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बिलासपुर ,15 जनवरी ! के गोबिंद सागर पर बना बागछाल पुल के निर्माण को लेकर इंतजार की घड़ियां खत्म हो गई हैं। 330 मीटर लंबे इस पुल के दोनों छोर आपस में मिल गए हैं। अहम बात यह है कि इस पुल का कंकरीट कैंटीलीवर स्पैन 185 मीटर है, जो एशिया में सबसे अधिक है। इस लिहाज से यह पुल न केवल झंडूता समेत पूरे बिलासपुर जिला और प्रदेश की शान बन गया है बल्कि इंजीनियरिंग स्किल्स का बेजोड़ और अद्भुत नमूना भी है। इस पुल पर लोगों की आवाजाही शुरू हो गई है।अब केवल रेलिंग का काम बाकी बचा है। इसके बाद जल्दी ही यह पुल यातायात के बहाल कर दिया जाएगा। आईएएस अफसर रहे भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने कहा कि इसके लिए झंडूता क्षेत्र की जनता बधाई की पात्र है। झंडूता और नयना देवी विधानसभा क्षेत्रों को आपस में जोड़ने वाले इस पुल के बनने से दूरियां सिमट गई हैं। न केवल झंडूता बल्कि हमीरपुर व कांगड़ा आदि जिलों के लाखों लोग इससे लाभान्वित होंगे। इस पुल का शिलान्यास अगस्त 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने किया था। कुछ साल तक इसका निर्माण कार्य चलता रहा, लेकिन बाद में फ्लड जोन और पिल्लरों के पास दलदल का हवाला देकर काम बंद कर दिया गया। वर्ष 2017 में झंडूता की जनता ने जीतराम कटवाल को पहली बार विधानसभा में भेजा। उन्होंने इस पुल का निर्माण करवाने का बीड़ा उठाते हुए इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी। अनुभवी और दक्ष इंजीनियर बुलाकर उनकी राय लेने के बाद वर्ष 2018 की विधायक प्राथमिकता में इस पुल को डाला गया। इसके लिए न केवल 32.70 करोड़ रुपए की डीपीआर बनवाई गई बल्कि पहले चरण में 22 करोड़ रुपए का प्रावधान भी करवाया गया। उसके बाद युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। जो आज बनकर तैयार हो गया है।
बिलासपुर ,15 जनवरी ! के गोबिंद सागर पर बना बागछाल पुल के निर्माण को लेकर इंतजार की घड़ियां खत्म हो गई हैं। 330 मीटर लंबे इस पुल के दोनों छोर आपस में मिल गए हैं। अहम बात यह है कि इस पुल का कंकरीट कैंटीलीवर स्पैन 185 मीटर है, जो एशिया में सबसे अधिक है। इस लिहाज से यह पुल न केवल झंडूता समेत पूरे बिलासपुर जिला और प्रदेश की शान बन गया है बल्कि इंजीनियरिंग स्किल्स का बेजोड़ और अद्भुत नमूना भी है। इस पुल पर लोगों की आवाजाही शुरू हो गई है।अब केवल रेलिंग का काम बाकी बचा है। इसके बाद जल्दी ही यह पुल यातायात के बहाल कर दिया जाएगा।
आईएएस अफसर रहे भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने कहा कि इसके लिए झंडूता क्षेत्र की जनता बधाई की पात्र है। झंडूता और नयना देवी विधानसभा क्षेत्रों को आपस में जोड़ने वाले इस पुल के बनने से दूरियां सिमट गई हैं। न केवल झंडूता बल्कि हमीरपुर व कांगड़ा आदि जिलों के लाखों लोग इससे लाभान्वित होंगे।
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इस पुल का शिलान्यास अगस्त 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने किया था। कुछ साल तक इसका निर्माण कार्य चलता रहा, लेकिन बाद में फ्लड जोन और पिल्लरों के पास दलदल का हवाला देकर काम बंद कर दिया गया। वर्ष 2017 में झंडूता की जनता ने जीतराम कटवाल को पहली बार विधानसभा में भेजा। उन्होंने इस पुल का निर्माण करवाने का बीड़ा उठाते हुए इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी।
अनुभवी और दक्ष इंजीनियर बुलाकर उनकी राय लेने के बाद वर्ष 2018 की विधायक प्राथमिकता में इस पुल को डाला गया। इसके लिए न केवल 32.70 करोड़ रुपए की डीपीआर बनवाई गई बल्कि पहले चरण में 22 करोड़ रुपए का प्रावधान भी करवाया गया। उसके बाद युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। जो आज बनकर तैयार हो गया है।
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