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धर्मशाला , 21 फरवरी ! तिब्बतियों का नववर्ष का त्यौहार लोसर आज से शुरू हो गया है। वही लोसर के त्यौहार को लेकर भी तिब्बतियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। इससे पहले कोरोना संक्रमण के चलते तिब्बती अपना नववर्ष का त्यौहार लोसर नही मना सके थे। लेकिन अब जब कोरोना संक्रमण में कमी आई है और लगभग सभी पाबंदियों को भी समाप्त कर दिया गया है। ऐसे में तिब्बती लोग इस वर्ष पूरे जोश से लोसर का त्यौहार मना रहे है। लोसर त्यौहार को लेकर तिब्बती पहले ही अपने अपने घरों में रंग रोगन करवा लेते है और लोसर के त्योहार में विभिन्न प्रकार की मिठाईया आदि भी बनाई जाती है। इस मौके पर निर्वासित तिब्बत की उपाध्यक्ष डोलमा सेरिंग ने कहा कि तिब्बतियों में लोसर की जो परंपरा है वो पहले सुबह धार्मिक कार्यक्रम से शुरू होती है उसके उपरांत (सीटीए) निर्वासित तिब्बत सरकार के जो अधिकारी है व दलाईलामा मंदिर में आते है और इसी के साथ टिप्पा से तिब्बती स्कूल के बच्चे भी इस मंदिर में आते है और यहाँ पर नृत्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि तिब्बत में एक परंपरा है कि इस पर्व पर नन्हे बच्चों द्वारा नृत्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके बाद दो लामाओं द्वारा बुद्ध की शिक्षा पर वार्तालाप किया जाता है। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा में जितने भी तिब्बती मठ है सभी मठो से दो-दो लामा आते है। उन्होंने कहा कि वैसे तो नववर्ष सभी का एक ही है लेकिन तिब्बती इस मौके पर एक प्रतिज्ञा करते है। उन्होंने कहा कि दुनिया मे अभी जो कोविड के कारण जिन लोगो की मृत्यु हुई हैं और कोविड संक्रमण के कारण जो दुनिया मे अफरा तफरी मची थी उसको लेकर मन की शांति जरूरी है। उन्होंने कहा कि मन की शांति बाहर से नही मिलती बल्कि अपने आप मन को शांत करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि जितना भी चीन और तिब्बत के बीच संघर्ष चल रहा है व वार्तालाप के जरिए सुलझ जाए और सारे विश्व मे शांति और भाई चारा बना रहे। डिपार्टमेंट ऑफ सिक्युरिटी मंत्रालय की मंत्री गेरी डोलमा ने कहा कि आज हम तिब्बतियों के लिए जो लोग तिब्बत में रहते है या जो तिब्बती तिब्बत के बाहर रहते है। सभी के लिए नए साल का दिन आज से शरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों का जो कलैंडर है व लूनर कैलेंडर यानी चंद्रमा के हिसाब से कैलेंडर चलता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हम अपने दिनों को गिनते है तो हमारा कैलेंडर चीन के कैलेंडर से बिलकुल अलग है और पूरे चीन में जो उनका नया साल होता है व हमारी तिबतियों से अलग है उन्होंने कहा कि भारत की हिमालयन रीजन से की बेल्ट के साथ हमारी जो संस्कृति है व चीन से ज्यादा नजदीकी है और आज के दिन अरुणाचल में भी तिब्बतियों द्वारा लोसर को मनाया जाता है उन्होंने कहा कि जो पूजा अर्चना आज की जाती है। एक देश या केवल एक मानव के लिए नही होती अपितु पूरे विश्व मे शांति बनी रहे इस लिए पूजा की जाती है उन्होंने बताया कि मैने जो अपनी प्राथना की है वो यह है कि मेरे देश तिब्बत में चीन के अत्यचार के नीचे जो हमारे तिब्बती भाई बहन दबे हुए है। उनके लिए भी यह नया साल अच्छा रहे उन्होंने कहा कि उनकी प्राथना भारत सरकार और भारत वासियों के लिए भी और उन देशों के लिए भी है जो मानव अधिकारों के लिए और सत्य के लिए खड़े होते है उनके लिए भी है। *https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
