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चम्बा ! सुंदर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 30 जून 2021 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा हिंदी के प्रगतिशील कवि नागार्जुन की जयंती के उपलक्ष्य पर कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का सत्र-28 आयोजन किया। आयोजन का समसामयिक विषय सामाजिक अनुकूलनशीलता रखा गया था। इस अवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम के आरंभ में मंच के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित सदस्यों का स्वागत करते हुए नागार्जुन का जीवन परिचय पढ़ा तथा उनके काव्य का विश्लेषण भी किया। तदुपरांत सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। इस अवसर पर शिमला से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार तथा आलोचक डॉ हरि राम शर्मा ने नागार्जुन विमर्श पर महत्वपूर्ण लेख पढ़ कर गागर में सागर भर दिया। शरत् शर्मा ने नागार्जुन की कविता गुलाबी चूड़ियाँ, तथा स्वरचित कविता बाऊ जी, का पाठ करके सभी के मर्म को स्पंदित कर दिया। महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा पाठशाला के महासचिव डॉ. संतोष कुमार ने नागार्जुन की कालिदास कविता का पाठ किया तथा विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। डॉ. संतोष कुमार ने अपनी कविता बचा लेना उस रीत को, प्रस्तुत करके प्राचीन रीति रिवाजों को बचाने का संदेश दिया। शिक्षिका रेखा रश्मि गकखड ने अपनी कविताओं जिंदगी यह तो बता, वो आँखें, तथा अंधेरे का जुगनू, कविताओं का पाठ अपने चिर परिचित अंदाज में किया । इसके बाद मंच के वरिष्ठ सदस्य भूपेंद्र जसरोटिया ने छड्ड स्यापा कुड़िये, तथा बैंग बैंग बैंग बैंग चंब्याली रैप गाकर मनोरंजन के साथ साथ समाज को महत्वपूर्ण संदेश भी दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े डॉ.ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता ने जन चेतना के कवि नागार्जुन, पर शोधात्मक एवं विश्लेषणात्मक लेख का पाठ करके कवि के अनेक अनछुए पहलुओं को विस्तार देते हुए नागार्जुन के लेखन के नए बिंदुओं को रेखांकित करते हुए प्रस्तुत किया। उषा शोना ने अपनी कविता कूच द्वारा गाँव और शहर के अंतर को दर्शाया। सलोचना ने क्योंकि वो औरत है, कविता द्वारा नारी की व्यथा को उजागर किया। पल्लवी शर्मा ने ऐसा है जीवन, कविता द्वारा जीवन को संपूर्णता के साथ जीने का संदेश दिया। डॉ. उज्ज्वल कटोच ने मैं इस उम्मीद में डूबा कि तू बचा लेगा, गज़ल गा कर सभी को झूमने पर विवश कर दिया। भाग सिंह ने काश जिंदगी एक किताब होती, कविता का पाठ किया। युवा कवि हेम राज ने किताब से फोन काल, कविता द्वारा अपने भावों को व्यक्त किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉ. संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ शानदार अंदाज में किया। पाठशाला के संरक्षक बाल कृष्ण पराशर ने इस कोरोना संकट में सरकार की नीति और नियम के पालन हेतु सन्देश दिया। इसी अवसर पर पाठशाला के वित्त सलाहकार धर्मवीर शर्मा ने संगठन की आर्थिक मजबूती के ऊपर बल का संदेश पहुंचाया। अध्यक्षीय वत्तव्य में शरत् शर्मा ने कहा कि अधिक से अधिक सदस्यों की सक्रियता से चम्बा जैसे पिछड़े सदर में साहित्यिक सृजन का पर्याप्त माहौल बिल्ड हो रहा है के साथ आभार व्यक्त किया।
चम्बा ! सुंदर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 30 जून 2021 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा हिंदी के प्रगतिशील कवि नागार्जुन की जयंती के उपलक्ष्य पर कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का सत्र-28 आयोजन किया। आयोजन का समसामयिक विषय सामाजिक अनुकूलनशीलता रखा गया था। इस अवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम के आरंभ में मंच के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित सदस्यों का स्वागत करते हुए नागार्जुन का जीवन परिचय पढ़ा तथा उनके काव्य का विश्लेषण भी किया। तदुपरांत सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। इस अवसर पर शिमला से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार तथा आलोचक डॉ हरि राम शर्मा ने नागार्जुन विमर्श पर महत्वपूर्ण लेख पढ़ कर गागर में सागर भर दिया। शरत् शर्मा ने नागार्जुन की कविता गुलाबी चूड़ियाँ, तथा स्वरचित कविता बाऊ जी, का पाठ करके सभी के मर्म को स्पंदित कर दिया।
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महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा पाठशाला के महासचिव डॉ. संतोष कुमार ने नागार्जुन की कालिदास कविता का पाठ किया तथा विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। डॉ. संतोष कुमार ने अपनी कविता बचा लेना उस रीत को, प्रस्तुत करके प्राचीन रीति रिवाजों को बचाने का संदेश दिया। शिक्षिका रेखा रश्मि गकखड ने अपनी कविताओं जिंदगी यह तो बता, वो आँखें, तथा अंधेरे का जुगनू, कविताओं का पाठ अपने चिर परिचित अंदाज में किया ।
इसके बाद मंच के वरिष्ठ सदस्य भूपेंद्र जसरोटिया ने छड्ड स्यापा कुड़िये, तथा बैंग बैंग बैंग बैंग चंब्याली रैप गाकर मनोरंजन के साथ साथ समाज को महत्वपूर्ण संदेश भी दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े डॉ.ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता ने जन चेतना के कवि नागार्जुन, पर शोधात्मक एवं विश्लेषणात्मक लेख का पाठ करके कवि के अनेक अनछुए पहलुओं को विस्तार देते हुए नागार्जुन के लेखन के नए बिंदुओं को रेखांकित करते हुए प्रस्तुत किया।
उषा शोना ने अपनी कविता कूच द्वारा गाँव और शहर के अंतर को दर्शाया। सलोचना ने क्योंकि वो औरत है, कविता द्वारा नारी की व्यथा को उजागर किया। पल्लवी शर्मा ने ऐसा है जीवन, कविता द्वारा जीवन को संपूर्णता के साथ जीने का संदेश दिया। डॉ. उज्ज्वल कटोच ने मैं इस उम्मीद में डूबा कि तू बचा लेगा, गज़ल गा कर सभी को झूमने पर विवश कर दिया। भाग सिंह ने काश जिंदगी एक किताब होती, कविता का पाठ किया।
युवा कवि हेम राज ने किताब से फोन काल, कविता द्वारा अपने भावों को व्यक्त किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉ. संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ शानदार अंदाज में किया। पाठशाला के संरक्षक बाल कृष्ण पराशर ने इस कोरोना संकट में सरकार की नीति और नियम के पालन हेतु सन्देश दिया।
इसी अवसर पर पाठशाला के वित्त सलाहकार धर्मवीर शर्मा ने संगठन की आर्थिक मजबूती के ऊपर बल का संदेश पहुंचाया। अध्यक्षीय वत्तव्य में शरत् शर्मा ने कहा कि अधिक से अधिक सदस्यों की सक्रियता से चम्बा जैसे पिछड़े सदर में साहित्यिक सृजन का पर्याप्त माहौल बिल्ड हो रहा है के साथ आभार व्यक्त किया।
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