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शिमला, 30 नवंबर ! प्रदेश में विलुप्त होते औषधीय पौधे कड़ू और चिरायता की खेती कर जाइका वानिकी परियोजना ने पहली कामयाबी हासिल की। जिला मंडी के नाचन वन मंडल के तहत छैन मैगल, बुखरास और रोहाल गांव से संबंध रखने वाली महिलाओं के एक समूह ने उक्त दो औषधीय प्रजातियों की पहली खेप उतार दी। वीरवार को नाचन वन मंडल के धंगयारा में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के अवसर पर जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया के समक्ष कड़ू और चिरायता की खेप को दर्शाया गया। इस अवसर पर नागेश कुमार गुलेरिया ने जाइका से जुड़े महिला समूह को इस खेती के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि विलुप्त हो रहे ऐसी प्रजातियों की खेती कर मिसाल कायम की है। नागेश कुमार गलेरिया ने कहा कि कड़ू और चिरायता की खेती करने के बाद अब महिला समूह को पैसे मिलना भी शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि मार्केट में इन औषधीय गुणों वाले कड़ू और चिरायता की मांग दिन-प्रति दिन बढ़ रही है। आने वाले समय में जाइका वानिकी परियोजना इस पर और अधिक काम करेगी। नागेश कुमार गुलेरिया ने यहां मौजूद सभी स्वयं सहाता समूहों के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जाइका वानिकी परियोजना हिमाचल में सामुदायिक विकास एवं आजीविका सुधार के लिए कार्य कर रही है। कार्यशाला में जैव विविधता विशेषज्ञ डा. सुशील काप्टा, डीएफओ नाचन एसएस कश्यप, वीपी पठानिया, जड़ी-बूटी सैल से नेहा चतुर्वेदी, हिमालयन रिसर्च ग्रुप के निदेशक डा. लाल सिंह समेत 150 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने नाचन वन मंडल में हो रहे कार्यों की समीक्षा की। गत बुधवार को एक दिवसीय कार्यशाला एवं समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए नागेश गुलेरिया ने परियोजना के अंतर्गत इस वन मंडल में अब तक हुए विभिन्न कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। उन्होंने यहां उपस्थित स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को आजीविका कमाने के गुर सिखाए। नागेश कुमार गुलेरिया ने सभी फील्ड तकनीकी यूनिट्स को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में नर्सरियों को और सुदृढ़ करने की सख्त जरूरत है। नागेश कुमार गुलेरिया ने अधिकारियों से अब तक किए गए कार्यों की पूरी रिपोर्ट भी मांगी। इस दौरान विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के आय में सृजन करने बारे भी विस्तृत चर्चा की गई।
शिमला, 30 नवंबर ! प्रदेश में विलुप्त होते औषधीय पौधे कड़ू और चिरायता की खेती कर जाइका वानिकी परियोजना ने पहली कामयाबी हासिल की। जिला मंडी के नाचन वन मंडल के तहत छैन मैगल, बुखरास और रोहाल गांव से संबंध रखने वाली महिलाओं के एक समूह ने उक्त दो औषधीय प्रजातियों की पहली खेप उतार दी। वीरवार को नाचन वन मंडल के धंगयारा में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के अवसर पर जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया के समक्ष कड़ू और चिरायता की खेप को दर्शाया गया। इस अवसर पर नागेश कुमार गुलेरिया ने जाइका से जुड़े महिला समूह को इस खेती के लिए बधाई दी।
उन्होंने कहा कि विलुप्त हो रहे ऐसी प्रजातियों की खेती कर मिसाल कायम की है। नागेश कुमार गलेरिया ने कहा कि कड़ू और चिरायता की खेती करने के बाद अब महिला समूह को पैसे मिलना भी शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि मार्केट में इन औषधीय गुणों वाले कड़ू और चिरायता की मांग दिन-प्रति दिन बढ़ रही है। आने वाले समय में जाइका वानिकी परियोजना इस पर और अधिक काम करेगी। नागेश कुमार गुलेरिया ने यहां मौजूद सभी स्वयं सहाता समूहों के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जाइका वानिकी परियोजना हिमाचल में सामुदायिक विकास एवं आजीविका सुधार के लिए कार्य कर रही है।
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कार्यशाला में जैव विविधता विशेषज्ञ डा. सुशील काप्टा, डीएफओ नाचन एसएस कश्यप, वीपी पठानिया, जड़ी-बूटी सैल से नेहा चतुर्वेदी, हिमालयन रिसर्च ग्रुप के निदेशक डा. लाल सिंह समेत 150 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया।
जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने नाचन वन मंडल में हो रहे कार्यों की समीक्षा की। गत बुधवार को एक दिवसीय कार्यशाला एवं समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए नागेश गुलेरिया ने परियोजना के अंतर्गत इस वन मंडल में अब तक हुए विभिन्न कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। उन्होंने यहां उपस्थित स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को आजीविका कमाने के गुर सिखाए।
नागेश कुमार गुलेरिया ने सभी फील्ड तकनीकी यूनिट्स को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में नर्सरियों को और सुदृढ़ करने की सख्त जरूरत है। नागेश कुमार गुलेरिया ने अधिकारियों से अब तक किए गए कार्यों की पूरी रिपोर्ट भी मांगी। इस दौरान विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के आय में सृजन करने बारे भी विस्तृत चर्चा की गई।
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