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शिमला ! स्वतंत्रता आंदोलन में अपना सर्वस्व त्यागने वाले वीरों के जीवन से सीख लेकर हमें आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने आज डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति नाभा शिमला द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव विषय पर आयोजित प्रबुद्धजन संगोष्ठी के बतौर मुख्य अतिथि ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वीर क्रांतिकारियों के जीवन संघर्ष से शिक्षा लेकर आज आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने उल्लेख करते हुए बताया कि हमारी सनातन संस्कृति और प्रबुध व्यवस्था व शिक्षा पद्यति को क्षीण कर देश को गुलाम बनाने का कार्य किया गया। हमारी संस्कृति को योजनापूर्वक समाप्त करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि हम उन सभी गुमनाम वीरों को भी स्मरण करना है, उनके जीवन की जानकारियों को एकत्र समाज के अन्य लोगों तक पहुंचा अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि विगत दिनों में परिवर्तन आया है तथा जनजागृति भी बढ़ी है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ के शिमला विभाग के विभाग प्रचार श्री मनोहर ने भारत को प्राचीन राष्ट्र बताया। जिसने दुनिया को महत्वपूर्ण ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने समृद्ध इतिहास को भूलते हैं तो हम असमर्थता की ओर कूच करते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में हमारे अंदर ऐसे विचार डाले गए जिससे ये भास होने लगा कि हमारे पूर्वजों ने हमें कुछ नहीं दिया। उन्होंने विभिन्न आक्रांताओं के प्रति भारतीय वीर योद्धाओं के किस्सों का भी जिक्र किया जिन्होंने मुगलों, अंग्रेजों को धूल चटाने का साहसिक कार्य किया। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आज उन योद्धाओं के नाम इतिहास पटल पर नजर नहीं आते। उन्होंने आजादी की लड़ाई में महिलाओं के सहयोग का भी वर्णन किया। उन्होंन कहा कि आजादी के हवन कुंड में प्रत्येक व्यक्ति ने अपना योगदान प्रदान कर आत्म गौरव का परिचय दिया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के वीर सैनानियों का जिक्र किया जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया। जिनमें जरनल जोरावर सिंह, वजीर राम सिंह पठानिया और रानी खेरा गढ़ी जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी शामिल है। उन्होंने इस दिशा में ओर अधिक जानकारियां एकत्र करने की अवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें श्रेष्ठ स्वाभिमानी और एक भारत बनाने में सभी को मिल कर सहयोग करना होगा। ताकि हम अपने भारत को पूनः विश्व गुरू स्थापित कर सकें। महाऋर्षि मारकंडेश्वर चिकित्सा विश्वविद्यालय सोलन के कुलपति डॉ. सतेंद्र मिन्हास ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने विचारों में कहा कि आजादी के संघर्ष के गुमनाम योद्धाओं को स्मरण करना तथा उनके बारे में जानकारी एकत्र करना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आजादी के दौरान विभाजन की त्रासदी में लील हुए वीरों को भी स्मरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें हमारी उपलब्धियों का भान होना चाहिए। इन्हे प्राप्त करने के लिए जिन प्रक्रियाओं और मार्गों को अपना गया है उसके प्रति जागरूकता होनी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि महान सपूतों के विचारों के संरक्षण व संवर्धन के लिए हमारे द्वारा किए जाने वाले प्रयासों पर भी गंभीर चिंतन की आवश्यकता है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रामकृष्ण मिशन इकाई के सचिव स्वामी तन्महिमानंद महाराज ने अपने संबोधन में त्याग और सेवा को भारत का राष्ट्रीय आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में त्याग की भावना होना आवश्यक है। इसी निमित हमें अपनी परम्पराओं को समझना होगा। हमारा कर्तव्य ही राष्ट्र सेवा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को भावनाओं के साथ जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है। जिला संपर्क प्रमुख महेश ने आभार उद्बोधन में कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आभार व्यक्त करते हुए सभी वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए विचारों पर गंभीरता से गौर करने की आवश्यकता पर बल दिया। ताकि आजादी के अमृत महोत्सव के उद्देश्य की पूर्णता को प्राप्त किया जा सके। कार्यक्रम में अध्यक्ष डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति अजय सूद, सचिव मनोज कपूर, जिला टोली सदस्य लभ्य शील, विभाग संपर्क प्रमुख डॉ. बलवंत सदरेट, जिला संपर्क प्रमुख महेश सहित क्षेत्र के कई गणमान्य जन उपस्थित रहे।
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