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लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी में हिमाचल सरकार ने मंगलवार को लाहौल में दिवंगत टशी छेरींग के चमत्कारी हाथ को मान्यता देते हुए जिला आयुर्वेदिक अस्पताल का नाम टशी छेरींग कर दिया है । प्रदेश सरकार की केबिनेट ने इस शख्सियत को याद किया। अस्पताल के नामकरण का प्रपोजल लाहौल स्पीति के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों ने सरकार को भेजा था , जिसे मंत्री रामलाल मारकंडे ने केबिनेट में इसे प्रमुखतः से उठाया था। अपने हाथों के हुनर के दम पर अनगिनत लोगों को जीवनदान दिया है, उनके हाथों में कई चमत्कार हुए, राशेल गाँव के दिवंगत टशी छेरींग को पूरा लाहौल लेचाड मेमे के नाम से जानता है। राशेल गाँव में बर्ष 1922 में जन्मे टशी छेरींग बचपन से ही धार्मिक प्रवति के थे। उस दौर लाहौल में कई लोग रोजगार की तलाश में चम्बा के चुराह में जाते थे । लेचाड मेमे ने चुराह मे टुटी हडडी जोडने वाले एक गुरु से दीक्षा प्राप्त की हुई थी। समय बीतने के बाद लेचाड मेमे इस बिधि में पारंगत होते गए टूटी हड्डियों के पेचीदा मामले को भी लेचाड मेमे ने एक हडडी विशेषज्ञ चिकित्सक की भांति हल किया । बताते हैं कि पीजीआई और एम्स तक से ऐसे मामले उनके पास आते थे । लगभग 84 साल में लेचाड मेमे इस दुनिया को अलविदा कर चले गए । पिछले साल लाहौल में स्नो फेस्टिवल के दौरान भी लेचाड मेमे की बर्फ की आकृति बना कर उन्हे श्रद्धांजलि भी दी गई थी।
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