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चम्बा ! 19 अप्रैल , [ रीना सहोत्रा ] ! पूरे देश में नवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। चम्बा में भी जगह-जगह पर मंदिरों में मां दुर्गा व काली माता की 9 दिनों तक बड़े ही हर्षोलास व श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की गई। इसी के तहत जालपा मंदिर माई का बाग व् जुलाहकड़ी मंदिर में ज्वाला माता मंदिर से लाई गई जोत को व दोनों मंदिरों में काली माता की मूर्ति को स्थापित किया गया था। 9 दिनों तक इस अखंड जोत व माता मूर्ति की पूजा अर्चना के बाद इसे दसवें दिन पवित्र रवि नदी नदी में प्रवाहित किया गया। बैंड बाजों के साथ मोहल्ला माई का बाग व जुलाहकडी से जोत को पालकी पर उठाकर वह काली माता की मूर्ति को हाथों में लेकर श्रद्धालु जय माता के जयकारों के साथ रवि नदी के तट पर पहुंचे और उन्होंने पहले महामाई की जोत को प्रवाहित किया उसके बाद माता काली की मूर्ति को विसर्जित किया। इस शोभायात्रा में पुरुष,महिलाएं व छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हुए। हर साल नवरात्रों में इन दोनों मंदिरों में ज्वाला माता मंदिर से ज्योत लाई जाती है और यहां पर स्थापित कर पूरे शहर के लोग वहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं। इस शोभा यात्रा में भाग ले रहे लोगों ने बताया कि जो नवरात्रों में माता की मूर्ति वह ज्वाला जी से लाई गई जोत को यहां अखंड जोत जलाई जाती है। उन्होंने कहा कि माता काली की मूर्ति की भी यहां निरंतर नो दिन सुबह शाम यहां भजन और आरती की जाती है और अंतिम नवरात्र के दूसरे दिन माता की ज्योत को व काली माता की मूर्ति को पवित्र रावी नदी में प्रवाहित किया जाता है। उन्होंने कहा कि आज वह इसी मंगल कामना के साथ यहां आए हैं की माता रानी अगले वर्ष खुशियां लेकर उनके शहर में आये।
चम्बा ! 19 अप्रैल , [ रीना सहोत्रा ] ! पूरे देश में नवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। चम्बा में भी जगह-जगह पर मंदिरों में मां दुर्गा व काली माता की 9 दिनों तक बड़े ही हर्षोलास व श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की गई।
इसी के तहत जालपा मंदिर माई का बाग व् जुलाहकड़ी मंदिर में ज्वाला माता मंदिर से लाई गई जोत को व दोनों मंदिरों में काली माता की मूर्ति को स्थापित किया गया था। 9 दिनों तक इस अखंड जोत व माता मूर्ति की पूजा अर्चना के बाद इसे दसवें दिन पवित्र रवि नदी नदी में प्रवाहित किया गया।
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बैंड बाजों के साथ मोहल्ला माई का बाग व जुलाहकडी से जोत को पालकी पर उठाकर वह काली माता की मूर्ति को हाथों में लेकर श्रद्धालु जय माता के जयकारों के साथ रवि नदी के तट पर पहुंचे और उन्होंने पहले महामाई की जोत को प्रवाहित किया उसके बाद माता काली की मूर्ति को विसर्जित किया।
इस शोभायात्रा में पुरुष,महिलाएं व छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हुए। हर साल नवरात्रों में इन दोनों मंदिरों में ज्वाला माता मंदिर से ज्योत लाई जाती है और यहां पर स्थापित कर पूरे शहर के लोग वहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं।
इस शोभा यात्रा में भाग ले रहे लोगों ने बताया कि जो नवरात्रों में माता की मूर्ति वह ज्वाला जी से लाई गई जोत को यहां अखंड जोत जलाई जाती है। उन्होंने कहा कि माता काली की मूर्ति की भी यहां निरंतर नो दिन सुबह शाम यहां भजन और आरती की जाती है और अंतिम नवरात्र के दूसरे दिन माता की ज्योत को व काली माता की मूर्ति को पवित्र रावी नदी में प्रवाहित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि आज वह इसी मंगल कामना के साथ यहां आए हैं की माता रानी अगले वर्ष खुशियां लेकर उनके शहर में आये।- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
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