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चम्बा ! आज विश्व रेबीज दिवस का आयोजन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मैहला में किया गया जिस की अध्यक्षता कार्यक्रम अधिकारी ड़ा हरित पूरी ने किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य खंड चूड़ी की आशा कार्यकर्ता ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि आज विश्व भर में 'वर्ल्ड रेबीज डे' मनाया जा रहा है। यह दिन हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2007 में हुई थी। रेबीज लायसावायरस के कारण होने वाला एक वायरल रोग है। सबसे पहले इस रोग से लड़ने के लिए लुई पाश्चर ने पहली प्रभावी रेबीज वैक्सीन विकसित की थी। उन्होंने इस बीमारी के बारे में बताते हुए कहा कि रेबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। रेबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी फैल जाता है। रेबीज एक जानलेवा रोग है जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, जो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है। रैबीज व्यक्ति के शरीर को दो तरह से प्रभावित करता है। रैबीज वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति या तो जल्द कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है। कभी-कभी उसे पानी से भी डर लगता है। इसके अलावा कुछ लोगों को लकवा भी हो सकता है। इसके अलावा यह वायरस, मानव त्वचा या मांसपेशियों के संपर्क में आने के बाद रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क की ओर प्रसारित हो जाता हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का इलाज एक मात्र ए आर वी वैक्सीनेशन ही है. किसी भी प्रकार के जानवर के काटने के बाद फोरन ए आर बी का इनजेकशन लगवाए. य़ह टीका सभी स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध और निःशुल्क लगाया जाता है। इस अवसर पर डॉ विवेक गुप्ता पशु चिकित्सक अधिकारी मेहला ने बताया कि अगर रेबीज से संक्रमित किसी बंदर या कुत्ते आदि ने काट लिया तो तुरंत इलाज करवाएं। काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटौल से साफ करें।जितना जल्दी हो सके वेक्सिन या एआरवी के टीके लगवाएं।पालतु कुत्तों को इंजेक्शन लगवाएं।जानवर के काटने पर क्या न करें, अगर रेबीज से संक्रमित किसी कुत्ते या बंदर आदि के काटने पर इलाज में लापरवाही न बरतें। काटे हुए जख्म पर मिर्च न बांधे। घाव अधिक है तो उस पर टांके न लगवाएं।रेबीज के संक्रमण से बचने के लिए कुत्ते व बंदरों आदि के अधिक संपर्क में न जाए।
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