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चम्बा ! मैं इसे पालकी नहीं कहूंगी,, इसे एम्बुलेंस ही कहूंगी क्योंकि भट्टियात के नेता तो पालकी मुक्त भट्टियात का दावा कर चुके हैं। यह वीडियो है भट्टियात विधानसभा क्षेत्र की काहरी पंचायत के डैनघोड़ी गांव का। जहां सोनू कुमार की धर्मपत्नी को जब मेडीकल कॉलेज से डेलिवरी (प्रसब) के बाद घर बापिस लाया जा रहा है। तो जच्चा और बच्चा दोनो को पालकी में ग्रामीण लोग ला रहे है यह उसकी जीती जागती तस्वीरे है। वैसे प्रदेश सरकार दावा करती है कि गर्भवती महिलाओ को लाने और प्रसब के बाद के जाने के लिए एम्बुलेंस का प्रयोग किया जाता है लेकिन इस परिस्थिति में एम्बुलेंस को चलने के लिए सड़क चाहिए और यह क्षेत्र पूरी तरह से सड़क सुबिधा से महरूम है। नेता लोग यूं तो बड़े बड़े दाबे करते हैं लेकिन वास्तविकता इस वीडियो के माध्यम से देखी जा सकती है। आजादी के 7 दशकों के बाद भी लोग इस तरह का कठिन जीवन जीने को मजबूर हैं। आज भी ऐसी आपदाभरी परिस्थियों में लोगों को किसी तरह की सुबिधा का सहारा नहीं हैं। साफ तौर से देखा जा सकता है कि सड़क तक पहुंचने के लिए हर किसी को पांच पांच किलोमीटर चलकर जाना पड़ता है।परिस्थियां चाहे जैसी भी हों, आंधी हो, तूफान हो, बर्फबारी हो, लेकिन यहां के लोगों के लिए इस आधुनिक युग मे भी जिंदगी किसी जंग से कम नहीं है। एक तरफ कांगड़ा जिला में हाल ही में "रोप वे" का उदघाटन हुआ और हमारे जिला चम्बा की ऐसी वीडियो सबूत दे रही हैं कि चम्बा कितना पिछड़ा है। जहां लोगों के पास एम्बुलेंस तक के लिए रोड़ नहीं है।
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