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चम्बा ! प्राचीन ग्रंथो में विख्याम है साल में एक बार आने वाली शरद पूर्णिमा में जो कोई भी खुले में चांदनी की रोशनी के दीदार के साथ चांद की रोशनी को ग्रहण करता है उसको कभी भी कोई रोग छू नहीं सकता है और यह शुभ दिन करवाचौथ से एक दिन पूर्व में आता है और इस दिन का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार भी करते है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय स्वयं संघ द्वारा इसका आयोजन बड़े स्तर पर किया गया। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे स्थानीय चम्बा के लोग जिनमे महिलाएं भी थी इन सभी लोगो ने अपने ऐतिहासिक चौगान में बैठकर इस सर्द पूर्णिमा पर भगवान के भजन का सिमरन किया और बनाई गई खीर जिसे की चांदनी की रोशनी में ही बनाया जाता है प्रसाद के रूप आए हुए लोगों में वितरित की गई। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर बनाई गई इस खीर का अगर कोई सेवन करता है तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक सिद्ध होती है। शरद पूर्णिमा के इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयं संघ के जिला अध्यक्ष ने जानकारी दी और बताया कि यह दिन हमारे ऋषि मुनियों ने ही निर्धारित किया था। उनका कहना था कि 16,कला संपूर्ण चांद इस शरद पूर्णिमा के दिन धरती से सबसे नजदीक होता है और इस दिन चांद से निकलने वाले कितने बहुत ही लाभदायक होती है और इसको विज्ञानिक भी मानते है।
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