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चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 26 जून 2022 को कला सृजन पाठशाला द्वारा हिन्दी की बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजली श्री के जन्मोत्सव के उपलक्षय पर कविता-पाठ तथा लेख- पाठ का आयोजन सत्र-39 (पाँचवाँ वर्ष) गूगल-मीट के माध्यम से आयोजित किया। इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में मंच के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने गीतांजली श्री का संक्षिप्त जीवन परिचय पढ़ा तथा उनकी कृतियों को हाईलाइट करते हुए विश्लेषण भी प्रस्तुत किया। साथ ही साथ साहित्य एवं सृजन के प्रति उदासीनता पर परिचर्चा भी हुई जिसमें हेम राज, भूपेन्द्र जसरोटिया, डॉ. सन्तोष कुमार व शरत् शर्मा ने सक्रिय सहभागिता की, और परिचर्चा को इस मुकाम तक पहुंचाया कि जो रचेगा वही बचाएगा। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। कार्यक्रम की शुरूआत वरिष्ठ कवि भूपेंद्र जसरोटिया द्वारा की गई। जसरोटिया ने "मोबाइल चालीसा" कविता द्वारा आज की युवा पीढी को मोबाइल के दुष्प्रभावों से अवगत करवाया। महाविद्यालय के छात्र सौरभ ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता, कृष्ण की चेतावनी का पाठ किया। संजय हिमाचली ने मंजिल तेरे पास, कविता द्वारा मंजिल पर पहुचने के लिए संघर्ष का होना लाजिमी है, का संदेश दिया। कवि हेमराज राज ने सपनों का स्तर कविता द्वारा अपने भावों को व्यक्त किया। कला सृजन पाठशाला के महासचिव तथा राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.संतोष कुमार ने नारी किताब है, कविता द्वारा नारी की वर्तमान स्थिति पर समा बांधा। डाक्टर सन्तोष कुमार ने गीतांजलि श्री की कहानी बेलपत्र पर अपना समीक्षात्मक लेख प्रस्तुत किया। शरत् शर्मा ने कुमार कृष्ण की कविता "चिलम की आग" तथा स्वलिखित कविता महारत, तथा फेरन द्वारा कम शब्दों में बहुत कुछ कहकर गागर में सागर भर दिया। कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बाल कृष्ण पराशर ने यह सन्देश दिया कि मंच के उद्देश्यों को स्कूलों तक ले जाने की आवश्यकता है ताकि वहाँ विद्यमान सृजन क्षमताओं को लोकेट करते हुए कला सृजन पाठशाला के साथ जोड़ा जा सके। वहीं वित्त सलाहकार धर्मवीर शर्मा ने कहा कि कला सृजन पाठशाला के आगामी पुस्तक विमोचन आयोजन के लिए धन जुटाने की व्यवस्था पर कार्य करना बहुत जरूरी है। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने आयोजन में पढ़ी गई सभी रचनाओं का विश्लेषण करते हुए आयोजन सत्र-39 को समापन की ओर ले जाते हुए सभी उपस्थित सृजेताओं की सहभागिता सहित अभिवादन देते हुए विराम दिया।
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