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बिलासपुर ! परियोजना निदेशक डाॅ0 प्राची ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अन्र्तगत राज्य परियोजना कार्यान्वन इकाई द्वारा आयोजित “छोटे व सीमांत किसानों हेतु प्राकृतिक खेती मिशन” की प्राप्ति विषय पर एक नेशनल वैबीनार का बिलासपुर जिला की 173 ग्राम पंचायतों, सामुदायिक भवनों एवम् सार्वजनिक स्थानों में से 3493 किसानो-ंबागवानों व महिला कृषकों को यू-टयूब के माध्यम से सीधा प्रसारण करवाया गया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 से हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कृषि प्रौद्यौगिकी प्रबन्धन अभिकरण बिलासपुर द्वारा अब तक 6935 किसानों, बागवानों को दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है और जिला के 6398 किसानों-बागवानों ने 357 है0 क्षेत्र में सुभाष पालेकर कृषि से कार्य करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि वैबीनार में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमन्त्री जय राम ठाकुर ने प्रदेश वर्चुअल माध्यम से 3447 पंचायतों में लगभग 66000 कृषकों को सम्बोधित किया। प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों का लेखा जोखा व प्राकृतिक कृषि पद्धति की जिला बिलासपुर की डायरी का विमोचन किया जिससे किसानो को आने वाले समय में आय व्यय का ब्यौरा संग्रहित करने में आसानी रहेगी। प्रधानमंत्री का वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2018 में 20 करोड का बजट प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के लिए रखा। इस वर्ष योजना के अधीन हिमाचल प्रदेश सरकार ने 15 करोड 32 लाख रू0 का अग्रिम राशि का प्रावधान किया है। खेती के इस अभियान में हिमाचल प्रदेश में पूर्व में रहे महामहिम राज्यपाल आर्चाय देवव्रत जी के सुझाव अनुसार देवभूमि हिमाचल को रसायन मुक्त बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए सुभाष पालेकर द्वारा शोधित वैकल्पिक विधि को अपनाने के लिए प्रदेश स्तर पर पूरा ढ़ांचा स्थापित किया गया और आतमा परियोजना को इस कार्य को पूरा करने का दायित्व दिया गया। बिना रसायनिक खादों व पौध संरक्षण दवाईयों से शुद्ध अनाज, दालें व सब्जियों की उपलब्धता प्रदेश व देश के जनमानस को मिले और कम उत्पादन लागत में किसान की आय में वृद्धि हो इसी उद्देश्य की ध्यान में रखते हुए यह खेती करने का माॅडल हर किसान के खेत तक पहुंचे, ताकि सुभाष पालेकर द्वारा शोधित स्वदेशी तकनीक से उत्पादन खर्चे से कमी की जा सके। उन्होंने बताया कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वकांक्षी, प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की सफलता के लिए बधाई दी तथा समस्त देश के लिए हिमाचल को आग्रणी भूमिका निभाने का आहवान किया। उन्होने पद्म श्री सुभाष पालेकर जी की खेती की इस प्राकृतिक व्यवस्था का माॅडल देश में चलाने के लिए धन्यवाद किया। मनुष्य और प्रकृति को जोड़ने का कार्य प्राकृतिक खेती से ही नीहित है जिससे बंजर हो रही ज़मीन, पर्यावरण को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के कृषि, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, पशु पालन व मतस्य विभाग मंत्री ने खेती की इस तकनीक को खेतों तक पंहुचाने के कार्य को इस अभियान से जुडें सभी कर्मचारियों, अधिका रियों और किसानों को बधाई दी। हिमाचल प्रदेश के कृषि सचिव डा0 अजय शर्मा ने प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के उत्पाद का पंजीकरण व विपणन व्यवस्था शीघ्र स्थापित करने की जानकारी दी। उन्होनें कहा कि किसानों को उपभोक्ताओं से जोड़ने पर निकट भविष्य में बल दिया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशक श्री राकेश कंवर ने प्राकृतिक खेती कर रहे सभी किसानों की कृषि उत्पादन में आ रही कमी और शुद्ध प्राकृतिक उत्पाद की गुणवता इस योजना को प्रभावी बनाने में सफल होगी। योजना के कार्यकारी निदेशक डा0 राजेश्वर चंदेल ने बताया कि मौजूदा समय की विपरीत परिस्थियाॅ होने के वाबजूद भी इस कार्यशाला के माध्यम से प्रदेश की सभी पंचायतों के किसानों तक पद्म श्री सुभाष पालेकर के विचारों को पंहुचाने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि उप-परियोजना निदेशक डा0 देशराज शर्मा व डा0 राजेश शर्मा के साथ बिलासपुर में प्राकृतिक खेती कर रहे उन्नत किसान अजय रतन सहित जिला स्तर में व्यवस्था करवाई। वर्चुयल माध्यम से श्री अजय रतन ने खेती में हो रहे अपने अनुभवों व उपलब्धियों को देश व प्रदेश से जुडे़ सभी किसानो व बागवानो से सांझा किया। जिला के चारों विकास खण्डों में तैनात बी0टी0एम0 व ए0टी0 एम0 ने पंचायत स्तर पर इस वर्चुअल बैठक को करवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने बताया कि दिन भर चले इस वैबीनार में पद्म श्री सुभाष पालेकर जी ने अपने द्वारा शोधित तकनीक की विस्तृत जानकारी कृषकों व बागवानों से सरल भाषा में समझाई । देशी गाय के गोबर, गौमुत्र व मूलभूत विज्ञान पर आधारित खेती की संपूर्ण जानकारी दी गई।