धर्मशाला , 21 फरवरी ! तिब्बतियों का नववर्ष का त्यौहार लोसर आज से शुरू हो गया है। वही लोसर के त्यौहार को लेकर भी तिब्बतियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। इससे पहले कोरोना संक्रमण के चलते तिब्बती अपना नववर्ष का त्यौहार लोसर नही मना सके थे। लेकिन अब जब कोरोना संक्रमण में कमी आई है और लगभग सभी पाबंदियों को भी समाप्त कर दिया गया है। ऐसे में तिब्बती लोग इस वर्ष पूरे जोश से लोसर का त्यौहार मना रहे है। लोसर त्यौहार को लेकर तिब्बती पहले ही अपने अपने घरों में रंग रोगन करवा लेते है और लोसर के त्योहार में विभिन्न प्रकार की मिठाईया आदि भी बनाई जाती है।
इस मौके पर निर्वासित तिब्बत की उपाध्यक्ष डोलमा सेरिंग ने कहा कि तिब्बतियों में लोसर की जो परंपरा है वो पहले सुबह धार्मिक कार्यक्रम से शुरू होती है उसके उपरांत (सीटीए) निर्वासित तिब्बत सरकार के जो अधिकारी है व दलाईलामा मंदिर में आते है और इसी के साथ टिप्पा से तिब्बती स्कूल के बच्चे भी इस मंदिर में आते है और यहाँ पर नृत्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि तिब्बत में एक परंपरा है कि इस पर्व पर नन्हे बच्चों द्वारा नृत्य किया जाता है।
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उन्होंने बताया कि इसके बाद दो लामाओं द्वारा बुद्ध की शिक्षा पर वार्तालाप किया जाता है। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा में जितने भी तिब्बती मठ है सभी मठो से दो-दो लामा आते है। उन्होंने कहा कि वैसे तो नववर्ष सभी का एक ही है लेकिन तिब्बती इस मौके पर एक प्रतिज्ञा करते है। उन्होंने कहा कि दुनिया मे अभी जो कोविड के कारण जिन लोगो की मृत्यु हुई हैं और कोविड संक्रमण के कारण जो दुनिया मे अफरा तफरी मची थी उसको लेकर मन की शांति जरूरी है। उन्होंने कहा कि मन की शांति बाहर से नही मिलती बल्कि अपने आप मन को शांत करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि जितना भी चीन और तिब्बत के बीच संघर्ष चल रहा है व वार्तालाप के जरिए सुलझ जाए और सारे विश्व मे शांति और भाई चारा बना रहे। डिपार्टमेंट ऑफ सिक्युरिटी मंत्रालय की मंत्री गेरी डोलमा ने कहा कि आज हम तिब्बतियों के लिए जो लोग तिब्बत में रहते है या जो तिब्बती तिब्बत के बाहर रहते है। सभी के लिए नए साल का दिन आज से शरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों का जो कलैंडर है व लूनर कैलेंडर यानी चंद्रमा के हिसाब से कैलेंडर चलता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हम अपने दिनों को गिनते है तो हमारा कैलेंडर चीन के कैलेंडर से बिलकुल अलग है और पूरे चीन में जो उनका नया साल होता है व हमारी तिबतियों से अलग है उन्होंने कहा कि भारत की हिमालयन रीजन से की बेल्ट के साथ हमारी जो संस्कृति है व चीन से ज्यादा नजदीकी है और आज के दिन अरुणाचल में भी तिब्बतियों द्वारा लोसर को मनाया जाता है उन्होंने कहा कि जो पूजा अर्चना आज की जाती है।
एक देश या केवल एक मानव के लिए नही होती अपितु पूरे विश्व मे शांति बनी रहे इस लिए पूजा की जाती है उन्होंने बताया कि मैने जो अपनी प्राथना की है वो यह है कि मेरे देश तिब्बत में चीन के अत्यचार के नीचे जो हमारे तिब्बती भाई बहन दबे हुए है। उनके लिए भी यह नया साल अच्छा रहे उन्होंने कहा कि उनकी प्राथना भारत सरकार और भारत वासियों के लिए भी और उन देशों के लिए भी है जो मानव अधिकारों के लिए और सत्य के लिए खड़े होते है उनके लिए भी है।
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