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लाहौल , 14 जनवरी [ रंजीत लाहौली ] ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी में सर्दियाँ शुरू होते ही कई त्यौहार और उत्सव मनाए जाते है। सबसे पहले लोहड़ी उत्सव मनाते है। लोहड़ी के बाद ही मंदिरों के कपाट तीन माह के लिए बंद हो जाता है। ऐसे मान्यता है कि तीन महीने के लिए देवी देवता स्वर्ग प्रवास में चले जाते हैं। लेकिन लोहड़ी, हालडा और फागली उत्सव मनाते समय पुनः देवी देवता सिर्फ इन उत्सव के दिन ही घरती पर लौटते हैं। बैसाखी के दिन वापस देवी देवता अपने मंदिरों में वापस लौटते हैं। लाहौल घाटी में कुछ एक मंदिर को छोड़कर सभी मंदिर के दरवाजे बंद होते है। लाहौल घाटी में सर्दियों में जो त्यौहार और उत्सव मनाए जाते है उनकी अपनी अलग पहचान होती है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
लाहौल , 14 जनवरी [ रंजीत लाहौली ] ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी में सर्दियाँ शुरू होते ही कई त्यौहार और उत्सव मनाए जाते है। सबसे पहले लोहड़ी उत्सव मनाते है। लोहड़ी के बाद ही मंदिरों के कपाट तीन माह के लिए बंद हो जाता है। ऐसे मान्यता है कि तीन महीने के लिए देवी देवता स्वर्ग प्रवास में चले जाते हैं।
लेकिन लोहड़ी, हालडा और फागली उत्सव मनाते समय पुनः देवी देवता सिर्फ इन उत्सव के दिन ही घरती पर लौटते हैं। बैसाखी के दिन वापस देवी देवता अपने मंदिरों में वापस लौटते हैं।
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लाहौल घाटी में कुछ एक मंदिर को छोड़कर सभी मंदिर के दरवाजे बंद होते है। लाहौल घाटी में सर्दियों में जो त्यौहार और उत्सव मनाए जाते है उनकी अपनी अलग पहचान होती है।
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