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शिमला ! वामपंथी पार्टियों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर सीपीआईएम ने हिमाचल प्रदेश के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर भारी महंगाई के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किए। ये प्रदर्शन शिमला,रामपुर,रोहड़ू,ठियोग,निरमण्ड,टापरी, कुल्लू,सैंज,आनी,मंडी, जोगिंद्रनगर,सरकाघाट,करसोग, छतरी,बालीचौकी,धर्मशाला,चम्बा,नाहन,ऊना, हमीरपुर व सोलन आदि में हुए। शिमला में पार्टी कार्यकर्ता डीसी ऑफिस शिमला पर एकत्रित हुए व जोरदार नारेबाजी की। इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने लोअर बाजार होते हुए नाज चौक शिमला तक भारी महंगाई के खिलाफ रैली निकाली। नाज चौक पर हुई जनसभा को डॉ ओंकार शाद,डॉ कुलदीप तंवर,विजेंद्र मेहरा,जगत राम,सत्यवान पुंडीर,बाबू राम,रमन थारटा,अनिल ठाकुर,कविता कंटू व रॉकी ने सम्बोधित किया। पार्टी राज्य सचिव डॉ ओंकार शाद ने प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में महंगाई आसमान छू रही है। कोरोना काल में ऑक्सफेम की रिपोर्ट के अनुसार 97 प्रतिशत जनता के आए के साधन कम हुए हैं। ऐसे में सरकार को सभी व्यक्तियों को 10 किलो मुफ्त राशन प्रतिमाह देना चाहिए था। डिपुओं में सस्ते राशन की सुविधा मिलनी चाहिए थी। इस समय आयकर मुक्त व्यक्तियों को 7500 रुपये मासिक आर्थिक मदद सुनिश्चचित करनी चाहिए थी। परन्तु सरकार ने कोरोना काल में उपजी भारी बेरोज़गारी व गरीबी में जनता पर भारी महंगाई थोप दी। मई से लेकर अब तक 22 बार पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें घटने के बावजूद भी देश में पेट्रोल व डीज़ल की कीमतें आज तक के इतिहास में सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। इस से एक तरफ दोपहिया व चार पहिया वाहनों का इस्तेमाल करने वालों पर भारी मार पड़ी है वहीं दूसरी ओर इस से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हो गयी है। खाद्य वस्तुएं जनता की पहुंच से बाहर हो गयी हैं। खाने के तेल,दालों व अन्य वस्तुओं की कीमतों में बाज़ार व राशन के डिपुओं में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल,डीज़ल में प्रति लीटर पर 53 रुपये एक्साइज डयूटी व वैट के रूप में वसूले जा रहे हैं जोकि कुल कीमत का लगभग साठ प्रतिशत है। उन्होंने मांग की है कि पेट्रोल डीजल पर एक्साइज डयूटी व वैट की दर घटाई जाए। उन्होंने रसोई गैस के सिलेंडर में सब्सिडी बढाने व खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कटौती करने की मांग की। उन्होंने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार की नवउदारवादी पूँजीपतिपरस्त व गरीब विरोधी नीतियों के कारण महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है। रसोई गैस की कीमत भी बेतहाशा बढ़ चुकी है। गैस सिलेंडर की कीमत 906 रुपये तक पहुंच गई है। पेट्रोल की कीमत 96 से 100 रुपये व डीज़ल की कीमत 88 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है। सरसों का तेल बाजार में 180 रुपये व डिपुओं में 160 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। डिपुओं में दालों की कीमतों में हाल फिलहाल 10 रुपये की वृद्धि की गई है। पिछले महीने की अपेक्षा इस महीने डिपुओं में आटा की मात्रा 14 किलो से घटाकर 11 किलो प्रति कार्ड कर दी गयी है। इस से जनता भारी परेशानी में हैं। प्रदेश में इस कारण सुजानपुर,हमीरपुर व कांगड़ा में आत्महत्याएं तक हुई हैं। उन्होंने मांग की है कि पेट्रोल,डीज़ल व खाद्य वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित किया जाए व इसमें कटौती की जाए। उन्होंने रसोई गैस पर सब्सिडी बढाने की मांग की है। उन्होंने कालाबाजारी,जमाखोरी व मुनाफाखोरी रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम को बहाल करने की मांग की है। उन्होंने राशन डिपुओं में दालों,तेल व खाद्य वस्तुओं की कीमतों में की गयी वृद्धि को वापिस लेने की मांग की है।
