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मंडी , 08 जनवरी ! आगामी 5 अप्रैल को दिल्ली में होने वाले संसद मार्च को सफ़ल बनाने के लिए मज़दूर संगठन सीटू और हिमाचल किसान सभा के सयुंक्त तत्वधान में आज मंडी के कामरेड तारा चंद में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और हिमाचल किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने की और सम्मेलन का उदघाटन सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर सिंह ठाकुर ने किया और समापन पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने किया। सम्मेलन को अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय नेता पुष्पेंद्र त्यागी,प्रेम गौतम, ओंकार शाद, होतम सौंखला, भूपेंद्र सिंह ने भी संबोधित किया। डॉक्टर कश्मीर ठाकुर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार निरंतर मज़दूर व किसान विरोधी नीतियां लागू कर रही है सरकार ने सब कुछ अपने निजी मित्रों और कम्पनियों को देश बेचने का अभियान छेड़ रखा है। महँगाई लगातार बढ़ती जा रही है स्थायी रोज़गार के बजाये पार्ट टाइम और फिक्स्ड टर्म के रोज़गार देने की नीति लागू की जा रही है। राकेश सिंघा ने कहा की केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के लंबे आंदोलन के बाद काले कृषि क़ानून वापिस ले लिए थे और न्यून्तम समर्थन मूल्य की गारंटी क़ानूनी तौर पर करने का वादा किया था लेकिन अभी तक इस बारे सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। सरकार की इन किसान विरोधी नीतियों के कारण हिमाचल प्रदेश में बागवानी और कृषि क्षेत्र में लगे बागवान भारी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। मजदूरों के लिए भी ऐसे ही चार श्रम कोड बना दिये गए हैं जिनके लागू होने से मज़दूरों द्धारा लंबे संघर्षों के बाद हॉसिल अधिकारों को छिने जाने की योजना है। जिसके ख़िलाफ़ मज़दूरों और किसानों के संगठनों ने 5 अप्रैल को दिल्ली में संसद भवन तक मार्च निकालने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले निचले स्तर पर जन जागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया गया जिसके चलते महदूरों और किसानों को जागरूक किया जायेगा और पर्चा वितरण किया जायेगा।जिसके तहत सभी कामगारों को न्यूनतम 26 हज़ार रुपये वेतन और दस हजार रुपये पेंशन देने, चार श्रम सहिंताओं औऱ सँशोधित बिजली विधेयक को वापस लेने,सभी कृषि उत्पादों के लिए एम एस पी लागू करने, सभी ग़रीब और मध्यम किसानों के ऋण माफ़ करने और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को पेंशन देने, मनरेगा में दो सौ दिनों का रोज़गार और 600 रु दैनिक वेतन देने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाने, बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने और आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी से बाहर करने, पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस से केंद्रीय एक्ससाईज डियूटी कम करने, सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली को मजबूत करने और सभी आवश्यक खाद्य सामग्री डिपुओं के माध्यम से उपलब्ध कराने, वन अधिकार क़ानून को सख्ती से लागू करने, पिछड़े तबकों का दमन रोकने और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने, सभी नागरिकों के लिए सार्वभौमिक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य और शिक्षा सुनिश्चित करने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वापिस लेने, सभी के लिए आवास सुनिश्चित करने और अति अमीरों और कारपोरेट घरानों पर टैक्स की दर बढ़ाने और गरीबों के लिए घटाने की नीति लागू की जाये। सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि 10 फ़रवरी तक ज़िला व खण्ड स्तर पर सम्मेलन तथा 11 फ़रवरी से 10 मार्च तक घर घर जनसम्पर्क अभियान चलाया जाएगा जिसमें एक लाख घरों तक दस्तक दी जाएगी। उसके बाद 15 मार्च को ज़िला व खण्ड स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
मंडी , 08 जनवरी ! आगामी 5 अप्रैल को दिल्ली में होने वाले संसद मार्च को सफ़ल बनाने के लिए मज़दूर संगठन सीटू और हिमाचल किसान सभा के सयुंक्त तत्वधान में आज मंडी के कामरेड तारा चंद में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और हिमाचल किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने की और सम्मेलन का उदघाटन सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर सिंह ठाकुर ने किया और समापन पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने किया।
सम्मेलन को अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय नेता पुष्पेंद्र त्यागी,प्रेम गौतम, ओंकार शाद, होतम सौंखला, भूपेंद्र सिंह ने भी संबोधित किया। डॉक्टर कश्मीर ठाकुर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार निरंतर मज़दूर व किसान विरोधी नीतियां लागू कर रही है सरकार ने सब कुछ अपने निजी मित्रों और कम्पनियों को देश बेचने का अभियान छेड़ रखा है। महँगाई लगातार बढ़ती जा रही है स्थायी रोज़गार के बजाये पार्ट टाइम और फिक्स्ड टर्म के रोज़गार देने की नीति लागू की जा रही है।
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राकेश सिंघा ने कहा की केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के लंबे आंदोलन के बाद काले कृषि क़ानून वापिस ले लिए थे और न्यून्तम समर्थन मूल्य की गारंटी क़ानूनी तौर पर करने का वादा किया था लेकिन अभी तक इस बारे सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है।
सरकार की इन किसान विरोधी नीतियों के कारण हिमाचल प्रदेश में बागवानी और कृषि क्षेत्र में लगे बागवान भारी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। मजदूरों के लिए भी ऐसे ही चार श्रम कोड बना दिये गए हैं जिनके लागू होने से मज़दूरों द्धारा लंबे संघर्षों के बाद हॉसिल अधिकारों को छिने जाने की योजना है। जिसके ख़िलाफ़ मज़दूरों और किसानों के संगठनों ने 5 अप्रैल को दिल्ली में संसद भवन तक मार्च निकालने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले निचले स्तर पर जन जागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया गया जिसके चलते महदूरों और किसानों को जागरूक किया जायेगा और पर्चा वितरण किया जायेगा।जिसके तहत सभी कामगारों को न्यूनतम 26 हज़ार रुपये वेतन और दस हजार रुपये पेंशन देने, चार श्रम सहिंताओं औऱ सँशोधित बिजली विधेयक को वापस लेने,सभी कृषि उत्पादों के लिए एम एस पी लागू करने, सभी ग़रीब और मध्यम किसानों के ऋण माफ़ करने और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को पेंशन देने, मनरेगा में दो सौ दिनों का रोज़गार और 600 रु दैनिक वेतन देने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाने, बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने और आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी से बाहर करने, पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस से केंद्रीय एक्ससाईज डियूटी कम करने, सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली को मजबूत करने और सभी आवश्यक खाद्य सामग्री डिपुओं के माध्यम से उपलब्ध कराने, वन अधिकार क़ानून को सख्ती से लागू करने, पिछड़े तबकों का दमन रोकने और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने, सभी नागरिकों के लिए सार्वभौमिक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य और शिक्षा सुनिश्चित करने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वापिस लेने, सभी के लिए आवास सुनिश्चित करने और अति अमीरों और कारपोरेट घरानों पर टैक्स की दर बढ़ाने और गरीबों के लिए घटाने की नीति लागू की जाये।
सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि 10 फ़रवरी तक ज़िला व खण्ड स्तर पर सम्मेलन तथा 11 फ़रवरी से 10 मार्च तक घर घर जनसम्पर्क अभियान चलाया जाएगा जिसमें एक लाख घरों तक दस्तक दी जाएगी। उसके बाद 15 मार्च को ज़िला व खण्ड स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
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