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बिलासपुर ! भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर द्वारा आज को संस्कृति भवन बिलासपुर के बैठक कक्ष में मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री चन्द्रशेखर पन्त, अध्यक्षता श्री सुशील पुण्डीर तथा मंच का संचालन सेवानिवृत्त ज़िला भाषा अधिकारी डॉ0 अनीता शमा ने किया । कार्यक्रम का शुभारम्भ साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती का दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मां सरस्वती की वन्दना श्रीमती ललिता कश्यप ने प्रस्तुत की। सर्वप्रथम साहित्यकारों द्वारा पार्श्व गायक भूपेन्द्र के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रदांजलि अर्पित की। अमर नाथ धीमान ने ‘‘ केहड़ा बांका म्हांचल म्हारा केहड़ी बांकी इसरी शान, प्रदीप गुप्ता ने ‘‘ हास्य व्यंग्य रचना‘‘ जब से मेरी पत्नी ने मायके जाने की ठानी है। हुसैन अली ने - दिल भी उसी के पास है, सांसे भी उसी के पास । अनीश ठाकुर की पंक्तियां थीं - मेरे हिमाचले री शान ही बड़ी निराली‘। एस. आर. आजाद ने - सावन बैरी ऐसा आया, अम्बर से मेघा बरस गया ‘‘। जय महवाल ने -देखा ओ लोको आई ऐ केड़ी बरसात, नेरी एड़ी पईगई तियां जे हुई जांई रात‘। शिवपाल गर्ग ने - तारेयां परी ए रात बड़ी। रविन्द्र भटटा- एक बार पुस्तकालय मंे चहल -पहल थी परन्तु आज वहां सूने खण्डहर की तरह नजारा है। रविन्द्र कुमार शर्मा ने पहाड़ी रचना - दूजे रा घर नी बसणा चाहिदा, अपने कहरा सैन्टी जाए पवंे अग्ग,। सुरेन्द्र मिन्हास ने- स्कूला तांजे हऊं जाणे लग्या, बिगडीरा कबिन्डा कोई डराणे लग्या,। सुशील पुण्डीर ने -‘सांप बेचारा‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थीं- सांप तो यूं ही बदनाम है बेचारा,जहरीला सांप नहीं जहरीला इन्सान है‘। आनन्द सोहर ने- न दिल उदास होगा, न आंसू ही बहेंगे, अपने करीब रख लिया खुले मुंह जम्हाईयां‘। डॉ0 अनीता शर्मा ने - निरन्तर युद्ध जारी रहे, एकता युद्ध जारी रहे। आओ युद्ध करें बेरोजगारी से, गरीबी भूखमरी बीमारी से, बढ़ती जनसंख्या के विरूद्ध युद्ध जारी रहे‘।शीला सिंह ने - बिलासपुर की महान विभूति- स्व0 शब्बीर कुरैसी‘। ललिता कश्यप ने- दोहे (सावन) प्रस्तुत किए- सावन आया नाचता, संग बरखा बहार, मेघराज भी झूमता, गाता गीत मल्हार‘। चन्द्र शेखर पन्त ने - जो हत्यारे राष्ट्र पुरूष हैं उन्हें जलाना लाजिम है। मुख्य अतिथि चन्द्रशेखर पन्त ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता साहित्यकारों का अधिकार है और साहित्य जो है वह तहजीबों का तीर्थ स्थल है। अन्त में ज़िला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने सभी साहित्यकारों का इस कार्यक्रम में रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए आभार व्यक्त किया।
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