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चम्बा ! चम्बा जिले की रहने वाली ललिता वकील जिनको की अभी आधिकारिक तौर पर पदमश्री अवार्ड से सम्मान मिलने जा रहा है। आपको बताते चले कि ललिता वकील जिनको पहले कलाश्री, कला विभूषण, और यहाँ तक की उनको चम्बा रुमाल की कढ़ाई में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए तीन बार राष्ट्रपति अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है और अबकी बार इस कलाकार को पदमश्री अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा। जिसको लेकर वह बहुत खुश है। रंग बिरंगे महीन रेशमी धागे से रेशमी कढ़ाई कर रही यह महिला चम्बा शहर के मुंहल्ला चोंतडा की रहने वाली है। इनको बचपन में ही शोक था कि वह चम्बा रुमाल पर बेहतरीन काम करे और आज इसी काम की बदौलत इन्होंने अपने चम्बा शहर के नाम के साथ अपने प्रदेश और देश का नाम सात समुंदर तक पहुंचाया और ये इन सब का श्रेय अपने बजुर्गो के साथ सबसे पहले चम्बा कढ़ाई में राष्ट्रपति से सम्मानित माहेश्वरी देवी को देती है, जिनको की वर्ष 1965,में सम्मान मिला था। चम्बा रुमाल में कढ़ाई हर कोई कर पाए ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है। चम्बा रुमाल में अपने पचास सालों का तजुर्बा लिए पद्मश्री से सम्मानित होने जा रही ललिता वकील ने बताया कि चम्बा रुमाल की बस यही एक खासियत है कि इसकी कढ़ाई होने पर यह दोनों तरफ से एक सा ही दिखाई देता है। पद्मश्री अवार्ड मिलने पर उनको कितनी खुशी हो रही है तो इसका लेकर ललिता वकील ने बताया कि यह कला भले ही अपनी जगह पर आधुनिक हो पर जो क्रेज आज इस कला में मिल रही है इससे पहले इसकी इतनी कोई खास पहचान नहीं थी। उन्होंने बताया कि चम्बा रुमाल बनाने की यह कला हर किसी के पास पहुंचे में खुद अपने मुहल्ले,या फिर गांव की गरीब लड़कियों को इसके बारे में सिखाती भी थी और जागरूक भी करती थी और जो कुछ स्टाइफन के तौर पर जो थोड़े बहुत पैसे मिलते थे मैं उन गरीब महिलाओं और बच्चियों को दे दिया करती थी। उन्होंने बताया कि मैने इस काम को लगन के साथ चलाए रखा और सबसे पहला राष्ट्रपति अवार्ड वर्ष 1993, में शंकर दयाल के हाथो से पाया, और उसके बाद 2017,तक मुझे इस कला को लेकर अवार्ड मिलते ही रहे।
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