बिलासपुर ! परियोजना निदेशक डाॅ0 प्राची ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अन्र्तगत राज्य परियोजना कार्यान्वन इकाई द्वारा आयोजित “छोटे व सीमांत किसानों हेतु प्राकृतिक खेती मिशन” की प्राप्ति विषय पर एक नेशनल वैबीनार का बिलासपुर जिला की 173 ग्राम पंचायतों, सामुदायिक भवनों एवम् सार्वजनिक स्थानों में से 3493 किसानो-ंबागवानों व महिला कृषकों को यू-टयूब के माध्यम से सीधा प्रसारण करवाया गया।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 से हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कृषि प्रौद्यौगिकी प्रबन्धन अभिकरण बिलासपुर द्वारा अब तक 6935 किसानों, बागवानों को दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है और जिला के 6398 किसानों-बागवानों ने 357 है0 क्षेत्र में सुभाष पालेकर कृषि से कार्य करना शुरू कर दिया है।
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उन्होंने बताया कि वैबीनार में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमन्त्री जय राम ठाकुर ने प्रदेश वर्चुअल माध्यम से 3447 पंचायतों में लगभग 66000 कृषकों को सम्बोधित किया। प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों का लेखा जोखा व प्राकृतिक कृषि पद्धति की जिला बिलासपुर की डायरी का विमोचन किया जिससे किसानो को आने वाले समय में आय व्यय का ब्यौरा संग्रहित करने में आसानी रहेगी। प्रधानमंत्री का वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2018 में 20 करोड का बजट प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के लिए रखा।
इस वर्ष योजना के अधीन हिमाचल प्रदेश सरकार ने 15 करोड 32 लाख रू0 का अग्रिम राशि का प्रावधान किया है। खेती के इस अभियान में हिमाचल प्रदेश में पूर्व में रहे महामहिम राज्यपाल आर्चाय देवव्रत जी के सुझाव अनुसार देवभूमि हिमाचल को रसायन मुक्त बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए सुभाष पालेकर द्वारा शोधित वैकल्पिक विधि को अपनाने के लिए प्रदेश स्तर पर पूरा ढ़ांचा स्थापित किया गया और आतमा परियोजना को इस कार्य को पूरा करने का दायित्व दिया गया।
बिना रसायनिक खादों व पौध संरक्षण दवाईयों से शुद्ध अनाज, दालें व सब्जियों की उपलब्धता प्रदेश व देश के जनमानस को मिले और कम उत्पादन लागत में किसान की आय में वृद्धि हो इसी उद्देश्य की ध्यान में रखते हुए यह खेती करने का माॅडल हर किसान के खेत तक पहुंचे, ताकि सुभाष पालेकर द्वारा शोधित स्वदेशी तकनीक से उत्पादन खर्चे से कमी की जा सके।
उन्होंने बताया कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वकांक्षी, प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की सफलता के लिए बधाई दी तथा समस्त देश के लिए हिमाचल को आग्रणी भूमिका निभाने का आहवान किया। उन्होने पद्म श्री सुभाष पालेकर जी की खेती की इस प्राकृतिक व्यवस्था का माॅडल देश में चलाने के लिए धन्यवाद किया। मनुष्य और प्रकृति को जोड़ने का कार्य प्राकृतिक खेती से ही नीहित है जिससे बंजर हो रही ज़मीन, पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के कृषि, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, पशु पालन व मतस्य विभाग मंत्री ने खेती की इस तकनीक को खेतों तक पंहुचाने के कार्य को इस अभियान से जुडें सभी कर्मचारियों, अधिका रियों और किसानों को बधाई दी। हिमाचल प्रदेश के कृषि सचिव डा0 अजय शर्मा ने प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के उत्पाद का पंजीकरण व विपणन व्यवस्था शीघ्र स्थापित करने की जानकारी दी।
उन्होनें कहा कि किसानों को उपभोक्ताओं से जोड़ने पर निकट भविष्य में बल दिया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशक श्री राकेश कंवर ने प्राकृतिक खेती कर रहे सभी किसानों की कृषि उत्पादन में आ रही कमी और शुद्ध प्राकृतिक उत्पाद की गुणवता इस योजना को प्रभावी बनाने में सफल होगी। योजना के कार्यकारी निदेशक डा0 राजेश्वर चंदेल ने बताया कि मौजूदा समय की विपरीत परिस्थियाॅ होने के वाबजूद भी इस कार्यशाला के माध्यम से प्रदेश की सभी पंचायतों के किसानों तक पद्म श्री सुभाष पालेकर के विचारों को पंहुचाने का प्रयास किया है।
उन्होंने बताया कि उप-परियोजना निदेशक डा0 देशराज शर्मा व डा0 राजेश शर्मा के साथ बिलासपुर में प्राकृतिक खेती कर रहे उन्नत किसान अजय रतन सहित जिला स्तर में व्यवस्था करवाई। वर्चुयल माध्यम से श्री अजय रतन ने खेती में हो रहे अपने अनुभवों व उपलब्धियों को देश व प्रदेश से जुडे़ सभी किसानो व बागवानो से सांझा किया। जिला के चारों विकास खण्डों में तैनात बी0टी0एम0 व ए0टी0 एम0 ने पंचायत स्तर पर इस वर्चुअल बैठक को करवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होंने बताया कि दिन भर चले इस वैबीनार में पद्म श्री सुभाष पालेकर जी ने अपने द्वारा शोधित तकनीक की विस्तृत जानकारी कृषकों व बागवानों से सरल भाषा में समझाई । देशी गाय के गोबर, गौमुत्र व मूलभूत विज्ञान पर आधारित खेती की संपूर्ण जानकारी दी गई।
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