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बिलासपुर ! एचपी शिवा (हिमाचल प्रदेश उप-उष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्य संवर्धन) एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित एक दिवसीय हितधारक परामर्श कार्यशाला का आयोजन आज जिला बिलासपुर के घुमारवीं में किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजिन्द्र गर्ग ने किसानों और बागवानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उपोष्णकटिबंधीय फलों के मूल्य श्रृंखला विकास और विपणन के लिए आगे की कार्यनीति तय करना है। उन्होंने कहा कि एचपी शिवा परियोजना प्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण व महत्वकांक्षी परियोजना है जिसमें किसानों की आय को दौगुना करने तथा उन्हें बागवानी की ओर प्रेरित करने के लिए सरकार वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह योजना हिमाचल के निचले क्षेत्रों के लिए तैयार की गई है जिससे किसानों की तकदीर और तस्वीर बदल जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और बागवानी मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर के विशेष प्रत्यनों से कार्यन्वित यह योजना किसानों और बेरोजगार युवाओं के आर्थिक उत्थान और उनके जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होगी तथा जो युवा रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे है उन्हें घर-द्वार पर स्वरोजगार दिलाना भी है। उन्होंने कहा कि इस योजना में फलदार पौधें, टपक सिंचाई की पूर्ण व्यवस्था, खाद, बीज, जंगली जानवरों से बचाने के लिए सोलर फैंसिंग तथा फलों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मार्किट में पहंुचाना की व्यवस्था व किसानों को उचित मूल्य दिलाने की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत प्रथम चरण में हिमाचल प्रदेश के लिए एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। योजना के प्रथम चरण में 10 हजार हैक्टेयर भूमि क्षेत्र को चयनित कर कलस्टर स्तर पर पौधारोपण किया जा रहा है और जिससे 25 हजार किसान व उनके परिवार लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रथम चरण में प्रदेश के 7 जिलों के 4 हजार हैक्टेयर भूमि क्षेत्र को चयन कर आगामी दो सालों में 50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और 15 जनवरी, 2021 तक 40 प्रतिशत क्षेत्र की डीपीआर भी पूर्ण कर ली जाएगी। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा संचालित की जा रही एचपी शिवा परियोजना के अन्तर्गत प्रत्येक क्लस्टर स्तर पर बागवानों को एक सहकारी समिति के रूप में संगठित किया जा रहा है। यह समितियां अपने क्लस्टर तथा अन्य स्थानों से बागवानी उत्पादों जैसे अमरूद, अनार आदि का क्रय कर उसका प्रसंस्करण तथा विपणन कर व्यापारिक गतिविधियों का सामूहिक रूप से संचालन करेगी। इसके लिए विभाग द्वारा हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। यह समितियां विभिन्न कंपनियों तथा ई-नाम (वन नेशन वन मार्केट), एग्रीमार्केट, डिजिटल मंडी आदि से सीधा जुडाव कर अपने उत्पादों का विपणन करेंगी। उन्होंने कहा कि यह योजना प्रथम चरण में मण्डी, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगडा, सोलन, सिरमौर और ऊना के 28 विकास खण्डों कार्यान्वित की जा रही है। कार्याशाला को सम्बोधित करते हुए बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक डाॅ. सुशील ने कहा कि इस कार्यशाला में जिला हमीरपुर और बिलासपुर के किसान और बागवान भाग ले रहे। इस योजना में चार कलस्टर बिलासपुर में और दो कलस्टर हमीरपुर में प्रथम चरण में बनाए गए है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में 185 कलस्टरों में फ्रंट लाईन डेमोस्ट्रेशन दिए गए है जिसके अनुसार इन फलों की खेती पूरी तरह व्यावसायिक तथा वैज्ञानिक तरीके से की जा रही है। इन कलस्टरों में दो साल में ही बेहतरीन परिणाम देखने को मिल रहे है। कार्यशाला में सीएचपीएमए के प्रभारी डाॅ. किशोर ने एचपी शिवा प्रोजेक्ट के अंतर्गत सीएचपीएमए सहकारी समितियों तथा भविष्य की कार्यनीति पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीएचपीएमए समितियों को बाजार से जोड़ने के लिए सेतु का कार्य करेंगी। कार्यशाला में हमीरपुर और बिलासपुर के किसानों ने योजना को कार्यन्वित करने के अपने अनुभवों को सांझा करते हुए कुछ सुझाव रखें। इस एक दिवसीय कार्यशाला में मण्डल महामंत्री राजेश शर्मा, मनोनित पार्षद सुरेन्द्र, सचिव राकेश, परियोजना निदेशक डाॅ. देवेन्द्र ठाकुर, उप मण्डलाधिकारी घुमारवीं राजीव ठाकुर, डीन सीओएचएफ नैरी डाॅ. कमल देव शर्मा, प्रो. प्रमुख नैरी डाॅ. सोम देव शर्मा, अधीक्षण अभियंता जल शक्ति ई. विजय ढटवालिया, उप निदेशक बागवानी डाॅ. माला शर्मा, उप निदेशक कृषि डाॅ. प्राची, अधिशाषी अभियंता जल शक्ति एस वैद्य सहित परियोजना से सम्बन्धित अनेक अधिकारी, कर्मचारी, वैज्ञानिक तथा बागवानों ने भाग लिया।
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