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चम्बा ! रमेश राव प्रदेश सचिव हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा किविपक्ष ,किसान या आम देश की जनता, अगर सरकार के खिलाफ आवाज उठाएं,तो मोदी सरकार को बुरा लग जाता हैं, सरकार उन्हें देश द्रोही तक करार दे देती है, अन्न पैदा कर दूसरों को जीवन देने वाले आंदोलनकारी किसानों को परजीवी कहा जा रहा है । कितनी शर्म की बात है, देश के शीर्ष पदों पर बेठ कर देश की जनता और आंदोनल कारियों की समस्या का समाधान करने के बजाय संसद के अन्दर मजाकिये तंज करना और आंदोलन जीवियों की जमात कहना बिल्कुल लोकतंत्र को शर्मसार करने बाली बात है l लोकतंत्र् में सभी को हक है कि अपने हक की लडाई के लिए सरकार का दरबाजा खड़का सकते है। पर केंद्र सरकार को हिटलरशाही और तानाशाही पसंद है,माननीय मोदी साहब जी को आपको यह बताना ही पड़ेगा कि जब आप की पार्टी विपक्ष में थी तो क्या आपके सहयोगी आंदोलनजीवी थे या परजीवी। आप लोगों ने जिस रसोई, गैस, डीजल पेट्रोल की कीमतों को लेकर इतने धरने प्रदर्शन किये आज उन्हीं चीजों के दाम दो गुणा बड़ा दिये आज आपकी सरकार ने, आज आपके राज में म॔हगाई चर्म सीमा पर है l दूसरी तरफ पर देश के सर्वोतम न्यायालय और शीर्ष पदों पे बेठे लोग माननीय प्रधानमंत्री की तारीफ करें तो वो उन्हें अच्छा लगता l पर केंद्र सरकार के नुमाइंदे को बता दें कि जब शीर्ष न्यायपालिका के उच्च पदाधिकारी एक राजनीतिक नेता या विचारधारा के पक्ष में बोलना शुरू करती है,तो पूरी न्याय प्रणाली में गिरावट आनी तय है। यह भारत में न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करती है और आज सरकार ने सब कुछ अपने कब्जे में कर रखा है जो सरेआम लोकतंत्र की हत्या है।
चम्बा ! रमेश राव प्रदेश सचिव हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा किविपक्ष ,किसान या आम देश की जनता, अगर सरकार के खिलाफ आवाज उठाएं,तो मोदी सरकार को बुरा लग जाता हैं, सरकार उन्हें देश द्रोही तक करार दे देती है, अन्न पैदा कर दूसरों को जीवन देने वाले आंदोलनकारी किसानों को परजीवी कहा जा रहा है ।
कितनी शर्म की बात है, देश के शीर्ष पदों पर बेठ कर देश की जनता और आंदोनल कारियों की समस्या का समाधान करने के बजाय संसद के अन्दर मजाकिये तंज करना और आंदोलन जीवियों की जमात कहना बिल्कुल लोकतंत्र को शर्मसार करने बाली बात है l
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लोकतंत्र् में सभी को हक है कि अपने हक की लडाई के लिए सरकार का दरबाजा खड़का सकते है। पर केंद्र सरकार को हिटलरशाही और तानाशाही पसंद है,माननीय मोदी साहब जी को आपको यह बताना ही पड़ेगा कि जब आप की पार्टी विपक्ष में थी तो क्या आपके सहयोगी आंदोलनजीवी थे या परजीवी।
आप लोगों ने जिस रसोई, गैस, डीजल पेट्रोल की कीमतों को लेकर इतने धरने प्रदर्शन किये आज उन्हीं चीजों के दाम दो गुणा बड़ा दिये आज आपकी सरकार ने, आज आपके राज में म॔हगाई चर्म सीमा पर है l
दूसरी तरफ पर देश के सर्वोतम न्यायालय और शीर्ष पदों पे बेठे लोग माननीय प्रधानमंत्री की तारीफ करें तो वो उन्हें अच्छा लगता l पर केंद्र सरकार के नुमाइंदे को बता दें कि जब शीर्ष न्यायपालिका के उच्च पदाधिकारी एक राजनीतिक नेता या विचारधारा के पक्ष में बोलना शुरू करती है,तो पूरी न्याय प्रणाली में गिरावट आनी तय है।
यह भारत में न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करती है और आज सरकार ने सब कुछ अपने कब्जे में कर रखा है जो सरेआम लोकतंत्र की हत्या है।
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