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चम्बा ! इस वर्ष किसानों और बागवानो के लिए मौसम बिल्कुल लाभदायक नहीं रहा। मौसम की बेरुखी के चलते जहां किसानों की फसलें बर्बाद हो गई वहीं वागवानों के सेव को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि बर्फबारी के दौरान जब पेड़ों को चिलिंग समय की जरूरत थी उस समय वह समय पूरा हो गया था लेकिन जब पेड़ों पर सेव के फूल निकले तो उस समय ओलावृष्टि ने पहले तो उन फूलों को काफी नुकसान पहुंचाया बाद में रही कहीं कसर जब पेड़ों में दाने आने लगे तो उस समय भी ओलावृष्टि ने सारी फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। अब किसानों वागवानों को सरकार पर उम्मीद है कि शायद वह किसी तरह उनकी मदद करें और उनका गुजर बसर हो सके क्योंकि बहुत से ऐसे किसान बागवान हैं जो सारा साल इसी पर निर्भर होता है और उनके परिवार का गुजर-बसर भी इसी से चलता है। वही किसान और बगवान ने बताया कि इस बार मौसम की बेरुखी के चलते उनकी जहां फसलें बर्बाद हुई है वहीं सेब की फसल भी पूरी तरह से बर्बाद हो गई है चुराह व सलूणी क्षेत्र में अधिकतर बागवान मौसम की बेरुखी को झेल रहे हैं। ओलावृष्टि ने उनके सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया। जहां कहीं थोड़े बहुत सेब की फसल हुई वहां वह खाने योग्य ही नहीं रहा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि किसानों और बाग़वानों के लिए कोई योजना होनी चाहिए ताकि अगर इस तरह से उन्हें मौसम के चलते नुकसान हो तो सरकार द्वारा उनकी आर्थिक मदद की जा सके।
चम्बा ! इस वर्ष किसानों और बागवानो के लिए मौसम बिल्कुल लाभदायक नहीं रहा। मौसम की बेरुखी के चलते जहां किसानों की फसलें बर्बाद हो गई वहीं वागवानों के सेव को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि बर्फबारी के दौरान जब पेड़ों को चिलिंग समय की जरूरत थी उस समय वह समय पूरा हो गया था लेकिन जब पेड़ों पर सेव के फूल निकले तो उस समय ओलावृष्टि ने पहले तो उन फूलों को काफी नुकसान पहुंचाया बाद में रही कहीं कसर जब पेड़ों में दाने आने लगे तो उस समय भी ओलावृष्टि ने सारी फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। अब किसानों वागवानों को सरकार पर उम्मीद है कि शायद वह किसी तरह उनकी मदद करें और उनका गुजर बसर हो सके क्योंकि बहुत से ऐसे किसान बागवान हैं जो सारा साल इसी पर निर्भर होता है और उनके परिवार का गुजर-बसर भी इसी से चलता है।
वही किसान और बगवान ने बताया कि इस बार मौसम की बेरुखी के चलते उनकी जहां फसलें बर्बाद हुई है वहीं सेब की फसल भी पूरी तरह से बर्बाद हो गई है चुराह व सलूणी क्षेत्र में अधिकतर बागवान मौसम की बेरुखी को झेल रहे हैं। ओलावृष्टि ने उनके सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया। जहां कहीं थोड़े बहुत सेब की फसल हुई वहां वह खाने योग्य ही नहीं रहा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि किसानों और बाग़वानों के लिए कोई योजना होनी चाहिए ताकि अगर इस तरह से उन्हें मौसम के चलते नुकसान हो तो सरकार द्वारा उनकी आर्थिक मदद की जा सके।
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