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बिलासपुर , 21 अगस्त ! हिमाचल प्रदेश में कॉफी की खेती पर छात्रों और किसानों के लिए कौशल उन्नयन और उद्यमिता विकास पर एक दिवसीय कार्यक्रम बिलासपुर जिला के घुमारवीं में आयोजित किया गया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य हिमाचल में बड़े स्तर पर कॉफी की खेती की संभावनाओं की तलाश करना और इस क्षेत्र में पहले से किए गए कार्यों को आगे बढ़ाना था। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना की संस्थागत विकास योजना के सहयोग से डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के नेरी स्थित बागवानी और वानिकी महाविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम ने राज्य में कॉफी की खेती के दायरे पर चर्चा करने के लिए कॉफी उत्पादकों, वैज्ञानिकों, उद्योग विशेषज्ञों और छात्रों को एक मंच पर साथ लाया गया और किसानों को फसल विविधीकरण के लिए एक और नकदी फसल कैसे दी जा सकती है जो उनकी आर्थिकी को मजबूत करने में मदद कर सकती है, पर बातचीत हुई। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी ने शिरकत की और कहा कि हिमाचल में कॉफी की खेती के लिए पहले ही कुछ प्रयास किए जा चुके हैं और इस कार्यक्रम के माध्यम से उन कार्यों को किसानों के लाभ के लिए आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के लिए, किसानों को कॉफी की खेती से संबंधित सभी मुद्दों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ जोड़ा जा रहा है। नौणी विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों को सभी वैज्ञानिक सहायता प्रदान करेगा ताकि कॉफी की खेती को बढ़ाया जा सके। कॉफी किसानों के लिए फसल विविधीकरण में मदद करेगी और एक फसल पर उनकी निर्भरता कम करेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जल्द ही कॉफी पर अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लिए कॉफी की सर्वोत्तम किस्मों का पता लगाने के लिए नेरी महाविद्यालय में एक प्रदर्शन मॉडल स्थापित करेगा।
बिलासपुर , 21 अगस्त ! हिमाचल प्रदेश में कॉफी की खेती पर छात्रों और किसानों के लिए कौशल उन्नयन और उद्यमिता विकास पर एक दिवसीय कार्यक्रम बिलासपुर जिला के घुमारवीं में आयोजित किया गया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य हिमाचल में बड़े स्तर पर कॉफी की खेती की संभावनाओं की तलाश करना और इस क्षेत्र में पहले से किए गए कार्यों को आगे बढ़ाना था।
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना की संस्थागत विकास योजना के सहयोग से डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के नेरी स्थित बागवानी और वानिकी महाविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम ने राज्य में कॉफी की खेती के दायरे पर चर्चा करने के लिए कॉफी उत्पादकों, वैज्ञानिकों, उद्योग विशेषज्ञों और छात्रों को एक मंच पर साथ लाया गया और किसानों को फसल विविधीकरण के लिए एक और नकदी फसल कैसे दी जा सकती है जो उनकी आर्थिकी को मजबूत करने में मदद कर सकती है, पर बातचीत हुई।
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इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी ने शिरकत की और कहा कि हिमाचल में कॉफी की खेती के लिए पहले ही कुछ प्रयास किए जा चुके हैं और इस कार्यक्रम के माध्यम से उन कार्यों को किसानों के लाभ के लिए आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के लिए, किसानों को कॉफी की खेती से संबंधित सभी मुद्दों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ जोड़ा जा रहा है।
नौणी विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों को सभी वैज्ञानिक सहायता प्रदान करेगा ताकि कॉफी की खेती को बढ़ाया जा सके। कॉफी किसानों के लिए फसल विविधीकरण में मदद करेगी और एक फसल पर उनकी निर्भरता कम करेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जल्द ही कॉफी पर अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लिए कॉफी की सर्वोत्तम किस्मों का पता लगाने के लिए नेरी महाविद्यालय में एक प्रदर्शन मॉडल स्थापित करेगा।
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