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लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी के" नालडा" गांव में फागली के दूसरे दिन" पुनाह "में सैकड़ों लोग धरती पूजन के गवाह बने। ठाकुर की राजपाठ के दिनों अमीरी गरीबी मतभेद मिटाने की परंपरा आज नालडा गावं में दिखने को मिलती है। शनिवार को " पुनाह " में सैकड़ों लोग पुरातन संस्कृति के गवाह बने। नालडा गांव में धरती पूजन "पुनाह" के दौरान ग्रामीणों ने एक दूसरे से पूरी इकठ्ठा करने कि प्रथा कायम है। इस गांव के लोगों ने शनिवार के दिन धरती पूजन "पुनाह" में गांव में हर व्यक्ति के लिए चार चार पूरी उठाई ,इसके बाद गांव में हर परिवार में जितने पुरुष है उतने पूरी उनको देते है बाकयदा धरती पूजन में पट्टन घाटी में अधिकतर गावं के लोगों ने आटे से बनी बकरी की बलि दी,और सभी देवी देवताओं को समर्पित की। नालडा गांव के पुजारी हीरा लाल ने कहा है कि सैकड़ों साल पहले लाहौल में भयानक अकाल पड़ा था, सतयुग के उन दिनों देवता राजा बलि ने देवताओं को बुलाकर एक विशाल यज्ञ करवाया था इसमें भगवान शिव को निमंत्रण दिया ,यज्ञ का आयोजन शाम से सुबह चार बजे तक रखा,जिसमे तय यह हुआ कि दानव इस यज्ञ में खलल डाले तो दानव राज रहेगा,अन्यथा देवताओं का राज रहेगा बताया गया है कि यज्ञ में खलल नहीं पड़ने कुछ दिनों बाद भरपूर बारिश के बाद अनाज पैदा हुआ उस दिन के बाद लाहौल के पट्टन घाटी में फागली पुनाह मनाया जाता है।
लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी के" नालडा" गांव में फागली के दूसरे दिन" पुनाह "में सैकड़ों लोग धरती पूजन के गवाह बने। ठाकुर की राजपाठ के दिनों अमीरी गरीबी मतभेद मिटाने की परंपरा आज नालडा गावं में दिखने को मिलती है। शनिवार को " पुनाह " में सैकड़ों लोग पुरातन संस्कृति के गवाह बने। नालडा गांव में धरती पूजन "पुनाह" के दौरान ग्रामीणों ने एक दूसरे से पूरी इकठ्ठा करने कि प्रथा कायम है। इस गांव के लोगों ने शनिवार के दिन धरती पूजन "पुनाह" में गांव में हर व्यक्ति के लिए चार चार पूरी उठाई ,इसके बाद गांव में हर परिवार में जितने पुरुष है उतने पूरी उनको देते है बाकयदा धरती पूजन में पट्टन घाटी में अधिकतर गावं के लोगों ने आटे से बनी बकरी की बलि दी,और सभी देवी देवताओं को समर्पित की।
नालडा गांव के पुजारी हीरा लाल ने कहा है कि सैकड़ों साल पहले लाहौल में भयानक अकाल पड़ा था, सतयुग के उन दिनों देवता राजा बलि ने देवताओं को बुलाकर एक विशाल यज्ञ करवाया था इसमें भगवान शिव को निमंत्रण दिया ,यज्ञ का आयोजन शाम से सुबह चार बजे तक रखा,जिसमे तय यह हुआ कि दानव इस यज्ञ में खलल डाले तो दानव राज रहेगा,अन्यथा देवताओं का राज रहेगा बताया गया है कि यज्ञ में खलल नहीं पड़ने कुछ दिनों बाद भरपूर बारिश के बाद अनाज पैदा हुआ उस दिन के बाद लाहौल के पट्टन घाटी में फागली पुनाह मनाया जाता है।
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