
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
बिलासपुर , 10 अप्रैल [ राकेश शर्मा ] ! सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने कहा कि राजनीतिक द्वेष भावना से काम करना और जनविरोधी फैसले लेना मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की आदत बन चुकी है। सवा साल के कार्यकाल में वह कई बार इसका प्रमाण दे चुके हैं। बिलासपुर में विकास का कोई नया काम शुरू करना तो दूर, उन्होंने सरकार बनते ही भाजपा कार्यकाल में लोगों की सुविधा के मद्देनजर स्थापित किए गए कई संस्थान बंद कर दिए। इससे भी उनका दिल नहीं भरा तो राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के एमएंडटी (मेंटेनेंस एंड टैस्टिंग) सर्कल ऑफिस को भी बिलासपुर से हमीरपुर शिफ्ट कर दिया गया। उनकी तानाशाही और मनमानी से दुखी होकर ही कई विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी है। भाजपा द्वारा उन्हें प्रत्याशी बनाने से मुख्यमंत्री की बौखलाहट और अधिक बढ़ गई है। इन नेताओं के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियों से उनकी हताशा और निराशा साफ तौर पर नजर आ रही है। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि सुक्खू सरकार शुरू से ही बदले की भावना से काम कर रही है। अपने राजनीतिक विरोधियों को बेवजह परेशान करने के लिए इस सरकार ने कई तरह के घटिया हथकंडे अपनाए। कांग्रेस के सत्ता में आते ही भाजपा सरकार के समय जनहित में खोले गए 1000 से अधिक संस्थान बंद कर दिए गए, जबकि उनमें कामकाज शुरू हो चुका था। ऐसे तुगलकी आदेश जारी करने से पहले यह भी नहीं सोचा गया कि इसका खामियाजा कांग्रेस सरकार के राजनीतिक विरोधियों को नहीं, बल्कि आम जनता को भुगतना पड़ेगा। डीनोटिफाई किए गए इन संस्थानों में एम्स जैसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान के मद्देनजर कोठीपुरा में स्थापित किया गया जल शक्ति विभाग का डिविजन ऑफिस, हरलोग उप तहसील, बरमाणा पीएचसी, कुठेड़ा में जल शक्ति विभाग का सब-डिविजन तथा जबल्याणा में हेल्थ सब-सेंटर आदि शामिल हैं। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि जब संस्थान डिनोटिफाई करने जैसा जनविरोधी निर्णय लेने से भी कांग्रेस सरकार को तसल्ली नहीं हुई तो उसने राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के एमएंडटी (मेंटेनेंस एंड टैस्टिंग) सर्कल ऑफिस को भी हमीरपुर शिफ्ट कर दिया। बिलासपुर में लगभग 40 वर्षों से चल रहे इस ऑफिस को सभी पदों के साथ हमीरपुर में नए खोले गए चीफ इंजीनियर ऑफिस (ऑपरेशन) में मर्ज कर दिया गया। यह केवल बिलासपुर की बात नहीं है। अन्य जिलों में भी मुख्यमंत्री ने इसी तरह मनमाने फैसले लिए। उनकी इसी मनमानी से दुखी होकर कांग्रेस के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ी है। भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन मुख्यमंत्री अभी भी उनके खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियां करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस सरकार ने सवा साल में ऐसा एक भी काम नहीं किया है, जिसे वह चुनाव में अपनी उपलब्धि के रूप में गिना सके। अपनी नाकामियों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस नेताओं द्वारा चुनाव में इधर-उधर की हांकी जा रही है, लेकिन प्रदेश की जनता उन्हें सबक सिखाने की ठान चुकी है।
बिलासपुर , 10 अप्रैल [ राकेश शर्मा ] ! सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने कहा कि राजनीतिक द्वेष भावना से काम करना और जनविरोधी फैसले लेना मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की आदत बन चुकी है। सवा साल के कार्यकाल में वह कई बार इसका प्रमाण दे चुके हैं।
बिलासपुर में विकास का कोई नया काम शुरू करना तो दूर, उन्होंने सरकार बनते ही भाजपा कार्यकाल में लोगों की सुविधा के मद्देनजर स्थापित किए गए कई संस्थान बंद कर दिए। इससे भी उनका दिल नहीं भरा तो राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के एमएंडटी (मेंटेनेंस एंड टैस्टिंग) सर्कल ऑफिस को भी बिलासपुर से हमीरपुर शिफ्ट कर दिया गया।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
उनकी तानाशाही और मनमानी से दुखी होकर ही कई विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी है। भाजपा द्वारा उन्हें प्रत्याशी बनाने से मुख्यमंत्री की बौखलाहट और अधिक बढ़ गई है। इन नेताओं के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियों से उनकी हताशा और निराशा साफ तौर पर नजर आ रही है।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि सुक्खू सरकार शुरू से ही बदले की भावना से काम कर रही है। अपने राजनीतिक विरोधियों को बेवजह परेशान करने के लिए इस सरकार ने कई तरह के घटिया हथकंडे अपनाए। कांग्रेस के सत्ता में आते ही भाजपा सरकार के समय जनहित में खोले गए 1000 से अधिक संस्थान बंद कर दिए गए, जबकि उनमें कामकाज शुरू हो चुका था।
ऐसे तुगलकी आदेश जारी करने से पहले यह भी नहीं सोचा गया कि इसका खामियाजा कांग्रेस सरकार के राजनीतिक विरोधियों को नहीं, बल्कि आम जनता को भुगतना पड़ेगा। डीनोटिफाई किए गए इन संस्थानों में एम्स जैसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान के मद्देनजर कोठीपुरा में स्थापित किया गया जल शक्ति विभाग का डिविजन ऑफिस, हरलोग उप तहसील, बरमाणा पीएचसी, कुठेड़ा में जल शक्ति विभाग का सब-डिविजन तथा जबल्याणा में हेल्थ सब-सेंटर आदि शामिल हैं।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि जब संस्थान डिनोटिफाई करने जैसा जनविरोधी निर्णय लेने से भी कांग्रेस सरकार को तसल्ली नहीं हुई तो उसने राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के एमएंडटी (मेंटेनेंस एंड टैस्टिंग) सर्कल ऑफिस को भी हमीरपुर शिफ्ट कर दिया।
बिलासपुर में लगभग 40 वर्षों से चल रहे इस ऑफिस को सभी पदों के साथ हमीरपुर में नए खोले गए चीफ इंजीनियर ऑफिस (ऑपरेशन) में मर्ज कर दिया गया। यह केवल बिलासपुर की बात नहीं है। अन्य जिलों में भी मुख्यमंत्री ने इसी तरह मनमाने फैसले लिए। उनकी इसी मनमानी से दुखी होकर कांग्रेस के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ी है।
भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन मुख्यमंत्री अभी भी उनके खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियां करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस सरकार ने सवा साल में ऐसा एक भी काम नहीं किया है, जिसे वह चुनाव में अपनी उपलब्धि के रूप में गिना सके। अपनी नाकामियों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस नेताओं द्वारा चुनाव में इधर-उधर की हांकी जा रही है, लेकिन प्रदेश की जनता उन्हें सबक सिखाने की ठान चुकी है।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -