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चम्बा , 08 सितंबर [ शिवानी ] ! पिछले कल श्री कृष्ण जन्माष्टमी थी, जिसको कि अपने देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। आपको बता दे कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर श्री मणिमहेश कैलाश मानसरोवर में साही स्नान की भी परम्परा है और सदियों से इस परम्परा को जम्मू कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़, और भद्रवाह के श्रद्धालु ही इस कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर अपने साथ लाई गई देवताओं की पवित्र छड़ी को डलझील में स्नान करवाते है तदोपरांत अपने घरों को वापिस लोट आते है। आज भी बहुत सारे जम्मू कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़ से स्नान करके चम्बा लोटे इन लोगों से खास बातचीत हुई। पिछले 41, वर्षो से जन्माष्टमी की इस पर्व को करते चले आ रहे इन लोगों ने जहां जिला प्रशासन की अच्छी कार्यकुशलता पर बधाई दी तो वहीं उनका यह रोष भी रहा कि उनकी प्राचीन संस्कृति और देवताओं को मानने की परंपरा को हिमाचल सरकार ने बैन कर दिया है उस बलि प्रथा को फिर से लागू किया जाए। इन लोगों का कहना है कि भले ही प्रदेश सरकार ने भेड़ बकरियों की बलि प्रथा को बंद कर दिया है बाबजूद इसके सैकड़ो के हिसाब से उपर मणिमहेश डलझिल झील में पशुओं की बलि हुई। इन लोगों का यह भी कहना है कि हमारे यहां यह बलि प्रथा किसी शोक के कारण नहीं दी जाती है बल्कि अपने इष्टदेव से मांगी गई मन्नत को पूरा होने के बाद ही दी जाती हैं। इन लोगों ने हिमाचल प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि हमारी इस प्राचीन परम्परा को फिर लागू करने की अनुमति दी जाए। वही दूसरी और श्री कृष्ण जन्माष्टमी की इस पावन यात्रा को करके चम्बा के एतिहासिक चौगान में पहुंचे जम्मू कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़ की इन युवा युवतियों के साथ इन महिला का कहना है कि भगवान भोले नाथ की कृपा से इस बार की उनकी यह यात्रा बहुत ही अच्छी रही और भगवान भोले की कृपा के चलते किसी प्रकार की कोई जानी हानि नहीं हुई है, जहां तक जिला प्रशासन की बात है प्रशासन का भी बहुत ही अच्छा प्रबंध देखने को मिला। पूछने पर इन श्रद्धालुओ का कहना था कि वह इस पवित्र यात्रा को अपने जीते जी करते ही रहेंगे।
चम्बा , 08 सितंबर [ शिवानी ] ! पिछले कल श्री कृष्ण जन्माष्टमी थी, जिसको कि अपने देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। आपको बता दे कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर श्री मणिमहेश कैलाश मानसरोवर में साही स्नान की भी परम्परा है और सदियों से इस परम्परा को जम्मू कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़, और भद्रवाह के श्रद्धालु ही इस कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर अपने साथ लाई गई देवताओं की पवित्र छड़ी को डलझील में स्नान करवाते है तदोपरांत अपने घरों को वापिस लोट आते है।
आज भी बहुत सारे जम्मू कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़ से स्नान करके चम्बा लोटे इन लोगों से खास बातचीत हुई। पिछले 41, वर्षो से जन्माष्टमी की इस पर्व को करते चले आ रहे इन लोगों ने जहां जिला प्रशासन की अच्छी कार्यकुशलता पर बधाई दी तो वहीं उनका यह रोष भी रहा कि उनकी प्राचीन संस्कृति और देवताओं को मानने की परंपरा को हिमाचल सरकार ने बैन कर दिया है उस बलि प्रथा को फिर से लागू किया जाए।
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इन लोगों का कहना है कि भले ही प्रदेश सरकार ने भेड़ बकरियों की बलि प्रथा को बंद कर दिया है बाबजूद इसके सैकड़ो के हिसाब से उपर मणिमहेश डलझिल झील में पशुओं की बलि हुई। इन लोगों का यह भी कहना है कि हमारे यहां यह बलि प्रथा किसी शोक के कारण नहीं दी जाती है बल्कि अपने इष्टदेव से मांगी गई मन्नत को पूरा होने के बाद ही दी जाती हैं। इन लोगों ने हिमाचल प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि हमारी इस प्राचीन परम्परा को फिर लागू करने की अनुमति दी जाए।
वही दूसरी और श्री कृष्ण जन्माष्टमी की इस पावन यात्रा को करके चम्बा के एतिहासिक चौगान में पहुंचे जम्मू कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़ की इन युवा युवतियों के साथ इन महिला का कहना है कि भगवान भोले नाथ की कृपा से इस बार की उनकी यह यात्रा बहुत ही अच्छी रही और भगवान भोले की कृपा के चलते किसी प्रकार की कोई जानी हानि नहीं हुई है, जहां तक जिला प्रशासन की बात है प्रशासन का भी बहुत ही अच्छा प्रबंध देखने को मिला।
पूछने पर इन श्रद्धालुओ का कहना था कि वह इस पवित्र यात्रा को अपने जीते जी करते ही रहेंगे।
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