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चम्बा/डलहौजी ! पर्यटकों के लिए हिमाचल के बॉर्डर खोलने के साथ ही पर्यटन नगरी डलहौज़ी में कुछ पर्यटकों का आना तो शुरू हो गया है लेकिन ई पास की समस्या के चलते पर्यटकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है यहां तक की बहुत से पर्यटकों को तो ईपास ना होने के कारण तुनूहट्टी बैरियर से वापस भी जाना पड़ रहा है जिससे कि पर्यटन कारोबारियों में अभी भी भारी निराशा का माहौल बना हुआ है काबिले गौर है कि बॉर्डर खुलने के बाद ये पहला वीकएंड है जब पर्यटकों ने डलहौज़ी का रुख किया लेकिन शनिवार और रविवार को बाज़ार बंद होने के चलते पर्यटकों को काफी निराशा का सामना करना पड़ रहा है। हद तो गाँधी चौक में तब हो गई जब यहाँ आये पर्यटकों को खाना तो दूर चाय पानी तक नसीब नहीं हुई और पर्यटकों को भूखे प्यासे ही वापस लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है । पर्यटक अपने बच्चों के साथ खाने पीने की दुकाने ढूंढते नजर आये मगर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि वीकेंड पर ही अभी पर्यटक आने शुरू हुए हैं अतः ऐसे में वीकेंड को ही अगर बाजार बंद रहेगा तो बार्डर खोलने का क्या फायदा ? इसके अलावा जो लोग यहां आ भी रहे हैं वह भी यही कह रहे हैं कि उनको भी ईपास लेने में भारी मशक्कत करनी पड़ी है जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। गौर हो की बीते कई महीनो से बंद पड़े पर्यटन कारोबार को प्रदेश के बोर्डर खुलने से कुछ आस तो जगी है पर अगर वीकेंड को बाज़ार बंद रहता है तो उनकी आशाओं पर पानी फिर सकता है क्यूंकि अधिकतर पर्यटक वीकएंड पर ही पर्यटन स्थलों की ओर रुख करते है ऐसे में सरकार को इस ओर सहानुभूति पूर्वक निर्णय लेते हुए वकेंड को बाजार को खोलने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए और ईपास के इस झंझट को भी या तो खत्म किया जाए या आसान किया जाए इसके अलावा बाजार खोलने का जो 9:00 से 5:00 तक का सरकार ने समय निर्धारित किया है। उसको भी बढ़ाया जाए साथ ही शनिवार और रविवार को बाजार के साथ-साथ रेस्टोरेंट और ढाबे आदि को भी कम से कम रात 10:00 बजे तक खोलने की अनुमति प्रदान की जाए जिससे कि पर्यटन उद्योग को भी कुछ फायदा मिल सके और साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को खाने-पीने और बाजार घूमने की सुविधा प्राप्त हो सके अगर ऐसा नहीं होता तो पर्यटन उध्योग को इसका का कोई विशेष लाभ मिलने वाला नहीं है।
चम्बा/डलहौजी ! पर्यटकों के लिए हिमाचल के बॉर्डर खोलने के साथ ही पर्यटन नगरी डलहौज़ी में कुछ पर्यटकों का आना तो शुरू हो गया है लेकिन ई पास की समस्या के चलते पर्यटकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है यहां तक की बहुत से पर्यटकों को तो ईपास ना होने के कारण तुनूहट्टी बैरियर से वापस भी जाना पड़ रहा है जिससे कि पर्यटन कारोबारियों में अभी भी भारी निराशा का माहौल बना हुआ है काबिले गौर है कि बॉर्डर खुलने के बाद ये पहला वीकएंड है जब पर्यटकों ने डलहौज़ी का रुख किया लेकिन शनिवार और रविवार को बाज़ार बंद होने के चलते पर्यटकों को काफी निराशा का सामना करना पड़ रहा है। हद तो गाँधी चौक में तब हो गई जब यहाँ आये पर्यटकों को खाना तो दूर चाय पानी तक नसीब नहीं हुई और पर्यटकों को भूखे प्यासे ही वापस लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है ।
पर्यटक अपने बच्चों के साथ खाने पीने की दुकाने ढूंढते नजर आये मगर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि वीकेंड पर ही अभी पर्यटक आने शुरू हुए हैं अतः ऐसे में वीकेंड को ही अगर बाजार बंद रहेगा तो बार्डर खोलने का क्या फायदा ? इसके अलावा जो लोग यहां आ भी रहे हैं वह भी यही कह रहे हैं कि उनको भी ईपास लेने में भारी मशक्कत करनी पड़ी है जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ा।
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गौर हो की बीते कई महीनो से बंद पड़े पर्यटन कारोबार को प्रदेश के बोर्डर खुलने से कुछ आस तो जगी है पर अगर वीकेंड को बाज़ार बंद रहता है तो उनकी आशाओं पर पानी फिर सकता है क्यूंकि अधिकतर पर्यटक वीकएंड पर ही पर्यटन स्थलों की ओर रुख करते है ऐसे में सरकार को इस ओर सहानुभूति पूर्वक निर्णय लेते हुए वकेंड को बाजार को खोलने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए और ईपास के इस झंझट को भी या तो खत्म किया जाए या आसान किया जाए इसके अलावा बाजार खोलने का जो 9:00 से 5:00 तक का सरकार ने समय निर्धारित किया है।
उसको भी बढ़ाया जाए साथ ही शनिवार और रविवार को बाजार के साथ-साथ रेस्टोरेंट और ढाबे आदि को भी कम से कम रात 10:00 बजे तक खोलने की अनुमति प्रदान की जाए जिससे कि पर्यटन उद्योग को भी कुछ फायदा मिल सके और साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को खाने-पीने और बाजार घूमने की सुविधा प्राप्त हो सके अगर ऐसा नहीं होता तो पर्यटन उध्योग को इसका का कोई विशेष लाभ मिलने वाला नहीं है।
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