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बिलासपुर ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने कहा कि कुष्ठ रोग अन्य बीमारीयों की भांति एक इलाज योग्य बीमारी है। यह रोग एक ऐसा रोग है जो माईकोवैक्टीरियम लैपरी के कारण होता है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी आम स्वास्थ्य समस्या नहीं है लेकिन अभी भी इसका विषाणु वातावरण में व्याप्त है क्योंकि जिला में अभी तक इसके दो रोगी हैं जिनका निशुल्क ईलाज किया जा रहा है। यह बीमारी खांसने छिकने व लम्बे समय तक संक्रामक रोगी के साथ रहने से फैलती है। इसके कारण व्यक्ति के शरीर में त्वचा पर हलके पीले रंग के दाग, तांबे रंग के दाग, जिनमें छुने पर चेतना का एहसास न हों, शरीर के किसी भाग में नसों का मोटा होना, हाथों की उंगलियों की पकड कम होना, आंखों की पलकों का बन्द न होना, भोहों के बालों का कम होना, शरीर के घावों का लम्बे समय तक ठीक न होना आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि जिला को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के हर सम्भव प्रयास किए जा रहे है तथा विभाग द्वारा समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। समाज को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के विशेष अभियान चलाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि लोगों को कुष्ठ रोग के लक्षणों और निवारण तथा समाज में इस रोग के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने के बारे में जागरूक करने के प्रयास लगातार जारी हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी को इस प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं तो तुरन्त चिकित्सक को दिखाएं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों से आवाहन किया है कि सत्य की राह पर चलते हुए जीवन में नेक काम करते रहें तथा समाज में लोगों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा इस बीमारी के प्रति किए गये कार्यों से प्रेरणा लेकर जीवन के लक्ष्य तथा महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में लोगों को जागरूक करें। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी ने कुष्ठ रोग से पीडित मरीजों की बिना किसी भेदभाव से सेवा की और समाज में प्रेरणा स्त्रोत बनें। इस क्षेत्र में विनोवा भावे, मदर टेरिसा आदि विभूतियों ने भी पूर्ण रुप से बढ-चढकर कार्य किया और यह सिखाते हैं कि हमें समाज को इस रोग से पीडित मरीजों से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए और समाज में उन्हे बराबर का दर्जा प्रदान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग साध्य रोग है इसका पूर्ण इलाज करने से मरीज पूर्ण रुप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता है। उन्होंने बताया कि इस रोग की जैसे ही दवाई शुरु की जाती है वैसे ही वायरस दूसरों मे संचरण करना बंद हो जाता है। इसमें आशा कार्यकर्ता की अहम भूमिका होती है ऐसे रोगियों को ढुढंकर लाना व उनका इलाज करवाना व सही जानकारी मुहिया करवाना ही उनका काम है। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता यदि संदिग्ध कुष्ठ रोगी को बीना डीफाॅरमीटी के अस्पताल लाती है तो उसे 250 रुपये प्रति रोगी मिलते हैं, यदि रोगी को डीफाॅरमीटी के साथ अस्पताल लाती है तो उसके भी उसे 200 रुपये मिलते हैं यदि आषा मलटी बैसीलरी रोगी की पूरी ट्रीटमैंट करवाती है तो उसकी एवज में उसको 500 रुपये मिलते हैं। उन्होंने आगे बताया कि पिछले साल 3 कुष्ठ रोगी थे और इस साल केवल 2 ही रोगी हैं यह संभवता समुदाय में लगातार जागरुता का नतीजा है। उमीद करते हैं कि सभी के प्रयासों से कुष्ठ रोग का खात्मा जल्दी ही हो जाएगा।
बिलासपुर ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने कहा कि कुष्ठ रोग अन्य बीमारीयों की भांति एक इलाज योग्य बीमारी है। यह रोग एक ऐसा रोग है जो माईकोवैक्टीरियम लैपरी के कारण होता है।
उन्होंने बताया कि यह बीमारी आम स्वास्थ्य समस्या नहीं है लेकिन अभी भी इसका विषाणु वातावरण में व्याप्त है क्योंकि जिला में अभी तक इसके दो रोगी हैं जिनका निशुल्क ईलाज किया जा रहा है। यह बीमारी खांसने छिकने व लम्बे समय तक संक्रामक रोगी के साथ रहने से फैलती है।
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इसके कारण व्यक्ति के शरीर में त्वचा पर हलके पीले रंग के दाग, तांबे रंग के दाग, जिनमें छुने पर चेतना का एहसास न हों, शरीर के किसी भाग में नसों का मोटा होना, हाथों की उंगलियों की पकड कम होना, आंखों की पलकों का बन्द न होना, भोहों के बालों का कम होना, शरीर के घावों का लम्बे समय तक ठीक न होना आदि शामिल है।
उन्होंने कहा कि जिला को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के हर सम्भव प्रयास किए जा रहे है तथा विभाग द्वारा समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। समाज को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के विशेष अभियान चलाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि लोगों को कुष्ठ रोग के लक्षणों और निवारण तथा समाज में इस रोग के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने के बारे में जागरूक करने के प्रयास लगातार जारी हैं।
उन्होंने कहा कि अगर किसी को इस प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं तो तुरन्त चिकित्सक को दिखाएं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों से आवाहन किया है कि सत्य की राह पर चलते हुए जीवन में नेक काम करते रहें तथा समाज में लोगों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा इस बीमारी के प्रति किए गये कार्यों से प्रेरणा लेकर जीवन के लक्ष्य तथा महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में लोगों को जागरूक करें।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी ने कुष्ठ रोग से पीडित मरीजों की बिना किसी भेदभाव से सेवा की और समाज में प्रेरणा स्त्रोत बनें। इस क्षेत्र में विनोवा भावे, मदर टेरिसा आदि विभूतियों ने भी पूर्ण रुप से बढ-चढकर कार्य किया और यह सिखाते हैं कि हमें समाज को इस रोग से पीडित मरीजों से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए और समाज में उन्हे बराबर का दर्जा प्रदान करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग साध्य रोग है इसका पूर्ण इलाज करने से मरीज पूर्ण रुप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता है। उन्होंने बताया कि इस रोग की जैसे ही दवाई शुरु की जाती है वैसे ही वायरस दूसरों मे संचरण करना बंद हो जाता है। इसमें आशा कार्यकर्ता की अहम भूमिका होती है ऐसे रोगियों को ढुढंकर लाना व उनका इलाज करवाना व सही जानकारी मुहिया करवाना ही उनका काम है।
उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता यदि संदिग्ध कुष्ठ रोगी को बीना डीफाॅरमीटी के अस्पताल लाती है तो उसे 250 रुपये प्रति रोगी मिलते हैं, यदि रोगी को डीफाॅरमीटी के साथ अस्पताल लाती है तो उसके भी उसे 200 रुपये मिलते हैं यदि आषा मलटी बैसीलरी रोगी की पूरी ट्रीटमैंट करवाती है तो उसकी एवज में उसको 500 रुपये मिलते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले साल 3 कुष्ठ रोगी थे और इस साल केवल 2 ही रोगी हैं यह संभवता समुदाय में लगातार जागरुता का नतीजा है। उमीद करते हैं कि सभी के प्रयासों से कुष्ठ रोग का खात्मा जल्दी ही हो जाएगा।
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