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चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 30 जनवरी 2022 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार मोहन राकेश की जयंती के उपलक्षय पर कविता पाठ तथा लेख पाठ का गूगल-मीट के माध्यम से सत्र-35 आयोजन किया। इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। इसमें हिमाचल के दूरदराज क्षेत्रों से भी रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के साथ उपस्थिति दर्ज की। कार्यक्रम की शुरुआत मे मंच के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने मोहन राकेश का जीवन परिचय पढ़ा तथा उनके काव्य का विश्लेषण भी किया। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से सभी को भावविभोर किया। कार्यक्रम की शुरूआत महाविद्यालय के छात्र पमेश ने 'राष्ट्रपिता महात्मा गान्धी' तथा 'मददगार यह हाथ हमारे' कविता द्वारा की। इसके बाद अभिषेक ने 'हर रोज' तथा अंजलि ने 'ए शहीद तेरी कहानी' तथा 'शराबी दे खराबी' कविता का पाठ किया। शिल्पा ठाकुर ने 'हिंदी है हमारी शान' कविता प्रस्तुत की। भाषा अध्यापक राकेश ठाकुर ने 'उम्रदराज जंगल में सूखी शाख' संदेशपरक कविता का पाठ किया। हुगत खन्ना ने 'गांधी अभी जिंदा है' कविता द्वारा महात्मा गांधी द्वारा बताए रास्ते पर चलने का संदेश दिया। महाराज सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'जब वीरों ने दी कुर्बानी थी' का पाठ किया। कवि हेमराज ने 'किनारे' नामक लघु कविता का पाठ किया। हरीश शर्मा ने 'बाबूजी' कविता द्वारा भावविभोर किया। कला सृजन पाठशाला के महासचिव तथा राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने "मेरे ब भाव" कविता द्वारा अपने उद्गारों को व्यक्त करते हुए समा बांधा। भाषा अध्यापिका एवं कवियत्री रेखा कक्कड़ 'रश्मि' ने 'इस दुनिया में जीना है' तथा 'नव वर्ष' कविता द्वारा सभी को मंत्रमुग्ध किया। कला सृजन पाठशाला के सलाहकार एवं कवि भूपेंद्र जसरोटिया ने अपने जाने पहचाने अंदाज मैं रैप, गजल तथा 'सरपरस्त' कविता द्वारा वाहवाही लूटी। शरत् शर्मा ने 'जन जंननी' तथा 'श्रमिक' कविता द्वारा श्रमिकों की दास्तान को बयां किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया। कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बाल कृष्ण पराशर ने अपने संदेश में कहा कि सदस्यों ने बीते वर्ष में बहुत ही बढ़िया सृजन कार्य किया है, के साथ सभी सदस्यों को इसी तरह सृजनात्मक कार्य में सक्रिय तथा प्रतिबद्ध रहने का अभिवादन दिया। कला सृजन पाठशाला की क्षेत्रीय सचिव रेखा गक्खड़ 'रश्मि' ने सभी रचनाओं का विश्लेषण करते हुए समापन वक्तव्य में इस बात पर बल दिया कि सदस्यों में आपसी रचनात्मक संवाद भी बढ़े और आपसी संवाद भी होता रहे, इससे रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
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