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शिमला ,23 नवंबर ! गत बुधवार को ग्रे-वाटर प्रबंधन पर एक व्यापक जागरूकता अभियान और सर्वेक्षण की शुरुआत हुई, जिसका लक्ष्य प्रदेश के सभी 16,243 गांवों में ग्रे-वाटर प्रबन्धन हेतु वातावरण का निर्माण व योजना बनाना है।इस सर्वेक्षण के माध्यम से प्रत्येक गांव के लिए ग्रे-वाटर प्रबंधन की ग्रामीण कार्य योजना तैयार की जाएगी। मुखयतः इस सम्पूर्ण कार्यक्रम को जन जागरूकता अभियान के रूप में किया जा रहा है जिसमें लोगों को ग्रे-वाटर प्रबन्धन की जानकारी भी दी जाएगी व साथ ही उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के भी इस माध्यम से प्रयास होगा। हिमाचल प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण द्वारा इस कार्य को किया जा रहा है जिसमें तकनीकी सहायता व मार्गदर्शन के लिए वाश इंस्टीट्यूट भी शामिल है। वाश इंस्टीट्यूट के अनुसार यह सर्वेक्षण 88 ब्लॉकों में सम्मिलित 1,744 सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (महिलाओं) द्वारा किया जा रहा है। इस हेतु राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के चुने गए को प्रशिक्षित किया गया है ताकि वे इस सर्वेक्षण को कर सकें। वाश इंस्टीट्यूट ने एक मोबाइल ऐप्लिकेशन विकसित किया है जिसके माध्यम से ग्रे-वाटर प्रबंधन संबंधित जानकारी को प्राप्त किया जा सकेगा, जिससे प्रत्येक गांव की योजना तैयार की जा सकेगी। स्वच्छ भारत मिशन के मानकों के अनुसार, राज्य को ओडीएफ प्लस में श्रेणीबद्ध किया गया है, और अब गांवों को आदर्श ओडीएफ स्तर में लाने का प्रयास किया जा रहा है।यह सर्वेक्षण ग्रे-वाटर प्रबंधन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक संयुक्त प्रयास है, जिसमें राज्य के सभी नागरिकों और विशेष रूप से पंचायती राज प्रतिनिधियों का सहयोग महत्वपूर्ण होगा।
शिमला ,23 नवंबर ! गत बुधवार को ग्रे-वाटर प्रबंधन पर एक व्यापक जागरूकता अभियान और सर्वेक्षण की शुरुआत हुई, जिसका लक्ष्य प्रदेश के सभी 16,243 गांवों में ग्रे-वाटर प्रबन्धन हेतु वातावरण का निर्माण व योजना बनाना है।इस सर्वेक्षण के माध्यम से प्रत्येक गांव के लिए ग्रे-वाटर प्रबंधन की ग्रामीण कार्य योजना तैयार की जाएगी। मुखयतः इस सम्पूर्ण कार्यक्रम को जन जागरूकता अभियान के रूप में किया जा रहा है जिसमें लोगों को ग्रे-वाटर प्रबन्धन की जानकारी भी दी जाएगी व साथ ही उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के भी इस माध्यम से प्रयास होगा। हिमाचल प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण द्वारा इस कार्य को किया जा रहा है जिसमें तकनीकी सहायता व मार्गदर्शन के लिए वाश इंस्टीट्यूट भी शामिल है। वाश इंस्टीट्यूट के अनुसार यह सर्वेक्षण 88 ब्लॉकों में सम्मिलित 1,744 सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (महिलाओं) द्वारा किया जा रहा है।
इस हेतु राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के चुने गए को प्रशिक्षित किया गया है ताकि वे इस सर्वेक्षण को कर सकें। वाश इंस्टीट्यूट ने एक मोबाइल ऐप्लिकेशन विकसित किया है जिसके माध्यम से ग्रे-वाटर प्रबंधन संबंधित जानकारी को प्राप्त किया जा सकेगा, जिससे प्रत्येक गांव की योजना तैयार की जा सकेगी।
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स्वच्छ भारत मिशन के मानकों के अनुसार, राज्य को ओडीएफ प्लस में श्रेणीबद्ध किया गया है, और अब गांवों को आदर्श ओडीएफ स्तर में लाने का प्रयास किया जा रहा है।यह सर्वेक्षण ग्रे-वाटर प्रबंधन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक संयुक्त प्रयास है, जिसमें राज्य के सभी नागरिकों और विशेष रूप से पंचायती राज प्रतिनिधियों का सहयोग महत्वपूर्ण होगा।
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