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चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में कला सृजन पाठशाला द्वारा सुमित्रानन्दन पन्त जयंती के उपलक्ष्य पर कोरोना की दूसरी लहर के चलते गूगल-मीट के माध्यम से कविता-पाठ तथा लेख- पाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य जगत के उन हीरों को याद किया गया जिनको इस कोरोनाकाल की दूसरी लहर ने हमसे छीन लिए। उनकी याद में दो मिनट का मौन रख कर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित सदस्यों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया तथा सुमित्रानन्दन पन्त का संक्षिप्त परिचय पढ़ा । तदुपरांत सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। इस अवसर पर शिमला से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार तथा आलोचक डॉ हरि राम शर्मा ने कविता के मर्म और कविता की महत्ता के साथ कविता सृजन की समाज के लिए उपयोगिता को रेखांकित करता लेख पढ़ा। शरत् शर्मा ने अपनी कविता 'सरिता' तथा 'मुक्ति' द्वारा प्रकृति के व्यापक सन्दर्भों को बताते हुए सभी को मंत्र मुग्ध किया। महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा पाठशाला के महासचिव डॉ संतोष कुमार ने सुमित्रानन्दन पन्त की कविता 'ताज' का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। शिक्षिका रेखा रश्मि गक्खड़ ने अपनी कविताओं 'उस दुनिया में जीना है मुझे', 'मोहभंग' तथा 'रज्जो सपने बुनती है' से अपने चिर परिचित अंदाज में शानदार प्रस्तुति दे कर सभी को आकृष्ट किया। इसके बाद सपना भरद्वाज ने 'कोशिश करने वालों की हार नही होती' कविता का पाठ किया। सलोचना ने 'मुझे खुद नही पता' कविता द्वारा अपने भावों को व्यक्त किया। दर्शना ने 'बेजान खिलौना' सपना ने 'मुझे आगे बढ़ना है' कविता द्वारा मन के दृढ़ निश्चय का संदेश दिया। महाविद्यालय के हिंदी विभाग के छात्र अभिषेक ठाकुर ने अपनी कविता 'मैं ख्वाहिशों का समंदर' तथा 'मजदूर बहुत मजबूर हूं मैं' द्वारा सभी को मंत्रमुग्ध किया। हरीश शर्मा ने अपने भावों को 'उलझन' कविता द्वारा व्यक्त करते हुए मानव जीवन की विडंबना की ओर इशारा किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का डॉ. संतोष कुमार ने पठित रचनाओं पर बेबाक टिप्पणी करते हुए मंच का संचालन बखूबी निभाया। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित सदस्यों का धन्यवाद करते हुए यह कहा कि सृजनशीलता का स्तर दिन प्रतिदिन निखर रहा है तथा साथ में रचनाशीलता की विश्लेषणात्मक, समीक्षात्मक तथा आलोचनात्मक धरती भी तैयार हो रही है।
चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में कला सृजन पाठशाला द्वारा सुमित्रानन्दन पन्त जयंती के उपलक्ष्य पर कोरोना की दूसरी लहर के चलते गूगल-मीट के माध्यम से कविता-पाठ तथा लेख- पाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य जगत के उन हीरों को याद किया गया जिनको इस कोरोनाकाल की दूसरी लहर ने हमसे छीन लिए।
उनकी याद में दो मिनट का मौन रख कर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित सदस्यों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया तथा सुमित्रानन्दन पन्त का संक्षिप्त परिचय पढ़ा । तदुपरांत सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। इस अवसर पर शिमला से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार तथा आलोचक डॉ हरि राम शर्मा ने कविता के मर्म और कविता की महत्ता के साथ कविता सृजन की समाज के लिए उपयोगिता को रेखांकित करता लेख पढ़ा। शरत् शर्मा ने अपनी कविता 'सरिता' तथा 'मुक्ति' द्वारा प्रकृति के व्यापक सन्दर्भों को बताते हुए सभी को मंत्र मुग्ध किया।
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महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा पाठशाला के महासचिव डॉ संतोष कुमार ने सुमित्रानन्दन पन्त की कविता 'ताज' का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। शिक्षिका रेखा रश्मि गक्खड़ ने अपनी कविताओं 'उस दुनिया में जीना है मुझे', 'मोहभंग' तथा 'रज्जो सपने बुनती है' से अपने चिर परिचित अंदाज में शानदार प्रस्तुति दे कर सभी को आकृष्ट किया। इसके बाद सपना भरद्वाज ने 'कोशिश करने वालों की हार नही होती' कविता का पाठ किया। सलोचना ने 'मुझे खुद नही पता' कविता द्वारा अपने भावों को व्यक्त किया।
दर्शना ने 'बेजान खिलौना' सपना ने 'मुझे आगे बढ़ना है' कविता द्वारा मन के दृढ़ निश्चय का संदेश दिया। महाविद्यालय के हिंदी विभाग के छात्र अभिषेक ठाकुर ने अपनी कविता 'मैं ख्वाहिशों का समंदर' तथा 'मजदूर बहुत मजबूर हूं मैं' द्वारा सभी को मंत्रमुग्ध किया। हरीश शर्मा ने अपने भावों को 'उलझन' कविता द्वारा व्यक्त करते हुए मानव जीवन की विडंबना की ओर इशारा किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का डॉ. संतोष कुमार ने पठित रचनाओं पर बेबाक टिप्पणी करते हुए मंच का संचालन बखूबी निभाया। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित सदस्यों का धन्यवाद करते हुए यह कहा कि सृजनशीलता का स्तर दिन प्रतिदिन निखर रहा है तथा साथ में रचनाशीलता की विश्लेषणात्मक, समीक्षात्मक तथा आलोचनात्मक धरती भी तैयार हो रही है।
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