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बिलासपुर ! कोविड-19 के साथ-साथ स्वस्थ्य विभाग की सभी योजनाओं के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य की सुविधाएं न मिलने के कारण मृत्यु की समस्या का निवारण करने के लिए स्वास्थओ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने (जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम) एक जून 2011 को गर्भवती महिलाओं तथा रूगण नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए शुरू किया है यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅक्टर प्रकाश दरोच ने देते हए बताया कि इस योजना के अंतर्गत मुफ्त सेवा प्रदान करने पर बल दिया गया है जिसमें गर्भवती महिलाओं तथा एक वर्ष आयु तक के रूगण नवजात शिशुओं को खर्चों से मुक्त रखा गया है। कार्यक्रम शुरू करने का मुख्य उद्देश्य मातृ मुत्यु दर तथा शिशु मृत्यु दर में भी कमी लाना है। उन्होने बताया कि इस योजना के तहत सभी गर्भवती महिलाओं को राजकीय चिकित्सा संस्थानों में प्रसव कराने पर प्रसव संबंधी पूर्ण व्यय का वहन, प्रसवपूर्व, प्रसव के दौरान व प्रसव पश्चात दवाईयां व अन्य कंज्युमेबल्स निःशुल्क उपलब्ध करवाए जाते है तथा जांच भी निःशुल्क होती है। संस्थागत प्रसव होने पर तीन दिन व सिजेरियन ऑपरेशन होने पर सात दिन निःशुल्क भोजन दिया जाता है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत ओपीडी फीस एवं प्रवेश प्रभारों के अलावा अन्य प्रकार के खर्चे करने से मुफ्त रखा गया है और गर्भवती महिलाओं को मुफ्त दवाएं एवं खाद्य, मुफ्त इलाज, जरूरत पड़ने पर मुफ्त खून उपलब्ध करवाया जाता है जिसमें आयरन फॉलिक अम्ल जैसे सप्ली्मेंट भी शामिल हैं। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को खून, पेशाब की जांच, अल्ट्रा-सोनोग्राफी आदि अनिवार्य और वांछित जांच भी मुफ्त कराई जाती है। उन्होने बताया कि निःशुल्क संस्थागत प्रसव, जननी सुरक्षा कार्यक्रम की शुरूआत यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि प्रत्येक गर्भवती महिला को 42 दिनों तक बिना किसी लागत तथा खर्चे के स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती है तथा आवश्यकता पड़ने पर निःशुल्क सीजेरियन ऑपरेशन - जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त प्रजनन सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं। इस योजना के तहत निःशुल्क रेफरल सुविधाएँ, आवश्यक ट्रांसपोर्ट सेवाएँ जिस में गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल तक प्रसव करवाने के लिए 108 नम्बर तथा प्रसव कराने के बाद अस्पताल से घर तक 102 नम्बर गाडी की व्यवस्था निःशुल्क की जाती है तथा इसी प्रकार की सुविधा सभी बीमार नवजात शिशुओं के लिए भी दी जाती है। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को योजना का लाभ प्रदान किया जा रहा है। इस कार्यक्रम से मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) एवं शिशु मृत्यु दर काफी हद तक कम हुई है, इसमें और सुधार किए जाने की आवश्यकता है जिस के लिए हर गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव करवाना जरूरी है। उन्होने बताया कि जन्म के 1 वर्ष तक आयु के नवजात शिशुओं को मिलने वाली सुविधाएँ, एक वर्ष आयु तक रूगण नवजात शिशुओं को बिना किसी लागत तथा खर्चे के स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती है तथा केन्द्र में प्रसव कराने से माता के साथ-साथ शिशु की भी सुरक्षा रहती है। नवजात शिशु हेतु सभी दवाएं और अपेक्षित खाद्य मुफ्त में मुहैया कराया जाता है। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे इस योजना के बारे में स्थानीय स्वास्थ्य कर्मी व आशा वर्कर से सम्पर्क कर योजना का लाभ उठाएं ताकि जच्चा व बच्चा दोनों सुरक्षित रहें।
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