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नालागढ़ ! प्रदेश की सबसे बड़ी ट्रक यूनियन नालागढ़ ने पिछले दस माह से डीजल के दाम बढऩे के बाद भी भाड़ा नहीं बढाया है। कोरोना संकट के चलते ट्रक संचालकों को काम मिलता रहे और उद्योग भी चलते रहे। इसी को देखते हुए यूनियन ने यह फैसला लिया है। जबकि ट्रक यूनियन व उद्योग संघ के बीच एमओयू साइन हुआ है, जिसके तहत अगर रुपये डीजल के दाम बढते है तो यूनियन का अपने आप ही भाड़ा 35 पैसे बढ़ जाएगा। लेकिन कोरोना काल में ऐसा नहीं हुआ है। एशिया की सबसे बड़ी ट्रक यूनियन ने डीजल के दाम बढऩे के बावजूद भी भाड़ा नहीं बढ़ाया है। यहां पर दस हजार से अधिक ट्रक है। पिछले वर्ष सिंतबर में यूनियन ने डीजल के दाम बढने पर भाड़ा बढाया था। उस दौरान डीजल के दाम 70 रुपये 65 पैसे थे। अब डीजल के दाम 86 रुपये हो गए है लेकिन यूनियन ने भाड़ा नहीं बढ़ाया है। यही नहीं पहले यूरो-4 ट्रक चलते थे लेकिन पिछले वर्ष मार्च से प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने ऑटोमोबाइल कंपनियों के माध्यम से यूरो -6 ट्रकों को बाजार में उतारा है। इन ट्रकों से प्रदूषण कम होने से उनकी कीमत चार से पांच लाख रुपये अधिक है। इसके अलावा ट्रकों के रखरखाव में पहले से अधिक खर्चा आ रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में कारखाने बंद रहे है लेकिन बीबीएन में दूसरी लहर के दौरान कोई भी कारखाना बंद नहीं रहा। उद्योगों के चलाने में यूनियन का भी सबसे बड़ा हाथ रहा। यूनियन ने इस दौरान जहां समय पर उद्योगों को ट्रक उपलब्ध कराए वहीं कोई भी किराया नहीं बढ़ाया है। दून भाजपा के उपाध्यक्ष एवं ट्रक संचालक कृष्ण कौशल ने बताया कि पिछले सिंतबर के बाद यूनियन ने कोई किराया नहीं बढ़ाया है। जबकि डीजल के दाम 16 रुपये अधिक बढ़ चुके है। कोरोना संकट में जहां बीबीएन के उद्योग चलते रहे वहीं अपनी जमीन बेच कर जिन आपरेटरों ने ट्रक खरीदे है उनकी भी दाल रोटी चलती रहे। उन्होंने बीबीएनआईए से आग्रह किया है कि खर्चो के बढ़ोतरी को देखते हुए भाड़ा बढ़ाना चाहिए।
नालागढ़ ! प्रदेश की सबसे बड़ी ट्रक यूनियन नालागढ़ ने पिछले दस माह से डीजल के दाम बढऩे के बाद भी भाड़ा नहीं बढाया है। कोरोना संकट के चलते ट्रक संचालकों को काम मिलता रहे और उद्योग भी चलते रहे। इसी को देखते हुए यूनियन ने यह फैसला लिया है। जबकि ट्रक यूनियन व उद्योग संघ के बीच एमओयू साइन हुआ है, जिसके तहत अगर रुपये डीजल के दाम बढते है तो यूनियन का अपने आप ही भाड़ा 35 पैसे बढ़ जाएगा। लेकिन कोरोना काल में ऐसा नहीं हुआ है।
एशिया की सबसे बड़ी ट्रक यूनियन ने डीजल के दाम बढऩे के बावजूद भी भाड़ा नहीं बढ़ाया है। यहां पर दस हजार से अधिक ट्रक है। पिछले वर्ष सिंतबर में यूनियन ने डीजल के दाम बढने पर भाड़ा बढाया था। उस दौरान डीजल के दाम 70 रुपये 65 पैसे थे। अब डीजल के दाम 86 रुपये हो गए है लेकिन यूनियन ने भाड़ा नहीं बढ़ाया है। यही नहीं पहले यूरो-4 ट्रक चलते थे लेकिन पिछले वर्ष मार्च से प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने ऑटोमोबाइल कंपनियों के माध्यम से यूरो -6 ट्रकों को बाजार में उतारा है। इन ट्रकों से प्रदूषण कम होने से उनकी कीमत चार से पांच लाख रुपये अधिक है। इसके अलावा ट्रकों के रखरखाव में पहले से अधिक खर्चा आ रहा है।
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कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में कारखाने बंद रहे है लेकिन बीबीएन में दूसरी लहर के दौरान कोई भी कारखाना बंद नहीं रहा। उद्योगों के चलाने में यूनियन का भी सबसे बड़ा हाथ रहा। यूनियन ने इस दौरान जहां समय पर उद्योगों को ट्रक उपलब्ध कराए वहीं कोई भी किराया नहीं बढ़ाया है। दून भाजपा के उपाध्यक्ष एवं ट्रक संचालक कृष्ण कौशल ने बताया कि पिछले सिंतबर के बाद यूनियन ने कोई किराया नहीं बढ़ाया है। जबकि डीजल के दाम 16 रुपये अधिक बढ़ चुके है। कोरोना संकट में जहां बीबीएन के उद्योग चलते रहे वहीं अपनी जमीन बेच कर जिन आपरेटरों ने ट्रक खरीदे है उनकी भी दाल रोटी चलती रहे। उन्होंने बीबीएनआईए से आग्रह किया है कि खर्चो के बढ़ोतरी को देखते हुए भाड़ा बढ़ाना चाहिए।
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