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लाहौल ! जनजातीय लाहौल के पट्टन घाटी में हालडा बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है ! लाहौल घाटी में हालडा एक बहुत बड़ा त्यौहार है ! यह पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है ! इस में लोग छोटे-छोटे मशाल को जलाकर खेतों में ले जाते हैं और स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा करते है ! यह एक पारम्परिक मान्यता वाला त्यौहार है ! पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गांव के लोग पूर्णिमा वाली रात को ठीक 12 बजे बड़ी मशाल जलाकर बुरी आत्माओं को हल्ला हो करके भगाते हैं और गांव के बड़े बुजुर्ग एक जगहा इकट्ठे हो कर नाचते हुए अपने अपने घर जाते हैं और घर में हालडा से मन्नत मांगते हैं की उन्हें और उनके परिवार को बुरी आत्माओं के प्रकोप से बचा के रखे ! यह एक लाहौल घाटी की स्थानीय मान्यता है जिसको घाटी के लोग आज भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते चले आ रहे है !
लाहौल ! जनजातीय लाहौल के पट्टन घाटी में हालडा बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है ! लाहौल घाटी में हालडा एक बहुत बड़ा त्यौहार है ! यह पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है ! इस में लोग छोटे-छोटे मशाल को जलाकर खेतों में ले जाते हैं और स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा करते है ! यह एक पारम्परिक मान्यता वाला त्यौहार है !
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गांव के लोग पूर्णिमा वाली रात को ठीक 12 बजे बड़ी मशाल जलाकर बुरी आत्माओं को हल्ला हो करके भगाते हैं और गांव के बड़े बुजुर्ग एक जगहा इकट्ठे हो कर नाचते हुए अपने अपने घर जाते हैं और घर में हालडा से मन्नत मांगते हैं की उन्हें और उनके परिवार को बुरी आत्माओं के प्रकोप से बचा के रखे ! यह एक लाहौल घाटी की स्थानीय मान्यता है जिसको घाटी के लोग आज भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते चले आ रहे है !
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