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चम्बा , 11 सितम्बर [ शिवानी ] ! भगवान विष्णु के मोहिनी रूप व राक्षस भस्मासुर के बीच हुए जोरदार द्वंद का प्राचीन परंपरा के रूप में रथ- रथनी जातर मेला का आयोजन किया गया है। इस प्राचीन धार्मिक परंपरा का जिला मुख्यालय के मुख्य चौराहे में आयोजन किया गया। नगर के बीचों बीच मौजूद भगवान श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर से भगवान विष्णु के मोहिनी रूप में सजी आदमकद काष्ठ मूर्ति को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ चम्बा के मुख्य चौक में लाया जाता है तो उसी समय नगर के बीच बीच मौजूद भगवान हरिराय के मंदिर से भस्मासुर की शोभायात्रा वाद्य यंत्रों के साथ निकलती है। जैसे ही चम्बा के मुख्य चौक पर दोनों का आमना सामना होता है तो लड़ाई के स्वरूप में दोनों के बीच टकराव करवाया जाता है जिसे मोहिनी व भस्मासुर का द्वंद कहा जाता है। इस द्वंद में पाप यानी भस्मासुर की पराजय होती है तो मोहिनी रूप पुण्य की जीत का जश्न मनाया जाता है। दोनों के बीच टकराव होने के बाद मोहिनी की आदमकद काष्ठ मूर्ति को चंपावती मंदिर में ले जाया जाता है और वहां विशेष पूजा अर्चना होती है जबकि भस्मासुर की पूरे नगर के परिक्रमा करवाई जाती है। इस परंपरा को पाप व पुण्य के साथ बुराई पर अच्छाई का प्रतीक भी माना जाता है।
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