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शिमला , 07 फरवरी [ के. एस. प्रेमी ] ! हमारे देश में यूं तो कई पवित्र धार्मिक स्थल है जिनकी व्याख्या शब्दों में कर पाना संभव नहीं है। जहां हजारों, लाखों, करोड़ों की संख्या में लोग इन पवित्र धर्म स्थलों के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। वहीं खबर हिमाचल से की टीम भी इन्हीं में से एक पवित्र धर्म स्थल बोध गया धाम के दर्शन करवाने जा रहे है। यह धाम भी काफी प्राचीन है। इस धाम में त्रेता युग से जुड़ी काफी रोचक घटनाओं का वर्णन किया गया है। बिहार प्रदेश के अंतर्गत पड़ने वाली यह पवित्र स्थली गया है। जिसको कि बोध गया के नाम से भी जाना जाता है। इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए यहां के पंडित ने बताया कि बोध गया नाम से विश्व विख्यात इस नगरी को मोक्ष का अंतिम द्वार भी कहते है और इस धाम में पहुंचने के बाद किसी भी मृत व्यक्ति के पिंड दान किए जाए तो मृत व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह सीधे विष्णु धाम को चला जाता है। उन्होंने बताया कि माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ के पिंड दान इसी फाल्गु नदी के समक्ष किए थे अतःयही एक ऐसी पवित्र स्थली है जहां पर किसी भी महिला औरत के हाथों से पिंड दान की प्रथा को पूरा किया जाता है और उनके द्वारा किया गया पिंड दान सीधे सीधे उसी ही मनुष्य को लग जाता है। जिसका सिमरन वह महिला उसके गोत्र के साथ करती है। आपको बता दे कि भगवान विष्णु को समर्पित यह बोध गया नगरी जिसमे भगवान विष्णु का एक विशाल मंदिर भी है तथा उस मंदिर के गर्भगृह की एक शिला ऐसी भी है जहा पर भगवान विष्णु के पांव के निशान स्पष्ट तौर से उभरे हुए है। माना जाता है कि गया नामक राक्षस के आतंक से मुक्ति दिलाने के खातिर भगवान विष्णु ने अपने पांव से उस गया नामक राक्षस को धरती के नीचे धकेल दिया था और आज भी भगवान विष्णु के पद चिन्ह मंदिर के भीतर पड़ी एक शीला में सप्ष्ट दिखाई देते है। मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति अपने पितरों का पिंड दान करने के बाद भगवान विष्णु के इस मंदिर के दर्शन करता है उनके पितरों का उद्धार तो हो ही जाते है वहीं पिंड दान करने वाले व्यक्तियों को इस पुण्य का लाभ मिल जाता है। देखा जाए तो यह एक बहुत ही पवित्र स्थली है पर इस स्थान की स्वच्छता पर एक नही अपितु कई स्वालिया निशान खड़े हो जाते है। इस स्थान की बद से बहतर हालत को देखकर हर कोई परेशान हो जाता है। भगवान विष्णु की इस पवित्र नगरी की हालत इतनी कर दयनीय हो चुकी है कि कोई भी व्यक्ति एक बार इस स्थान पर आ जाए तो दुबारा यहां नहीं आना चाहता है। यहां पहुंचे कुछ लोगों से हमारी खबर हिमाचल से की टीम ने बात की तो उन्होंने हमारी टीम को देखने के बाद हमसे गुहार लगाई की इतने पवित्र स्थल की आज ऐसी हालत खराब हो चुकी है की कोई भी व्यक्ति इस और कोई ध्यान नहीं देता है, बस यहां के लोग सिर्फ पैसा कमाने को ही लगे हुए है। उधर यहां के पंडित ने भी कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया हमारे सामने रखी। उन्होंने इस पवित्र स्थल में पड़ी गंदगी को लेकर सीधे सीधे जिला प्रशासन और यहां के स्थानीय नुमाइंदों को ठहराया है। उन्होंने भी जिला प्रशासन के साथ नगरपालिका पार्षदों से गुहार लगाते हुए मांग की है कि इस स्थल को स्वच्छ बनाने कोई ठोस प्रयास किए जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पवित्र स्थल को देखने यहां आए। इसी के साथ हम अपने दर्शकों को बोध गया के दर्शनों को भी करवाने जा रहे है। आपको बता दे कि भगवान बुध को समर्पित यह स्थल जिसमे करीब एक दर्जन भगवान बुध के ही मंदिर है। इस स्थल पर देश विदेश के हजारों सैलानी इस स्थान पर आकर और भगवान बुध की 80, फुट ऊंची प्रतिमा और भगवान बुद्ध के उस वट वृक्ष के नीचे जहां पर उन्हें भक्ति का ज्ञान हुआ था यह सब देखकर लोग काफी प्रफुलित हो उठते है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 07 फरवरी [ के. एस. प्रेमी ] ! हमारे देश में यूं तो कई पवित्र धार्मिक स्थल है जिनकी व्याख्या शब्दों में कर पाना संभव नहीं है। जहां हजारों, लाखों, करोड़ों की संख्या में लोग इन पवित्र धर्म स्थलों के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। वहीं खबर हिमाचल से की टीम भी इन्हीं में से एक पवित्र धर्म स्थल बोध गया धाम के दर्शन करवाने जा रहे है। यह धाम भी काफी प्राचीन है। इस धाम में त्रेता युग से जुड़ी काफी रोचक घटनाओं का वर्णन किया गया है।
