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धर्मशाला , 02 दिसंबर ! हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के धौलाधार परिसर एक में इसरो हैदराबाद और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में वायुमंडलीय तड़ित संसूचन प्रणाली का उद्घाटन कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने किया। इस मौके पर कुलपति ने कहा कि यह परियोजना इसरो- हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रभावोत्पादक शोध की दिशा में एक मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक परियोजना का हिस्सा बनना हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक अनमोल क्षण है कुलपति ने कहा कि कुछ समय पहले इसरो ने यह निर्णय लिया था कि कुछ इस तरह के सिस्टम हिमालय रेंज में स्थापित किए जाएंगे। खुशी इस बात की है कि इसरो ने हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला में एटमॉस्फीरिक लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम इंस्टॉल करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण विज्ञान विभाग में कार्यरत प्रो. दीपक पंत के माध्यम से यह प्रोजेक्ट केंद्रीय विश्वविद्यालय को मिला है। प्रो. बंसल ने कहा कि यह प्रोजेक्ट केवल एक-दो वर्ष के लिए नहीं बल्कि आने वाले 15-20 साल के लिए है। जैसे आपने अभी देखा होगा कि पहले कहीं-कहीं कुल्लू में बादल फटने की घटना सुनने को मिलती थी, लेकिन इस वर्ष पूरा पर्यावरण असंतुलित हुआ था। बादल फटने की घटना हमने शिमला, धर्मशाला, मंडी और सिरमौर के साथ-साथ देश के अन्य भागों में भी देखीं। इस तरह के असंतुलन के कारण वातावरण में नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन हो रहा है, उसके कारण ओजोन लेयर को क्षति हो रही है। इस सारी प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए यह सिस्टम यहां इंस्टॉल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पूरे विश्व स्तर का डाटा इकट्ठा करेगा। वीसी ने कहा कि इस तरह की कुछ रिसर्च पहले से भी हो रही है और आगे भी हम इसमें आगे बढ़ेंगे। जिससे इसके कारणों का पता लग सके और इसके साथ-साथ अगर कोई ऐसी संभावनाएं बनेंगी और हमें लगेगा इस तरह का आगे आने वाले समय में और असंतुलन होने वाला है तो उसके लिए इसरो के साथ मिलकर पहले से सावधानियां सुझाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि इसरो के साथ मिलकर काम भी किया जाएगा। वीसी ने प्रो. दीपक पंत और उनकी पूरी टीम को बधाई दी । कुलपति ने कहा कि यह जो सिस्टम इंस्टॉल होने जा रहा है, बहुत लाभदायक होगा न केवल हिमाचल के लिए बल्कि पूरे देश की हिमालयन रेंज के लिए।
धर्मशाला , 02 दिसंबर ! हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के धौलाधार परिसर एक में इसरो हैदराबाद और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में वायुमंडलीय तड़ित संसूचन प्रणाली का उद्घाटन कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने किया। इस मौके पर कुलपति ने कहा कि यह परियोजना इसरो- हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रभावोत्पादक शोध की दिशा में एक मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक परियोजना का हिस्सा बनना हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक अनमोल क्षण है
कुलपति ने कहा कि कुछ समय पहले इसरो ने यह निर्णय लिया था कि कुछ इस तरह के सिस्टम हिमालय रेंज में स्थापित किए जाएंगे। खुशी इस बात की है कि इसरो ने हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला में एटमॉस्फीरिक लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम इंस्टॉल करने का फैसला लिया है।
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उन्होंने कहा कि पर्यावरण विज्ञान विभाग में कार्यरत प्रो. दीपक पंत के माध्यम से यह प्रोजेक्ट केंद्रीय विश्वविद्यालय को मिला है। प्रो. बंसल ने कहा कि यह प्रोजेक्ट केवल एक-दो वर्ष के लिए नहीं बल्कि आने वाले 15-20 साल के लिए है। जैसे आपने अभी देखा होगा कि पहले कहीं-कहीं कुल्लू में बादल फटने की घटना सुनने को मिलती थी, लेकिन इस वर्ष पूरा पर्यावरण असंतुलित हुआ था।
बादल फटने की घटना हमने शिमला, धर्मशाला, मंडी और सिरमौर के साथ-साथ देश के अन्य भागों में भी देखीं। इस तरह के असंतुलन के कारण वातावरण में नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन हो रहा है, उसके कारण ओजोन लेयर को क्षति हो रही है। इस सारी प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए यह सिस्टम यहां इंस्टॉल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पूरे विश्व स्तर का डाटा इकट्ठा करेगा।
वीसी ने कहा कि इस तरह की कुछ रिसर्च पहले से भी हो रही है और आगे भी हम इसमें आगे बढ़ेंगे। जिससे इसके कारणों का पता लग सके और इसके साथ-साथ अगर कोई ऐसी संभावनाएं बनेंगी और हमें लगेगा इस तरह का आगे आने वाले समय में और असंतुलन होने वाला है तो उसके लिए इसरो के साथ मिलकर पहले से सावधानियां सुझाई जाएंगी।
उन्होंने कहा कि इसरो के साथ मिलकर काम भी किया जाएगा। वीसी ने प्रो. दीपक पंत और उनकी पूरी टीम को बधाई दी । कुलपति ने कहा कि यह जो सिस्टम इंस्टॉल होने जा रहा है, बहुत लाभदायक होगा न केवल हिमाचल के लिए बल्कि पूरे देश की हिमालयन रेंज के लिए।
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