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चम्बा ! हिमाचल की प्रसिद्ध पर्यटन नगरी डलहौजी को स्कूलों की नगरी भी कहा जाता है यहां पर काफी प्रतिष्ठित हॉस्टल स्कूल हैं जिनमें भारतवर्ष के भिन्न भिन्न प्रांतों के बच्चे हॉस्टल में रहकर उच्च स्तरीय पढ़ाई करते हैं इन्हीं में से एक है डलहौजी का सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल जिसे अंग्रेजों ने यहां खोला था पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से यह बंद हो गया था अब पूरे 1 वर्ष बाद इस स्कूल में बाहर के बच्चों के आने से रोनक हो गई है स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर मौली चेरियन और स्कूल की मैनेजर सिस्टर मौली ओगसटिन दोनों ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया की फिलहाल आठवीं से लेकर बाहरबी तक बाहर के प्रदेशों से हॉस्टल में पढ़ने वाले लगभग 130 बच्चे 25 फरवरी को स्कूल में आ गए और 1 मार्च को स्कूल खुल गया है इन बच्चों की कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट देखकर ही इन्हें स्कूल में एंट्री दी गई और जो बच्चे कोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट लेकर नहीं आए थे उन्हें यहां के सरकारी हस्पताल से कॉविड टेस्ट करवा कर हीस्कूल में एंट्री दी गई। इसके लिए दोनों सिस्टर ने सरकारी अस्पताल डलहौजी के डॉक्टर विपन ठाकुर की पूरी पूरी प्रशंसा की है। इन दोनों सिस्टर्स ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए स्कूल में सरकार की पूरी गाइडलाइन का ख्याल रखा जा रहा है। मास्क,सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है और सैनिटाइजर का भी पूरा प्रयोग किया जा रहा है। कोरोना वायरस की वजह से डे स्कॉलर बच्चों और हॉस्टल में बाहर के प्रदेशों से आए बच्चों को भी आपस में नहीं मिलने दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि स्कूल में अलग-अलग क्लास और स्तर पर ऑफलाइन और ऑनलाइन पढ़ाई और सेल्फ मूल्यांकन परीक्षा चल रही है। उन्होंने बताया कि अगर सब कुछ पूरी तरह से ठीक रहा तो 22 मार्च को कक्षा 5 से लेकर कक्षा बारहवीं तक स्कूल खोले जाएंगे। जिसमें बाहर के प्रदेशों के बच्चे और स्थानीय बच्चे दोनों स्कूल मैं आएंगे।
चम्बा ! हिमाचल की प्रसिद्ध पर्यटन नगरी डलहौजी को स्कूलों की नगरी भी कहा जाता है यहां पर काफी प्रतिष्ठित हॉस्टल स्कूल हैं जिनमें भारतवर्ष के भिन्न भिन्न प्रांतों के बच्चे हॉस्टल में रहकर उच्च स्तरीय पढ़ाई करते हैं इन्हीं में से एक है डलहौजी का सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल जिसे अंग्रेजों ने यहां खोला था पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से यह बंद हो गया था अब पूरे 1 वर्ष बाद इस स्कूल में बाहर के बच्चों के आने से रोनक हो गई है
स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर मौली चेरियन और स्कूल की मैनेजर सिस्टर मौली ओगसटिन दोनों ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया की फिलहाल आठवीं से लेकर बाहरबी तक बाहर के प्रदेशों से हॉस्टल में पढ़ने वाले लगभग 130 बच्चे 25 फरवरी को स्कूल में आ गए और 1 मार्च को स्कूल खुल गया है इन बच्चों की कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट देखकर ही इन्हें स्कूल में एंट्री दी गई और जो बच्चे कोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट लेकर नहीं आए थे उन्हें यहां के सरकारी हस्पताल से कॉविड टेस्ट करवा कर हीस्कूल में एंट्री दी गई। इसके लिए दोनों सिस्टर ने सरकारी अस्पताल डलहौजी के डॉक्टर विपन ठाकुर की पूरी पूरी प्रशंसा की है।
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इन दोनों सिस्टर्स ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए स्कूल में सरकार की पूरी गाइडलाइन का ख्याल रखा जा रहा है। मास्क,सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है और सैनिटाइजर का भी पूरा प्रयोग किया जा रहा है। कोरोना वायरस की वजह से डे स्कॉलर बच्चों और हॉस्टल में बाहर के प्रदेशों से आए बच्चों को भी आपस में नहीं मिलने दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि स्कूल में अलग-अलग क्लास और स्तर पर ऑफलाइन और ऑनलाइन पढ़ाई और सेल्फ मूल्यांकन परीक्षा चल रही है। उन्होंने बताया कि अगर सब कुछ पूरी तरह से ठीक रहा तो 22 मार्च को कक्षा 5 से लेकर कक्षा बारहवीं तक स्कूल खोले जाएंगे। जिसमें बाहर के प्रदेशों के बच्चे और स्थानीय बच्चे दोनों स्कूल मैं आएंगे।
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