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शिमला , 01 नवंबर [ विशाल सूद ] ! भाषा एवं संस्कृति विभाग प्रदेश की संस्कृति व साहित्य के संरक्षण व संवर्धन के लिए सदैव प्रयासरत है। इसी उद्देश्य से विभाग समय-समय पर अनेकों साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाता है। यह बात शिमला में आज भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक पंकज ललित ने कही. इसी कड़ी में विभाग 17 से 19 मार्च, 2023 तक तीन दिवसीय मीमांसा- 'बाल साहित्य उत्सव का आयोजन गेपटी थियेटर में करवाने जा रहा है। पंकज ललित ने बताया कि बाल साहित्य में लघु कहानी लेखन, शब्दावली कौशल, नारा लेखन, पोस्टर मेकिंग, बुक मार्क मेकिंग इत्यादि प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया जाएगा। इसमें स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के 25 वर्ष से कम आयु वाले छात्र-छात्रायें भाग ले सकते हैं। इसके लिए प्रतिभागियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा जो निशुल्क होगा। इसमें प्रदेश भर से साढ़े तीन सौ से ज्यादा प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद हैं। उन्होंने बताया कि इस साहित्यिक उत्सव का मकसद बच्चों को एक खुला मंच प्रदान करना है, उन्हें बोलते हुए सुनना, संवादात्मक सत्रों में शामिल होना और साथ ही उन्हें पढ़ने को बढ़ावा देना है। मीमांसा, बच्चों के लेखन को स्वर देने का एक प्रयास है, चाहे वह किताबों के रूप में हो, लघुकथा लेखन के रूप में हो या कविता के रूप में सभी उनके द्वारा लिखे गए हों। Please Submit your Opinion Poll ? [yop_poll id="6"] https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 01 नवंबर [ विशाल सूद ] ! भाषा एवं संस्कृति विभाग प्रदेश की संस्कृति व साहित्य के संरक्षण व संवर्धन के लिए सदैव प्रयासरत है। इसी उद्देश्य से विभाग समय-समय पर अनेकों साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाता है। यह बात शिमला में आज भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक पंकज ललित ने कही. इसी कड़ी में विभाग 17 से 19 मार्च, 2023 तक तीन दिवसीय मीमांसा- 'बाल साहित्य उत्सव का आयोजन गेपटी थियेटर में करवाने जा रहा है।
पंकज ललित ने बताया कि बाल साहित्य में लघु कहानी लेखन, शब्दावली कौशल, नारा लेखन, पोस्टर मेकिंग, बुक मार्क मेकिंग इत्यादि प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया जाएगा। इसमें स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के 25 वर्ष से कम आयु वाले छात्र-छात्रायें भाग ले सकते हैं। इसके लिए प्रतिभागियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा जो निशुल्क होगा। इसमें प्रदेश भर से साढ़े तीन सौ से ज्यादा प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद हैं।
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उन्होंने बताया कि इस साहित्यिक उत्सव का मकसद बच्चों को एक खुला मंच प्रदान करना है, उन्हें बोलते हुए सुनना, संवादात्मक सत्रों में शामिल होना और साथ ही उन्हें पढ़ने को बढ़ावा देना है। मीमांसा, बच्चों के लेखन को स्वर देने का एक प्रयास है, चाहे वह किताबों के रूप में हो, लघुकथा लेखन के रूप में हो या कविता के रूप में सभी उनके द्वारा लिखे गए हों।
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