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चम्बा ! सुंदर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 28 नवंबर 2021 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा कश्मीर के रचनाकार महाराज कृष्ण काव की जयंती के उपलक्षय पर कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का आयोजन सत्र-33 गूगल-मीट के माध्यम से किया। इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ चम्बा के दूरदराज क्षेत्रों से जुड़े रचनाकारों के साथ दिल्ली से भी रचनाकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने कश्मीरी लेखक महाराज कृष्ण काव का जीवनवृत उपस्थित रचनाकारों के समक्ष पढ़कर उनके लेखन तथा जीवन से परिचय के साथ उनके द्वारा लिखी महत्वपूर्ण पुस्तकों ब्यूरोक्रेजी, कहना आसान है, इक्ष्वाकु से, आसमान नहीं गिरते, तथा चढ़ते पानी से बाख़बर को रेखांकित किया। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं के पाठ से सभी को मोहित किया। कविता पाठ का आरंभ महाराज सिंह की कविता जीवन मूल्य से हुआ जिसमें वह लिखते हैं, 'अपनी संस्कृति में उजाले रखना, संस्कारों के मोती संभाले रखना'। दूसरी कविता जो त्रासद घटना पर आधारित है में कहते हैं, 'था जो कभी सुन्दर महल, होती थी चहल पहल तेरे जाने से पहले, हो गया है खण्डहर तेरे जाने के बाद'। हेमराज ने अपनी कविता से लोकमंगल की ओर इशारा इन पंक्तियों में किया, 'गुनगुनाता रहता हूँ गीत गाता रहता हूँ, चलता फिरता रहता हूँ, यूँ ही गुनगुनाता रहता हूँ'। दूसरी कविता 'कहाँ गए भगवान' पढ़ी जिसमे सामाजिक सन्दर्भों को उठाया। दिल्ली से जुड़ी कवियत्री ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता ने पिता और बच्चे के रिश्ते को केंद्र में रख कर अद्भुत कविता पढ़ी जिसमें बच्चे की भावना सहजता से अभिव्यक्ति पाती है। इस कविता में वह लिखती हैं, 'तेरे विश्वास से मेरा कदम बढ़ा है'। 'खुद को जीती हूँ खुद को लिखती हूँ' में समाज में व्याप्त विसंगतियों को उकेरती हैं और पाठक को सजग करती हैं। भूपेन्द्र सिंह जसरोटिया ने लोकतन्त्र कविता में कहा, 'लोकतंत्र है बोलो बोलो, जहर जितना हो घोलो'। इसमें बोलने की आजादी के नाम पर कुछ भी कह कर राजनीतिक लाभ लेने की अभिव्यक्ति हुई है। इसके साथ ही रैप 'अबेह होए असीह आजाद, बंदह कराह पुराणे रागह' गा कर सबको झूमने के लिए बाध्य कर दिया। शरत् शर्मा ने 'वह कौन थी' और 'साहबजादे' कविता का पाठ किया। मंच का संचालन कला सृजन पाठशाला के सलाहकार भूपेन्द्र सिंह जसरोटिया ने बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में किया । सभी उपस्थित रचनाकारों का मनोरंजन भी करते रहे और रचनाओं पर सटीक टिप्पणी भी करते रहे । समापन वक्तव्य में कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष ने कहा ऐसे रचनाकारों तथा उनकी कृतियों को जिनके बारे में कम जानते हैं को समय-समय पर इस मंच के माध्यम से आमजन के बीच ले जाकर साहित्य जागरण को बढ़ाते रहेंगे के साथ उपस्थित रचनाकरों का धन्यवाद किया।
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