खाते खोले गए जिसमे 144277.46 करोड़ की राशि जमा हुई। अटल पेंशन योजना के तहत अभिदाताओं की कुल संख्या 16 जुलाई 2021 तक 30636000 पहुंची है जिसे जनता को बड़ा लाभ हुआ है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 2018 से अब तक 94291283 किसानों को पंजीकृत किया गया जिससे किसानों को लाभ हुआ। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 25 सितंबर 2014 को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के एक भाग के रूप में दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना ( डीडीयू - जीकेवाई ) की घोषणा की , जिसका दोहरा उद्देश्य है , ग्रामीण गरीब परिवारों की आय में वृद्धि करने के साथ ग्रामीण युवाओं की करियर आकांक्षाओं को पूरा करना, ताकि वे समाज में जिस आदर्श स्थिति की कल्पना करते हैं उसे प्राप्त कर सकें । केंद्र सरकार ने हर गांव में बिजली पहुंचाने का कार्य किया और साथ ही 37 करोड़ से अधिक सीएफएल बल्ब दिए जिससे ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा बिजली पहुची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण क्षेत्र के हर घर को शौचालय दिया जिससे एक बड़ी समस्या का अंत हुआ, महिलाओं का दर्द समझते हुए उन्होंने हर घर को गैस चूल्हा प्रदान किया, उज्वला योजना आज भारत की सबसे बड़ी योजना उभर के आई है। डिजिटल इंडिया के अंतर्गत गांव में केबल डालने का काम शुरू हो चुका है जिस से हर गांव में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध होगी और काफी गांव में यह काम पूरा भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री द्वारा अद्भुत कार्य किए गए। प्रधानमंत्री आवास योजना ( यू ) के तहत कुल 1.12 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 82.5 लाख घरों का कार्य शुरू कर दिया गया है और लगभग 48 लाख पूरे हो चुके हैं । केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने और कोविड के दौरान नए रोजगार के अवसरों के सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को मंजूरी दी । कैबिनेट ने चालू वित्त वर्ष के लिए 1,584 करोड़ रुपये और पूरी योजना अवधि यानी 2020-2023 के लिए 22,810 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी है ।
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