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बददी ! कहते हैं कि दुनिया में यदि सबसे बड़ा कोई दान है तो वह जीवनदान है। यदि हम लोगों को किसी अन्य प्रकार से जीवनदान नहीं दे सकते हैं तो रक्तदान करके भी लोगों के जीवन को बचा सकते हैं। इसके चलते रक्तदान को महादान कहा जाता है। इसी बात को अधिवक्ता एवं औद्योगिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक अधिवक्ता सुमीत शर्मा चरितार्थ कर रहे हैं। सुमीत शर्मा को जब भी मौका मिलता है तो वह रक्तदान करने के लिए आगे आ जाते हैं। सुमीत शर्मा ने अपने जन्मदिन व सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर रक्तदान किया। इस मौके पर उन्होंने 55वीं बार रक्तदान किया। रक्तदान करने के लिए वह चंड़ीगढ़ सेक्टर 37 में रोटरी क्लब बैंक में जाकर दिया जो अपने आप में बहुत बड़ी मिसाल है क्योंकि लोग रक्तदान करने में हिचकिचाते हैं और यदि नजदीक में भी रक्तदान शिविर लगा हो तो भी रक्तदान नहीं करते हैं। सुमीत शर्मा ने बताया कि वह 1992 से रक्तदान करते आ रहे हैं तथा अपने जन्मदिन पर तथा विशेष आवश्यकता पडऩे व रक्तदान करते हैं। उन्होंने कहा कि रक्तदान करने से उन्हें किसी प्रकार की कोई कमजोरी महसूस नहीं होती है। उन्होंने कहा रक्त एकमात्र ऐसा तत्व है जिसकी साईंस खोज नहीं कर पाया है। ऐसे में यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह यदि स्वस्थ है तो तीन माह में एक बार रक्तदान अवश्य करे ताकि लोगों के जीवन को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि अब रक्तदान करने के लिए महिलाएं भी आगे आ रही हैं ऐसे में नौजवानों को भी इस यज्ञ में बढ़चढक़र भाग लेना चाहिए।
बददी ! कहते हैं कि दुनिया में यदि सबसे बड़ा कोई दान है तो वह जीवनदान है। यदि हम लोगों को किसी अन्य प्रकार से जीवनदान नहीं दे सकते हैं तो रक्तदान करके भी लोगों के जीवन को बचा सकते हैं। इसके चलते रक्तदान को महादान कहा जाता है। इसी बात को अधिवक्ता एवं औद्योगिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक अधिवक्ता सुमीत शर्मा चरितार्थ कर रहे हैं। सुमीत शर्मा को जब भी मौका मिलता है तो वह रक्तदान करने के लिए आगे आ जाते हैं। सुमीत शर्मा ने अपने जन्मदिन व सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर रक्तदान किया। इस मौके पर उन्होंने 55वीं बार रक्तदान किया। रक्तदान करने के लिए वह चंड़ीगढ़ सेक्टर 37 में रोटरी क्लब बैंक में जाकर दिया जो अपने आप में बहुत बड़ी मिसाल है क्योंकि लोग रक्तदान करने में हिचकिचाते हैं और यदि नजदीक में भी रक्तदान शिविर लगा हो तो भी रक्तदान नहीं करते हैं। सुमीत शर्मा ने बताया कि वह 1992 से रक्तदान करते आ रहे हैं तथा अपने जन्मदिन पर तथा विशेष आवश्यकता पडऩे व रक्तदान करते हैं। उन्होंने कहा कि रक्तदान करने से उन्हें किसी प्रकार की कोई कमजोरी महसूस नहीं होती है। उन्होंने कहा रक्त एकमात्र ऐसा तत्व है जिसकी साईंस खोज नहीं कर पाया है। ऐसे में यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह यदि स्वस्थ है तो तीन माह में एक बार रक्तदान अवश्य करे ताकि लोगों के जीवन को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि अब रक्तदान करने के लिए महिलाएं भी आगे आ रही हैं ऐसे में नौजवानों को भी इस यज्ञ में बढ़चढक़र भाग लेना चाहिए।
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