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चम्बा ! सर्दियों का मौसम जैसे जैसे शुरू होने जा रहा है, ग्रामीण लोग इस सर्दी से बचने के लिए उपयोग में आने वाली उन सभी जरूरत की वस्तुओं को एकत्रित करना शुरू कर देते है ताकि सर्दी के इस मौसम से बचा जा सके। आज हम अपने दर्शकों को जनजातीय क्षेत्र भरमौर की उन ऊंची पहाड़ियों पर लेकर जाने वाले है जहां मनुष्य को हर वह जरूरत की चीज को समय से पहले इसलिए इकट्ठा करना पड़ता है,ताकि जिस समय भारी बर्फबारी हो तो उनको और उनके मवेशियों को घर के भीतर ही खाने पीने की सुविधा उपलब्ध हो जाए। जिले के दूर दराज क्षेत्र के रहने वाले ग्रामीण लोगों का जीवन कितना मुश्किल भरा है उन लोगों की जुबानी सुना जा सकता है। जनजातीय क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाला यह गांव गैहरा है जोकि सड़क से करीब पांच से 6, किलोमीटर की दूरी पर है। वैसे तो जिले में कई और ऐसे भी ग्रामीण इलाके है जहां पर कड़ाके की सर्दी पड़ती है और इसी तरह से ग्रामीण लोग आने वाली सर्दियों से बचने के लिए पहले से ही मवेशियों के लिए घासफूस तो अपने लिए लकड़ी और खाने पीने की सारी वस्तुओं को एकत्रित कर लेते है ताकि सर्दियो में किसी तरह की कोई तंगी न हो। पर हम उस ग्रामीण इलाके की बात कर रहे है जहां पर सुविधा के नाम पर कोई भी चीज दिखाई नही देती है पर ऐसी दुर्गम पहाड़िया जरूर दिखाई देती है अगर उन पहाड़ियों से किसी का पांव फिसले तो बचना लगभग नामुमकिन ही है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में सर्दियों के दिनो मे भारी हिमपात हो जाने से लोग अपने घरों से निकल तक नहीं पाते है। बताते चले कि अभी सर्दियों का आगमन धीरे धीरे शुरू हो चला है और ऐसे में ग्रामीण लोग पशुओं के लिए चारे के साथ अपने लिए जलाने के लिए लकड़ी और खाने पीने की सभी वस्तुओं को इकट्ठे करने के लिए क्या बच्चे क्या बड़े सभी लोग में जुट गए है। इन लोगो ने बताया कि हमारे यहां पर सर्दियों के दिनो मे भारी बर्फबारी हो जाती है और इस बर्फबारी और सर्दी से बचने के लिए हम सब सर्दियां आने से पहले ही सब कुछ इकट्ठा कर लेते है ताकि बर्फबारी के दौरान उनको किसी तरह की तंगी न होने पाए।
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