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चम्बा , 11 जनवरी [ शिवानी ] ! समूचे चम्बा जिला में इस बार मौसम की बेरुखी साफ तौर से देखी जा सकती है। बारिश नही होने के कारण जहां गंदम की फसल,और उसमे साथ नगदी फसले तबाह होती जा रही है वहीं बागवानों की सेब की पैदावार पर भी गहरा असर दिखाई दे रहा है जोकि एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। जिससे बागवान काफी चिंतित है। आपको बता दे कि जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों जिसमे तीसा भरमौर, और भांदल इतियादी के बागवानों द्वारा सब के पौधों की प्रोनिग का कार्य तो समाप्त हो चुका है पर बिन बारिश के अभी भी इन पौधों के तोलिए बनाना शेष बचा हुआ है। अगर अभी भी बारिश और बर्फबारी नही होती है तो जिस बागवानों की साल की जीविका इन्ही सब पर होती है उनको आने वाले समय में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं जब जिला चम्बा के किसानों और बागवानों से इस बारे पूछा गया तो इन लोगो ने बताया कि इस बार बारिश और बर्फबारी कम होने से नगदी फसलों के साथ सेब की पैदावार प्रभावित हो सकती है अभी तक जरूरत के मुताबिक ना तो बारिश हुई है और न ही बर्फ गिरी है जिससे भविष्य में सेब की पैदावार प्रभावित होगी। उनके अनुसार वह साल भर इसी फसल पर निर्भर रहते हैं तथा ऐसे में अगर उनकी फसल प्रभावित होती है तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वही जब इस बारे में उद्यान विभाग के उपनिदेशक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह सही बात है कि इस बार सेब की फसल के लिए बारिश हो बर्फबारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि बारिश से निचले क्षेत्रों में सेबो के पौधों के नीचे जमीन में नमी होनी बहुत ही जरूरी होती है साथ ही जो बर्फबारी है उससे सेब के पौधे के लिए चीलिंग अवर बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक वर्ष में सब के पैदावार के लिए पौधों को 1200 से 1600 तक चीलिंग ऑवर चाहिए होते हैं जो नहीं मिल पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर बर्फबारी नहीं होती है तो सेब के पौधों को नुकसान हो सकता है।
चम्बा , 11 जनवरी [ शिवानी ] ! समूचे चम्बा जिला में इस बार मौसम की बेरुखी साफ तौर से देखी जा सकती है। बारिश नही होने के कारण जहां गंदम की फसल,और उसमे साथ नगदी फसले तबाह होती जा रही है वहीं बागवानों की सेब की पैदावार पर भी गहरा असर दिखाई दे रहा है जोकि एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। जिससे बागवान काफी चिंतित है। आपको बता दे कि जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों जिसमे तीसा भरमौर, और भांदल इतियादी के बागवानों द्वारा सब के पौधों की प्रोनिग का कार्य तो समाप्त हो चुका है पर बिन बारिश के अभी भी इन पौधों के तोलिए बनाना शेष बचा हुआ है। अगर अभी भी बारिश और बर्फबारी नही होती है तो जिस बागवानों की साल की जीविका इन्ही सब पर होती है उनको आने वाले समय में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
वहीं जब जिला चम्बा के किसानों और बागवानों से इस बारे पूछा गया तो इन लोगो ने बताया कि इस बार बारिश और बर्फबारी कम होने से नगदी फसलों के साथ सेब की पैदावार प्रभावित हो सकती है अभी तक जरूरत के मुताबिक ना तो बारिश हुई है और न ही बर्फ गिरी है जिससे भविष्य में सेब की पैदावार प्रभावित होगी। उनके अनुसार वह साल भर इसी फसल पर निर्भर रहते हैं तथा ऐसे में अगर उनकी फसल प्रभावित होती है तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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वही जब इस बारे में उद्यान विभाग के उपनिदेशक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह सही बात है कि इस बार सेब की फसल के लिए बारिश हो बर्फबारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि बारिश से निचले क्षेत्रों में सेबो के पौधों के नीचे जमीन में नमी होनी बहुत ही जरूरी होती है साथ ही जो बर्फबारी है उससे सेब के पौधे के लिए चीलिंग अवर बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक वर्ष में सब के पैदावार के लिए पौधों को 1200 से 1600 तक चीलिंग ऑवर चाहिए होते हैं जो नहीं मिल पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर बर्फबारी नहीं होती है तो सेब के पौधों को नुकसान हो सकता है।
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