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लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी के पट्टन घाटी में स्नों फेस्टिवल के दौरान चांदी के आभूषणो में सुस्सजित महिलाएं देखने को मिली। ,परंपरागत आभूषण लुप्त होने की कगार में हैं लेकिन जनजातीय जिला लाहौल घाटी में स्नो फेस्टिवल के दौरान लोगों में फिर चांदी के परम्परागत आभूषणों में चमक फिर लौट आई है। लाहौल घाटी में मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों में भी विभिन्न संस्कृति व धार्मिकों अनुष्ठानों में महिलाएं इन आभूषणों को पहनना लग पड़ी हैं। अब हर तीसरा आदमी इन आभूषणों को बनवाने पर खर्च कर रहा है। फैशन के दौरान भी महिलाएं इन आभूषणों पर बाड़ी मूलन, चंद्र हार को तरजीह दे रहे हैं। इसमें पोशल ओर परेग लगवाने के लिए लाखो रुपए खर्च कर रहे हैं। लाहौल घाटी में चल रहे स्नो फेस्टिवल में महिलाओं को परम्परागत आभूषणों में सुसज्जित देख हर किसी को अपना मुरीद बना रही है। इन गहनों की बनावट व चमक ऐसी होती है कि हर कोई इसकी और आकर्षित होता हैं।
लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी के पट्टन घाटी में स्नों फेस्टिवल के दौरान चांदी के आभूषणो में सुस्सजित महिलाएं देखने को मिली। ,परंपरागत आभूषण लुप्त होने की कगार में हैं लेकिन जनजातीय जिला लाहौल घाटी में स्नो फेस्टिवल के दौरान लोगों में फिर चांदी के परम्परागत आभूषणों में चमक फिर लौट आई है। लाहौल घाटी में मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों में भी विभिन्न संस्कृति व धार्मिकों अनुष्ठानों में महिलाएं इन आभूषणों को पहनना लग पड़ी हैं। अब हर तीसरा आदमी इन आभूषणों को बनवाने पर खर्च कर रहा है। फैशन के दौरान भी महिलाएं इन आभूषणों पर बाड़ी मूलन, चंद्र हार को तरजीह दे रहे हैं। इसमें पोशल ओर परेग लगवाने के लिए लाखो रुपए खर्च कर रहे हैं। लाहौल घाटी में चल रहे स्नो फेस्टिवल में महिलाओं को परम्परागत आभूषणों में सुसज्जित देख हर किसी को अपना मुरीद बना रही है। इन गहनों की बनावट व चमक ऐसी होती है कि हर कोई इसकी और आकर्षित होता हैं।
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