बिहार प्रदेश के अंतर्गत पड़ने वाली यह पवित्र स्थली गया है। जिसको कि बोध गया के नाम से भी जाना जाता है। इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए यहां के पंडित ने बताया कि बोध गया नाम से विश्व विख्यात इस नगरी को मोक्ष का अंतिम द्वार भी कहते है और इस धाम में पहुंचने के बाद किसी भी मृत व्यक्ति के पिंड दान किए जाए तो मृत व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह सीधे विष्णु धाम को चला जाता है। उन्होंने बताया कि माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ के पिंड दान इसी फाल्गु नदी के समक्ष किए थे अतःयही एक ऐसी पवित्र स्थली है जहां पर किसी भी महिला औरत के हाथों से पिंड दान की प्रथा को पूरा किया जाता है और उनके द्वारा किया गया पिंड दान सीधे सीधे उसी ही मनुष्य को लग जाता है। जिसका सिमरन वह महिला उसके गोत्र के साथ करती है।
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आपको बता दे कि भगवान विष्णु को समर्पित यह बोध गया नगरी जिसमे भगवान विष्णु का एक विशाल मंदिर भी है तथा उस मंदिर के गर्भगृह की एक शिला ऐसी भी है जहा पर भगवान विष्णु के पांव के निशान स्पष्ट तौर से उभरे हुए है। माना जाता है कि गया नामक राक्षस के आतंक से मुक्ति दिलाने के खातिर भगवान विष्णु ने अपने पांव से उस गया नामक राक्षस को धरती के नीचे धकेल दिया था और आज भी भगवान विष्णु के पद चिन्ह मंदिर के भीतर पड़ी एक शीला में सप्ष्ट दिखाई देते है। मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति अपने पितरों का पिंड दान करने के बाद भगवान विष्णु के इस मंदिर के दर्शन करता है उनके पितरों का उद्धार तो हो ही जाते है वहीं पिंड दान करने वाले व्यक्तियों को इस पुण्य का लाभ मिल जाता है।
देखा जाए तो यह एक बहुत ही पवित्र स्थली है पर इस स्थान की स्वच्छता पर एक नही अपितु कई स्वालिया निशान खड़े हो जाते है। इस स्थान की बद से बहतर हालत को देखकर हर कोई परेशान हो जाता है। भगवान विष्णु की इस पवित्र नगरी की हालत इतनी कर दयनीय हो चुकी है कि कोई भी व्यक्ति एक बार इस स्थान पर आ जाए तो दुबारा यहां नहीं आना चाहता है।
यहां पहुंचे कुछ लोगों से हमारी खबर हिमाचल से की टीम ने बात की तो उन्होंने हमारी टीम को देखने के बाद हमसे गुहार लगाई की इतने पवित्र स्थल की आज ऐसी हालत खराब हो चुकी है की कोई भी व्यक्ति इस और कोई ध्यान नहीं देता है, बस यहां के लोग सिर्फ पैसा कमाने को ही लगे हुए है। उधर यहां के पंडित ने भी कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया हमारे सामने रखी। उन्होंने इस पवित्र स्थल में पड़ी गंदगी को लेकर सीधे सीधे जिला प्रशासन और यहां के स्थानीय नुमाइंदों को ठहराया है। उन्होंने भी जिला प्रशासन के साथ नगरपालिका पार्षदों से गुहार लगाते हुए मांग की है कि इस स्थल को स्वच्छ बनाने कोई ठोस प्रयास किए जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पवित्र स्थल को देखने यहां आए।
इसी के साथ हम अपने दर्शकों को बोध गया के दर्शनों को भी करवाने जा रहे है। आपको बता दे कि भगवान बुध को समर्पित यह स्थल जिसमे करीब एक दर्जन भगवान बुध के ही मंदिर है। इस स्थल पर देश विदेश के हजारों सैलानी इस स्थान पर आकर और भगवान बुध की 80, फुट ऊंची प्रतिमा और भगवान बुद्ध के उस वट वृक्ष के नीचे जहां पर उन्हें भक्ति का ज्ञान हुआ था यह सब देखकर लोग काफी प्रफुलित हो उठते है।
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