शिमला ! वामपंथी पार्टियों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर सीपीआईएम ने हिमाचल प्रदेश के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर भारी महंगाई के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किए। ये प्रदर्शन शिमला,रामपुर,रोहड़ू,ठियोग,निरमण्ड,टापरी, कुल्लू,सैंज,आनी,मंडी, जोगिंद्रनगर,सरकाघाट,करसोग, छतरी,बालीचौकी,धर्मशाला,चम्बा,नाहन,ऊना, हमीरपुर व सोलन आदि में हुए।
शिमला में पार्टी कार्यकर्ता डीसी ऑफिस शिमला पर एकत्रित हुए व जोरदार नारेबाजी की। इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने लोअर बाजार होते हुए नाज चौक शिमला तक भारी महंगाई के खिलाफ रैली निकाली। नाज चौक पर हुई जनसभा को डॉ ओंकार शाद,डॉ कुलदीप तंवर,विजेंद्र मेहरा,जगत राम,सत्यवान पुंडीर,बाबू राम,रमन थारटा,अनिल ठाकुर,कविता कंटू व रॉकी ने सम्बोधित किया।
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पार्टी राज्य सचिव डॉ ओंकार शाद ने प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में महंगाई आसमान छू रही है। कोरोना काल में ऑक्सफेम की रिपोर्ट के अनुसार 97 प्रतिशत जनता के आए के साधन कम हुए हैं। ऐसे में सरकार को सभी व्यक्तियों को 10 किलो मुफ्त राशन प्रतिमाह देना चाहिए था। डिपुओं में सस्ते राशन की सुविधा मिलनी चाहिए थी। इस समय आयकर मुक्त व्यक्तियों को 7500 रुपये मासिक आर्थिक मदद सुनिश्चचित करनी चाहिए थी। परन्तु सरकार ने कोरोना काल में उपजी भारी बेरोज़गारी व गरीबी में जनता पर भारी महंगाई थोप दी। मई से लेकर अब तक 22 बार पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें घटने के बावजूद भी देश में पेट्रोल व डीज़ल की कीमतें आज तक के इतिहास में सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। इस से एक तरफ दोपहिया व चार पहिया वाहनों का इस्तेमाल करने वालों पर भारी मार पड़ी है वहीं दूसरी ओर इस से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हो गयी है। खाद्य वस्तुएं जनता की पहुंच से बाहर हो गयी हैं। खाने के तेल,दालों व अन्य वस्तुओं की कीमतों में बाज़ार व राशन के डिपुओं में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल,डीज़ल में प्रति लीटर पर 53 रुपये एक्साइज डयूटी व वैट के रूप में वसूले जा रहे हैं जोकि कुल कीमत का लगभग साठ प्रतिशत है। उन्होंने मांग की है कि पेट्रोल डीजल पर एक्साइज डयूटी व वैट की दर घटाई जाए। उन्होंने रसोई गैस के सिलेंडर में सब्सिडी बढाने व खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कटौती करने की मांग की।
उन्होंने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार की नवउदारवादी पूँजीपतिपरस्त व गरीब विरोधी नीतियों के कारण महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है। रसोई गैस की कीमत भी बेतहाशा बढ़ चुकी है। गैस सिलेंडर की कीमत 906 रुपये तक पहुंच गई है। पेट्रोल की कीमत 96 से 100 रुपये व डीज़ल की कीमत 88 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है। सरसों का तेल बाजार में 180 रुपये व डिपुओं में 160 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। डिपुओं में दालों की कीमतों में हाल फिलहाल 10 रुपये की वृद्धि की गई है। पिछले महीने की अपेक्षा इस महीने डिपुओं में आटा की मात्रा 14 किलो से घटाकर 11 किलो प्रति कार्ड कर दी गयी है। इस से जनता भारी परेशानी में हैं। प्रदेश में इस कारण सुजानपुर,हमीरपुर व कांगड़ा में आत्महत्याएं तक हुई हैं। उन्होंने मांग की है कि पेट्रोल,डीज़ल व खाद्य वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित किया जाए व इसमें कटौती की जाए। उन्होंने रसोई गैस पर सब्सिडी बढाने की मांग की है। उन्होंने कालाबाजारी,जमाखोरी व मुनाफाखोरी रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम को बहाल करने की मांग की है। उन्होंने राशन डिपुओं में दालों,तेल व खाद्य वस्तुओं की कीमतों में की गयी वृद्धि को वापिस लेने की मांग की है।
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